पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राजभवन में काम करने वाली एक कर्मचारी ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस (CV Anand Bose) ने उसका दो बार यौन उत्पीड़न किया. महिला ने 2 मई को कोलकाता के हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए शिकायत भी दर्ज कराई थी.
यहां गौर करने वाली बात यह थी कि यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार, 3 मई को पश्चिम बंगाल में तीन चुनावी रैलियों को संबोधित करने से कुछ घंटे पहले सामने आया. आरोपों के ठीक दो दिन बाद, राज्यपाल ने राजभवन के सभी स्टाफ को कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) के समन को नजरअंदाज करने के साथ-साथ मीडिया से बात नहीं करने का निर्देश जारी किया.
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मिली छूट का उल्लेख किया. यह अनुच्छेद राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान उनके आधिकारिक और व्यक्तिगत कार्यों के लिए किसी भी जांच पर रोक लगाता है.
राज्यपाल के खिलाफ आरोप लगने के बाद बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है. TMC संदेशखाली में अपने पूर्व नेता शाहजहां शेख पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की वजह से बैकफुट पर है.
शिकायत दर्ज होने के एक दिन बाद पूर्वी मिदनापुर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बिना नाम लिए निशाना साधा.
तो सवाल है कि महिला ने राज्यपाल पर वास्तव में क्या आरोप लगाया है? राज्यपाल ने आरोपों के जवाब में क्या कहा है? चलिए आपको इस एक्सप्लेनर में बताते हैं.
बंगाल के राज्यपाल सवालों के घेरे में क्यों हैं? यौन उत्पीड़न का आरोप और स्पेशल पावर
1. 'प्रमोशन का वादा, गलत तरीके से छूआ': सर्वाइवर ने क्या आरोप लगाया?
सर्वाइवर महिला ने जो शिकायत दर्ज कराई है, उसकी एक कॉपी क्विंट के पास मौजूद है. महिला 2019 से राजभवन में कॉन्ट्रैक्ट या संविदा पर काम कर रही है. उसने दावा किया है कि 19 अप्रैल को, राज्यपाल ने उससे मिलने के लिए कुछ समय निकालने के लिए कहा. इसके बाद 24 अप्रैल को वह राज्यपाल से मिली. महिला ने आरोप लगाया कि मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने उसे गलत तरीके से छुआ.
सर्वाइवर महिला ने आगे कहा कि राज्यपाल ने उसे 2 मई को दोबारा बुलाया. हालांकि, इस बार महिला अपने सुपरवाइजर के साथ उनसे मिलने पहुंची. उन्हें एक कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाया गया. महिला का आरोप है कि कुछ समय बाद राज्यपाल ने उसके सुपरवाइजर को कॉन्फ्रेंस रूम छोड़ने के लिए कहा.
महिला ने दावा किया कि उसके सुपरवाइजर के जाने के बाद, राज्यपाल ने उससे कहना शुरू कर दिया कि उसे प्रमोट किया जाएगा, और कहा कि तुमको रात में बुलाऊंगा. साथ ही उससे बातचीत का जिक्र किसी से न करने को कहा.
महिला ने शिकायत में लिखा, "जब मैंने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने मुझे गलत तरीके से छूना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया और कमरे से बाहर आ गई."
इसकी पुष्टि करते हुए, कोलकाता पुलिस डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखोपाध्याय ने मीडिया को बताया, "आज (2 मई) शाम करीब 5 बजे राजभवन चौकी पर एक शिकायत मिली. राजभवन की एक महिला कर्मचारी ने छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज की गई. शिकायत राजभवन चौकी में दर्ज की गई. इसे हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया. हमने शिकायत दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है."
Expand2. 'राजभवन में एक और साजिश रची जा रही है': बंगाल के राज्यपाल
राज्यपाल ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "अगर कोई मुझे बदनाम करके कुछ चुनावी फायदा उठाना चाहता है, तो भगवान उन्हें आशीर्वाद दें. लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई को नहीं रोक सकते."
