म्यूचुअल फंड में निवेश तो “सही है” लेकिन बड़ा सवाल है कि किस म्यूचुअल फंड में? कई पुराने निवेशक भी अक्सर ये सवाल पूछते पाए जाते हैं कि क्या उनके म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की स्कीमें सही हैं. दर्जनों म्यूचुअल फंड कंपनियों की हजारों स्कीमों में से अपने लिए सही स्कीम का चुनाव उतना ही मुश्किल है जितना अपने बजट में सही मोबाइल फोन चुनना। लेकिन हम आपके लिए म्यूचुअल फंड स्कीम का चुनाव आसान बनाने जा रहे हैं. आपको बस ये करना है कि स्कीम को फाइनल करने के पहले एक बार इन पांच सवालों के जवाब ढूंढ़ लें जो हमने आपके लिए तैयार किए हैं.
आपके निवेश का लक्ष्य क्या है
सबसे पहले इस सवाल का जवाब ढूंढ़ें कि आप ये निवेश क्यों कर रहे हैं, क्योंकि फाइनेंशियल प्लानिंग में हर निवेश का एक वित्तीय लक्ष्य होता है. जैसे हो सकता है कि आप विदेश घूमने जाने के लिए निवेश करना चाहते हों या फिर कार या घर खरीदने के लिए. आपके वित्तीय लक्ष्य में बच्चों की उच्च शिक्षा का खर्च भी हो सकता है या रिटायरमेंट के लिए पैसे जोड़ना भी. या फिर आप सिर्फ टैक्स बचाने के मकसद से म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हों.
याद रखिए कि हर वित्तीय लक्ष्य के लिए निवेश की अवधि अलग-अलग हो सकती है. और इसी से तय होगा कि म्यूचुअल फंड में आपका निवेश छोटी अवधि के लिए है या लंबी अवधि के लिए.
आप कितने समय तक निवेश कर सकते हैं
जब आपने अपना निवेश लक्ष्य तय कर लिया है तो आपके लिए ये पता लगाना आसान हो जाएगा कि आपको कितने समय तक म्यूचुअल फंड में निवेश करना है. अगर आपकी योजना अपने घर के लिए डाउन पेमेंट का खर्च जुटाने की है तो हो सकता है कि आप 3 या 5 साल तक निवेश में बने रहेंगे. लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के लिए पैसे जुटाने की योजना बना रहे हैं तो निवेश की अवधि आपकी उम्र के मुताबिक 10, 15, 20 साल या इससे भी ज्यादा हो सकती है.
आपके लिए कौन सा म्यूचुअल फंड सही है, इसका फैसला काफी हद तक इसी सवाल के जवाब पर निर्भर करेगा कि आप कितने लंबे समय तक अपने निवेश में बने रह सकते हैं.
आप निवेश में कितना जोखिम उठा सकते हैं
जब आप अपने निवेश की अवधि ज्यादा रखते हैं तो आप उस पर थोड़ा ज्यादा जोखिम भी उठा सकते हैं. लेकिन अगर निवेश की अवधि छोटी है तो फिर ज्यादा जोखिम उठाना समझदारी नहीं होगी. ये भी याद रखने की जरूरत है कि निवेश का वित्तीय लक्ष्य तभी हासिल हो सकेगा जब आपकी निवेशित पूंजी सुरक्षित रहे और उस पर नियमित रिटर्न मिलता रहे. म्यूचुअल फंड कई तरह के होते हैं और उनमें जोखिम भी अलग-अलग होता है.
जैसे इक्विटी म्यूचुअल फंड में जोखिम ज्यादा होता है और डेट म्यूचुअल फंड में कम. इक्विटी में भी सेक्टर म्यूचुअल फंड ज्यादा जोखिम भरे होते हैं वहीं बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में कम जोखिम होता है. आपके लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि आप अपने निवेश में किस हद तक जोखिम लेने में सहज हैं. मिसाल के लिए अगर आप 30-35 साल के हैं और रिटायरमेंट के लिए निवेश कर रहे हैं तो आप ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं. लेकिन अगर आपकी उम्र 50-55 साल है तो फिर आपके लिए ज्यादा जोखिम उठाना सही नहीं होगा.
आपके लिए म्यूचुअल फंड की कौन सी कैटेगरी सही है
अब तक आपने तय कर लिया होगा कि आप निवेश कितने समय के लिए कर सकते हैं और कितना जोखिम उठा सकते हैं. म्यूचुअल फंड का चुनाव थोड़ा और आसान करने के लिए हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैः
- अगर आप 5 साल या ज्यादा तक निवेश कर सकते हैं और ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं तो आप बेहिचक कोई भी इक्विटी म्यूचुअल फंड कैटेगरी चुनें. ये इंडेक्स फंड या डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड हो सकते हैं.
- अगर आप 5 साल या ज्यादा तक निवेश कर सकते हैं लेकिन जोखिम ज्यादा नहीं उठा सकते तो फिर आप इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड म्यूचुअल फंड कैटेगरी चुनें. हाइब्रिड फंड को बैलेंस्ड फंड भी कहते हैं.
- अगर आप 5 साल से कम समय तक निवेश करना चाहते हैं तो आपके लिए डेट ओरिएंटेड हाइब्रिड म्यूचुअल फंड सही रहेंगे या प्योर डेट म्यूचुअल फंड.
- अगर आप टैक्स बचाने के मकसद से निवेश करना चाहते हैं तो फिर आपको चुनना होगा इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस फंड. ये इक्विटी फंड होते हैं जिसमें आपका निवेश 3 साल तक लॉक-इन रहता है और आप सालाना 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं.
आप म्यूचुअल फंड की सही स्कीम तक कैसे पहुंचेगे
म्यूचुअल फंड की कैटेगरी फाइनल करने के बाद अब बारी है स्कीम फाइनल करने की. इसके लिए आप कुछ पैमानों पर स्कीम को परखें जैसे कि म्यूचुअल फंड स्कीम का पिछला परफॉर्मेंस, उसका एसेट साइज, एक्सपेंस रेश्यो, रेटिंग और उतार-चढ़ाव वाले बाजार में प्रदर्शन. वैसे पिछला परफॉर्मेंस इस बात की गारंटी नहीं होता कि आगे भी स्कीम बढ़िया रिटर्न देगी, लेकिन इससे ये अंदाजा लग जाता है कि फंड आपके पैमाने पर खरा उतरता है या नहीं. ये भी याद रखें कि किसी फंड स्कीम का एसेट साइज बढ़ने पर उसके एक्सपेंस रेश्यो में कमी आती जाती है. और एक्सपेंस रेश्यो कम होने का मतलब है बेहतर रिटर्न. इसलिए ऐसी स्कीम चुनें जिसका एसेट साइज कम से कम 700-800 करोड़ रुपए हो.
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