भारत में करीब 1,25,000 बच्चे ‘टाइप 1 डायबिटीज’ से प्रभावित हैं और इसे लेकर लोगों में काफी कम जागरुकता है. यूएन पैरेंट्स डे पर पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले बच्चों की इस दुर्दशा पर ध्यान दिला रहे हैं. 'नोवो नॉरडिस्क एजुकेशन फाउंडेशन' की तरफ से बोलते हुए उन्होंने कहा,
टाइप 1 डायबिटीज को अगर दिव्यांग अधिकार एक्ट (डिसेबिलिटी एक्ट) में शामिल किया जाए तो पूरे 1,25,000 बच्चों को इलाज का सहारा मिल सकता है.अनिल कुंबले, पूर्व क्रिकेटर
डॉक्टर कहते हैं कि ‘टाइप 1 डायबिटीज’ के बच्चे बिना बाहर से इंस्यूलीन लिए जीवित नहीं रह सकते. इसका मतलब पूरी जिंदगी और दिन में कई बार इंस्यूलीन लेना होगा. इंस्यूलीन पंप या इंजेक्शन से दिया जाता है.
इस तरह के बच्चों के पैरेंट्स को बच्चे के खून में ग्लूकोज और फिजीकल एक्टिविटी का ध्यान रखना होता है. साथ ही उनके शरीर के कार्बोहाइड्रेट लेवल का भी खयाल रखना जरूरी है.
कुंबले ने अपील करते हुए कहा कि गरीब परिवारों के लिए इस तरह की बीमारी से लड़ना मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि कुछ लोगों का सारा पैसा इसमें लग जाता है. इस तरह की बीमारी से लड़ने के लिए बच्चे और डॉक्टर को ही नहीं बल्कि परिवार को भी शामिल होना पड़ेगा. ताकि बच्चों में आत्मविश्वास बना रहे.
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