एक्स पर कोलकाता के राजभवन ने शिकायत को "अपमानजनक" बताया है और कहा कि इसे "दो असंतुष्ट कर्मचारियों द्वारा राजनीतिक दलों के एजेंटों के रूप में प्रसारित किया गया था".
इसके बाद शुक्रवार, 3 मई को, राज्यपाल ने कड़े शब्दों में एक ऑडियो मैसेज जारी किया, जिसमें कहा गया, “अगले ग्रेनेड और गोलियों का इंतजार कर रहा हूं…प्लीज फायर करो”.
राज्यपाल ने राजभवन में "एक अधिक भयावह साजिश" रचे जाने का भी आरोप लगाया है.
राज्यपाल ने कहा कि, "राजभवन स्टाफ के प्रिय सदस्यों. मैं सभी आरोपों और एक राजनीतिक ताकत द्वारा मुझ पर लगाए गए लगातार आक्षेपों का स्वागत करता हूं. मैं समझता हूं कि अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है. लेकिन एक बात स्पष्ट है. कोई भी बेतुका नाटक रुकने वाला नहीं है. मैं भ्रष्टाचार को उजागर करने और हिंसा को रोकने के लिए काम करता रहुंगा. आखिर में चरित्र हनन कर ही ये काउंटर कर रहे हैं. जो लोग इन गंदी कहानियों को गढ़ते हैं, उनका चरित्र पूरी तरह से खत्म है..."
उन्होंने 2 मई को राजभवन में पुलिस और वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के एंट्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी जारी किया. बयान में कहा गया है कि "मानहानि और संविधान विरोधी मीडिया बयानों" के लिए भट्टाचार्य के कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
भट्टाचार्य ने गवर्नर हाउस परिसर में उनके प्रवेश पर रोक के आदेश के जवाब में कहा, “मुझे डराने का कोई मतलब नहीं है. राजभवन में मेरे प्रवेश को कोई नहीं रोक सकता.”
राजभवन के सूत्रों के अनुसार, 2 मई को राज्यपाल ने कोच्चि के लिए उड़ान भरी. बाद में, रविवार, 5 मई को कोच्चि में एक समारोह में राज्यपाल ने कहा कि उन्हें उनके पद से "हटाने" का प्रयास किया गया है.
"मुझे पता है कि पश्चिम बंगाल में ऐसे कई प्रयास हो रहे हैं... मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं जो इस तरह के दबाव के आगे झुक जाएगा."
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कोच्चि में कहाउन्होंने राजभवन के कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न की शिकायत के संबंध में राज्य पुलिस से बात करने से रोकने का आदेश भी जारी किया. राजभवन के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किए गए बयान में, राज्यपाल ने राजभवन के अस्थायी या स्थायी कर्मचारियों को मामले में राज्य पुलिस के किसी भी संचार को नजरअंदाज करने का निर्देश दिया.
कर्मचारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे "ऑनलाइन, ऑफलाइन, व्यक्तिगत रूप से, फोन पर या किसी अन्य तरीके से कोई भी बयान देने से बचें".
एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि, “यह स्पष्ट है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के मद्देनजर, राज्य पुलिस माननीय राज्यपाल के खिलाफ किसी भी तरह की पूछताछ/जांच/किसी भी तरह की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती है."
कोलकाता पुलिस डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखोपाध्याय ने द क्विंट को बताया:
"हमने राजभवन से घटना के सीसीटीवी फुटेज के लिए अनुरोध किया था लेकिन फिर भी राजभवन से कोई भी हमारे साथ सहयोग नहीं कर रहा है."
सोमवार, 6 मई को राज्यपाल ने इस मुद्दे को उठाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा और उनकी राजनीति को "गंदी" करार दिया.
कोलकाता हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए, बोस ने कहा कि वह राज्यपाल के प्रतिष्ठित कार्यालय पर बनर्जी की दीदीगिरी (अत्याचार) की अनुमति नहीं देंगे.
