डायबिटीज या मधुमेह एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसके बारे में लोगों की कई गलतफहमी हो सकती है. भले ही आप हाल ही में इस बीमारी के शिकार हुए हों या सालों से इसका सामना कर रहे हों.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मोटे लोगों को ही यह बीमारी होती है, पतले लोगों को भी डायबिटीज हो सकती है. वजन बढ़ने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है, जबकि टाइप 1 डायबिटीज किसी को भी हो सकती है.
हाई और लो ब्लड शुगर के साथ डायबिटीज, रोगी को मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से प्रभावित करती है. अगर ठीक से इसकी देखभाल नहीं की जाए, तो इसके खतरनाक नतीजे हो सकते हैं.
सिर्फ मिठाई या बटर चिकन खाने से डायबिटीज नहीं होती. इसकी बजाए जरूरी है कि आप डायबिटीज के बारे में कुछ बुनियादी सच्चाई को जानें.
डायबिटीज से जुड़े कुछ तथ्य
- डायबिटीज एक साइलेंट बीमारी है.
- डायबिटीज तीन तरह की होती है- टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावस्था का डायबिटीज
- टाइप 1 डायबिटीज एक स्व-प्रतिरोधक विकार (autoimmune disorder) है. यह बच्चों और किशोरों में होती है. इसमें पैंक्रियाज या पाचन ग्रंथी कम इंसुलिन बनाती है या पूरी तरह इंसुलिन बनाना बंद कर देती है.
- टाइप 2 डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ी है. इसमें आनुवंशिक, उम्र, वजन के कारण या शारीरिक श्रम नहीं करने के कारण पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या बनाना बंद कर देता है (या शरीर इंसुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है).
- टाइप 1 और टाइप 2 के विपरीत 4 फीसदी गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भावस्था का डायबिटीज होता है. अधिकतर गर्भावस्था वाला डायबिटीज प्रसव के बाद खत्म हो जाता है. लेकिन महिला को बाद में टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका बनी रहती है.
- इसके विशिष्ट लक्षणों में अधिक भूख लगना, अधिक प्यास लगाना या अधिक पेशाब लगना है. इसमें हम आसानी से चूक सकते हैं या इसे गलती से किसी अन्य रूप में ले सकते हैं.
- अगर आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 126 एमजी से अधिक है और खाने से पहले का शुगर 200 एमजी से अधिक है, तो आप डायबिटीज जोन में हैं.
- टाइप 2 डायबिटीज होने की सूरत में लाइफस्टाइल में पूरी तरह से बदलाव आ जाता है. इसमें खानपान में सख्त रूप से बदलाव के साथ एक्सरसाइज शामिल है.
- शुगर सिर्फ बेकरी के सामान में ही नहीं होता. यह फ्रूट जूस, कैचअप, व्हाइट ब्रेड इन सब में होता है. भले ही सभी फल हेल्दी हों, लेकिन डायबिटिक लोग मनचाहे फल नहीं खा सकते हैं. इस संबंध में डॉक्टर से सलाह लें कि आप कौन सा फल कितनी मात्रा और कितने समय के अंतराल में खाना है.
- डॉक्टर आपको टेबलेट या इंजेक्शन के रूप में दवा देगा, जोकि आपको डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही खाने से पहले, उसके साथ या खाने के बाद लेनी होगी.
- डायबिटीज वाले लोगों को कोई विशेष आहार की जरूरत नहीं है. एक समग्र भोजन, जिसमें फाइबर हो, कम सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाला हो, खाया जा सकता है. बिना स्टार्च वाली सब्जियां पूरे परिवार के लिए पोषक हो सकती हैं.
- आपको आवश्यक रूप से हर महीने ब्लड शुगर की जांच (खाली पेट और खाने के दो घंटे पहले) करनी चाहिए. साथ ही हर तीन महीने में HbA1C लेवल की जांच करानी चाहिए.
- डायबिटीज रोगी के लिए सबसे बेहतर है कि वह घर पर खुद से अपने ब्लड ग्लूकोज की निगरानी करें. विशेष रूप से वो लोग जो इंसुलिन के इंजेक्शन लेते हैं.
- बाजार में पहले से ही SMBG (self monitoring of blood glucose) उपकरण मौजूद हैं.
- सिर्फ ब्लड शुगर ही आपके डायबिटीज की स्थिति की सही तस्वीर पेश कर सकता है. आप समय-समय पर अपने पेशाब शुगर की जांच भी करते रहें. हालांकि पेशाब में शुगर तभी मौजूद होता है, जब खून में ब्लड शुगर की मात्रा अधिक हो.
- डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियां सभी साथ-साथ हो सकती हैं.
- डायबिटीज की मुश्किलों से बचने के लिए हर साल अपने आंखों, किडनी और दिल की जांच अनिवार्य रूप से कराएं.
- हर तीन महीने में एक बार डॉक्टर के पास जरूर जाएं.
(डॉ. निरुता शर्मा राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग में चीफ मेडिकल ऑफिसर हैं. आप ट्विटर हैंडल @nirutasharma पर इनसे संपर्क कर सकते हैं.)
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