एक सरकारी सर्वे में पाया गया है कि एम्स जाने वाला हर चौथा पेशेंट हॉस्पिटल में इलाज और दूसरी सुविधाओं से असंतुष्ट है.
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) आने वाले 28 प्रतिशत मरीज इसके इमरजेंसी और सर्जरी डिपार्टमेंट से संतुष्ट नहीं हैं, जबकि 25 फीसदी लोग ENT डिपार्टमेंट की सेवाओं से खुश नहीं हैं.
कम से कम 23 फीसदी पेशेंट संस्थान के समग्र उपचार और दूसरी सुविधाओं से नाखुश पाए गए. इनमें से ज्यादातर पेशेंट ने इमरजेंसी, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, प्रसूति और स्त्री रोग विभागों में रोगी सेवाओं के प्रति नाराजगी जाहिर की है.
मरीजों का फीडबैक "मेरा अस्पातल" पहल के तहत लिया गया, जिसे 2016 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लॉन्च किया था ताकि पब्लिक हेल्थकेयर फैसिलिटीज में सुधार के लिए लोगों का पक्ष जाना जा सके.
सर्वे से पता चला है कि मरीजों के प्रति कर्मचारियों का व्यवहार एक तिहाई से अधिक पेशेंट्स के असंतोष का प्रमुख कारण है.
सरकारी सर्वेक्षण के फीडबैक नोट में कहा गया है कि मरीजों के असंतोष का प्रमुख कारण कर्मचारियों के व्यवहार (35 प्रतिशत) से उपजा है, इसके बाद दूसरे कारण (34 प्रतिशत) हैं.
एम्स में इलाज की क्वालिटी और लागत रोगियों में असंतोष के दूसरे कारण हैं, क्रमशः 13 प्रतिशत और 12 प्रतिशत रोगी इससे असंतुष्ट हैं. इसके अलावा, 6 प्रतिशत मरीज अस्पताल परिसर में सफाई से असंतुष्ट थे.
कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट को अस्पताल के विभागों में सर्वश्रेष्ठ माना गया, जिसमें 84 प्रतिशत रोगियों ने इसके कामकाज से संतुष्टि जाहिर की. कार्डियोलॉजी अस्पताल के सबसे व्यस्त विभागों में से भी एक है.
आई केयर, बाल रोग और मनोचिकित्सा विभागों से लगभग 80 प्रतिशत रोगी संतुष्ट थे.
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