Expand3. क्या राज्यपाल के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, किसी राज्य का राज्यपाल एक संवैधानिक पद है, जिसे राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट के माध्यम से नियुक्त करते हैं. वे राष्ट्रपति की सेवा में होते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, राष्ट्रपति और राज्यपालों को कुछ छूट मिलती हैं जैसे:
राष्ट्रपति और राज्यपालों को पद पर रहते हुए उनके कार्यों या निर्णयों के लिए अदालत में जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है.
उनके कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ "किसी भी अदालत में" कोई आपराधिक मामला दायर नहीं किया जा सकता है.
उनके कार्यकाल के दौरान कोई भी उन्हें गिरफ्तार या जेल में नहीं डाल सकता.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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'प्रमोशन का वादा, गलत तरीके से छूआ': सर्वाइवर ने क्या आरोप लगाया?
सर्वाइवर महिला ने जो शिकायत दर्ज कराई है, उसकी एक कॉपी क्विंट के पास मौजूद है. महिला 2019 से राजभवन में कॉन्ट्रैक्ट या संविदा पर काम कर रही है. उसने दावा किया है कि 19 अप्रैल को, राज्यपाल ने उससे मिलने के लिए कुछ समय निकालने के लिए कहा. इसके बाद 24 अप्रैल को वह राज्यपाल से मिली. महिला ने आरोप लगाया कि मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने उसे गलत तरीके से छुआ.
सर्वाइवर महिला ने आगे कहा कि राज्यपाल ने उसे 2 मई को दोबारा बुलाया. हालांकि, इस बार महिला अपने सुपरवाइजर के साथ उनसे मिलने पहुंची. उन्हें एक कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाया गया. महिला का आरोप है कि कुछ समय बाद राज्यपाल ने उसके सुपरवाइजर को कॉन्फ्रेंस रूम छोड़ने के लिए कहा.
महिला ने दावा किया कि उसके सुपरवाइजर के जाने के बाद, राज्यपाल ने उससे कहना शुरू कर दिया कि उसे प्रमोट किया जाएगा, और कहा कि तुमको रात में बुलाऊंगा. साथ ही उससे बातचीत का जिक्र किसी से न करने को कहा.
महिला ने शिकायत में लिखा, "जब मैंने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने मुझे गलत तरीके से छूना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया और कमरे से बाहर आ गई."
इसकी पुष्टि करते हुए, कोलकाता पुलिस डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखोपाध्याय ने मीडिया को बताया, "आज (2 मई) शाम करीब 5 बजे राजभवन चौकी पर एक शिकायत मिली. राजभवन की एक महिला कर्मचारी ने छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज की गई. शिकायत राजभवन चौकी में दर्ज की गई. इसे हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया. हमने शिकायत दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है."
'राजभवन में एक और साजिश रची जा रही है': बंगाल के राज्यपाल
राज्यपाल ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "अगर कोई मुझे बदनाम करके कुछ चुनावी फायदा उठाना चाहता है, तो भगवान उन्हें आशीर्वाद दें. लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई को नहीं रोक सकते."
एक्स पर कोलकाता के राजभवन ने शिकायत को "अपमानजनक" बताया है और कहा कि इसे "दो असंतुष्ट कर्मचारियों द्वारा राजनीतिक दलों के एजेंटों के रूप में प्रसारित किया गया था".
इसके बाद शुक्रवार, 3 मई को, राज्यपाल ने कड़े शब्दों में एक ऑडियो मैसेज जारी किया, जिसमें कहा गया, “अगले ग्रेनेड और गोलियों का इंतजार कर रहा हूं…प्लीज फायर करो”.
राज्यपाल ने राजभवन में "एक अधिक भयावह साजिश" रचे जाने का भी आरोप लगाया है.
