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वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की बैठक भारत के लिए क्यों है खास? जानिए सबकुछ

स्विट्जरलैंड के डावोस में इस साल वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की मीटिंग 23 से 26 जनवरी तक होगी, क्या है इस मीटिंग की खासियत

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स्विट्जरलैंड के डावोस में इस साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग 23 से 26 जनवरी तक होगी. कहा जाता है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में पूरी दुनिया का आर्थिक एजेंडा तय होता है. इस बार की मीटिंग के बारे में 5 खास बातों की जानकारी हम यहां दे रहे हैं.

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दो दशक बाद भारतीय पीएम बने हैं WEF का हिस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को डावोस पहुंचे. करीब दो दशक बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में शामिल हुआ है. 1997 में एच डी देवगौड़ा के बाद डावोस वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में शामिल होने वाले मोदी देश के दूसरे प्रधानमंत्री होंगे.

देवगौड़ा से पहले नरसिम्हा राव 1994 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल हुए थे. मोदी इस मंच का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों को न्योता देने के लिए कर सकते हैं. पिछले हफ्ते ही मोदी सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल और दूसरे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में और ढील दी है. ऐसी पहल का जिक्र करके प्रधानमंत्री विदेशी निवेशकों से भारत में पैसा लगाने की अपील कर सकते हैं.

डावोस में ग्लैमर का तड़का

डावोस में ग्लैमर का तड़का भी रहता है. इस बार बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरूख खान भी वहां जा रहे हैं, जहां उन्हें क्रिस्टल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें यह सम्मान देश में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए दिया जा रहा है.

इससे पहले भारत से अमिताभ बच्चन, ए आर रहमान और शबाना आजमी समेत दूसरी हस्तियों को यह पुरस्कार मिल चुका है. हॉलीवुड एक्ट्रेस केट ब्लैंचेट और जाने-माने ब्रिटिश म्यूजिशियन सर एल्टन जॉन को भी इस बार सम्मानित किया जाएगा. केट को शरणार्थियों के लिए प्रतिबद्धता दिखाने की वजह से सम्मानित किया जा रहा है, जबकि सर जॉन को एचआईवी-एड्स पीड़ितों की मदद करने के लिए. डावोस में 22 जनवरी को एक समारोह में तीनों को सम्मानित किया जाएगा.

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कौन लोग शामिल होते हैं?

कई राष्ट्राध्यक्ष दावोस में होने वाले सालाना वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की मीटिंग में शामिल हो चुके हैं. इस साल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसमें शामिल होंगे. साल 2000 में बिल क्लिंटन के बाद वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पार्टिसिपेट करने वाले वह दूसरे अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे. खबर है कि भारत के प्रधानमंत्री की यहां ट्रंप से मुलाकात हो सकती है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल होने के लिए बिजनेस, राजनीति, एकेडमिक, पत्रकारिता सहित दूसरे क्षेत्रों के करीब 3,000 लोगों को आमंत्रित किया गया है.

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क्या है इस साल की थीम?

हर साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक खास थीम होती है. इस साल की थीम ‘क्रिएटिंग ए शेयर्ड फ्यूचर इन ए फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड’ यानी बंटी हुई दुनिया के लिए साझा भविष्य का निर्माण है. इस बार की मीटिंग की एक और खास बात यह है कि इसकी अध्यक्षता 7 महिलाएं करेंगी. इनमें भारत से मान देशी फाउंडेशन की अध्यक्ष चेतना सिन्हा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की क्रिस्टीन लगार्ड और नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग भी शामिल हैं.

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क्या है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम?

ये 1971 में शुरू हुआ था. इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड में है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वेबसाइट के मुताबिक ‘ये संस्था दुनिया की हालत में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है.’ वह खुद को पब्लिक-प्राइवेट को-ऑपरेशन यानी सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी का अंतरराष्ट्रीय संगठन बताता है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का दावा है कि वह स्वायत्त और निष्पक्ष है. डावोस की सालाना मीटिंग के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम मशहूर है, लेकिन वो साल में कई क्षेत्रीय मीटिंग का आयोजन भी करता है. वह पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपनटे के लिए कई पहल से भी जुड़ा रहा है.

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