राज्यपाल ने कहा कि, "राजभवन स्टाफ के प्रिय सदस्यों. मैं सभी आरोपों और एक राजनीतिक ताकत द्वारा मुझ पर लगाए गए लगातार आक्षेपों का स्वागत करता हूं. मैं समझता हूं कि अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है. लेकिन एक बात स्पष्ट है. कोई भी बेतुका नाटक रुकने वाला नहीं है. मैं भ्रष्टाचार को उजागर करने और हिंसा को रोकने के लिए काम करता रहुंगा. आखिर में चरित्र हनन कर ही ये काउंटर कर रहे हैं. जो लोग इन गंदी कहानियों को गढ़ते हैं, उनका चरित्र पूरी तरह से खत्म है..."
उन्होंने 2 मई को राजभवन में पुलिस और वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के एंट्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी जारी किया. बयान में कहा गया है कि "मानहानि और संविधान विरोधी मीडिया बयानों" के लिए भट्टाचार्य के कोलकाता, दार्जिलिंग और बैरकपुर के राजभवन परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
भट्टाचार्य ने गवर्नर हाउस परिसर में उनके प्रवेश पर रोक के आदेश के जवाब में कहा, “मुझे डराने का कोई मतलब नहीं है. राजभवन में मेरे प्रवेश को कोई नहीं रोक सकता.”
राजभवन के सूत्रों के अनुसार, 2 मई को राज्यपाल ने कोच्चि के लिए उड़ान भरी. बाद में, रविवार, 5 मई को कोच्चि में एक समारोह में राज्यपाल ने कहा कि उन्हें उनके पद से "हटाने" का प्रयास किया गया है.
"मुझे पता है कि पश्चिम बंगाल में ऐसे कई प्रयास हो रहे हैं... मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं जो इस तरह के दबाव के आगे झुक जाएगा."पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कोच्चि में कहा
उन्होंने राजभवन के कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न की शिकायत के संबंध में राज्य पुलिस से बात करने से रोकने का आदेश भी जारी किया. राजभवन के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किए गए बयान में, राज्यपाल ने राजभवन के अस्थायी या स्थायी कर्मचारियों को मामले में राज्य पुलिस के किसी भी संचार को नजरअंदाज करने का निर्देश दिया.
कर्मचारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे "ऑनलाइन, ऑफलाइन, व्यक्तिगत रूप से, फोन पर या किसी अन्य तरीके से कोई भी बयान देने से बचें".
एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि, “यह स्पष्ट है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के मद्देनजर, राज्य पुलिस माननीय राज्यपाल के खिलाफ किसी भी तरह की पूछताछ/जांच/किसी भी तरह की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती है."
कोलकाता पुलिस डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखोपाध्याय ने द क्विंट को बताया:
"हमने राजभवन से घटना के सीसीटीवी फुटेज के लिए अनुरोध किया था लेकिन फिर भी राजभवन से कोई भी हमारे साथ सहयोग नहीं कर रहा है."
सोमवार, 6 मई को राज्यपाल ने इस मुद्दे को उठाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा और उनकी राजनीति को "गंदी" करार दिया.
कोलकाता हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए, बोस ने कहा कि वह राज्यपाल के प्रतिष्ठित कार्यालय पर बनर्जी की दीदीगिरी (अत्याचार) की अनुमति नहीं देंगे.
क्या राज्यपाल के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, किसी राज्य का राज्यपाल एक संवैधानिक पद है, जिसे राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट के माध्यम से नियुक्त करते हैं. वे राष्ट्रपति की सेवा में होते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, राष्ट्रपति और राज्यपालों को कुछ छूट मिलती हैं जैसे:
राष्ट्रपति और राज्यपालों को पद पर रहते हुए उनके कार्यों या निर्णयों के लिए अदालत में जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है.
उनके कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ "किसी भी अदालत में" कोई आपराधिक मामला दायर नहीं किया जा सकता है.
उनके कार्यकाल के दौरान कोई भी उन्हें गिरफ्तार या जेल में नहीं डाल सकता.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)