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Anti-sleep Pills क्या है, जिसे खाकर स्टूडेंट्स परीक्षा के लिए देर तक जागते हैं?

Board Exams Stress: अच्छे ग्रेड पाने के लिए बच्चे अपने स्वास्थ्य की कीमत पर भी किसी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं.

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Anti-sleep Pills For Board Exams: लखनऊ की छात्रा प्राजक्ता अपनी 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रही थी, जब दवा के एंटी-स्लीप पिल्स के ओवरडोज के कारण उसे अस्पताल ले जाया गया और आपातकालीन सर्जरी करानी पड़ी.

पता चला कि, अपने परिवार को बताए बिना, प्राजक्ता अपनी परीक्षाओं के लिए लंबे समय तक जागने में मदद करने के लिए बड़ी मात्रा में कैफीन के साथ-साथ 'एंटी-स्लीप' पिल्स भी ले रही थी. इसके कारण उनके नर्व डैमेज हुए और ब्रेन में थक्का जम गया.

भारत में बच्चों पर लगातार बढ़ रहा पढ़ाई का दवाब और रिजल्ट का स्ट्रेस आए दिन हमारे सामने कोई न कोई बुरी खबर ले कर आती है. स्टूडेंट्स में बढ़ रहे सुसाइड के मामले देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है.

आजकल हाल ये है कि अच्छे ग्रेड पाने के लिए बच्चे अपने स्वास्थ्य की कीमत पर भी किस हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं.

फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की और जाना एंटी-स्लीप पिल्स क्या हैं? स्कूली छात्रों को ये एंटी-स्लीप पिल्स कैसे मिल रही हैं? वे कितने हानिकारक हैं? बोर्ड एग्जाम के स्ट्रेस को दूर रखने में माता-पिता बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं?

Anti-sleep Pills क्या है, जिसे खाकर स्टूडेंट्स परीक्षा के लिए देर तक जागते हैं?

  1. 1. एंटी-स्लीप पिल्स क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं?

    सीधे शब्दों में कहें तो, एंटी-स्लीप पिल्स आपको जागते रहने में मदद करती हैं, जिससे आप अधिक सतर्क और कम नींद महसूस करते हैं. इनके इस्तेमाल से इंसान रात को सो नहीं पता है, वह जगा रहता है और उसका ध्यान फोकस्ड रहता है.

    "परीक्षा के दौरान रात भर पढ़ाई करने के लिए कुछ बच्चे एंटी-स्लीप पिल्स लेने लगे हैं. इन एंटी-स्लीप पिल्स में मोडाफिनिल (modafinil) और आर-मोडाफिनिल (r-modafinil) टैबलेट शामिल हैं, जो आजकल बिना प्रिस्क्रिप्शन के ओवर-डी-काउंटर उपलब्ध हैं, हालांकि यह लीगल नहीं है."
    डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

    डॉ. राजीव गुप्ता आगे कहते हैं कि डॉक्टर इन दवाओं का सावधानी से उपयोग करते हैं. अक्सर इसका इस्तेमाल थेराप्यूटिक पर्पस के लिए किया जाता है, जैसे कि नार्कोलेप्सी (narcolepsy) के मामले में, जिसमें दिन के समय बहुत नींद आती है और स्लीप एपनिया सिंड्रोम में, इसमें भी दिन के समय नींद आती है.

    "रात में बिना सोए पढ़ाई करने के लिए, इस दवाई का इस्तेमाल करना काफी हद तक ठीक नहीं है."
    डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

    गुड़गांव, मणिपाल अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अपूर्व शर्मा बताती हैं,

    "यह ब्रेन में खास तरह के न्यूरोट्रांसमीटरों को प्रभावित करके काम करता है, जिसमें डोपामाइन, नॉरपेनेफ्रिन और हिस्टामाइन शामिल हैं. इन न्यूरोट्रांसमीटरों की गतिविधि को बढ़ाकर, खासतौर से सोने-जागने के साइकिल को रेगुलेट करने में, मोडाफिनिल नींद को दूर रख जागे रहने को बढ़ावा देता है और दिन में आने वाली नींद को कम करता है."

    भारत में, मोडाफिनिल को आमतौर पर 'प्रोविजिल' ब्रांड नाम से प्रीस्क्राइब किया जाता है.

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  2. 2. स्कूली बच्चों को एंटी-स्लीप पिल्स कैसे मिल रही हैं?

    "एंटी-स्लीप पिल्स जैसी दवाओं की आसान उपलब्धता ने छात्रों के बीच आसमान छूते उपयोग में भूमिका निभाई है, क्योंकि वे 'चुनिया' और 'मीठी' के नाम से बिना प्रिस्क्रिप्शन के ओवर-द-काउंटर बेची जाती हैं."
    डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

    डॉ. ध्रुव बिबरा, सीनियर कंसलटेंट- दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर के अनुसार यह दवा (मोडाफिनिल और दूसरी एंटी स्लीप पिल्स) कभी भी बिना मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के नहीं बेची जानी चाहिए. इसके अलावा, मरीज को केवल अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर द्वारा रिकमेंड किए गए समय के लिए ही गोलियों का सेवन करना चाहिए.

    हालांकि, जाहिर तौर पर, जो लोग इस दवा को इस्तेमाल करना चाहते हैं वो किसी न किसी तरीके से इसे खरीदने का रास्ता खोज ही ले रहे हैं.

    आईएएनएस ने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शरद श्रीवास्तव के हवाले से कहा, "इन दवाओं को काउंटरों पर 'चुनिया' और 'मीठी' जैसे नामों से बेचा जा रहा है. यह एक बहुत ही खतरनाक चलन है और दवाओं की तस्करी बैंकॉक जैसे शहरों से की जा रही है".

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  3. 3. क्या हैं एंटी-स्लीप पिल्स के साइड इफेक्ट्स?

    एक्सपर्ट बताते हैं कि इस दवा का लगातार उपयोग करने पर आपको अगले दिन इसके साइड इफेक्ट्स दिखाई देंगे और दूसरी समस्या यह है कि इसकी आदत भी लग सकती है.

    "इसके साइड इफेक्ट्स में स्किन से जुड़ी परेशानियां होती हैं, जो जानलेवा हो सकती है, इसके अलावा सिरदर्द, चक्कर आना, इंसोमनिया, यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति भी महसूस की जा सकती है."
    डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

    डॉ. राजीव गुप्ता आगे बताते हैं कि कभी-कभी बहुत अधिक डोस लेने पर हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर रक्तचाप बढ़ सकता है और यह इतना बढ़ सकता है कि ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है, जिसे हम पैरालिसिस (paralysis) कहते हैं. दिल का दौरा भी पड़ सकता है. इसलिए जिन लोगों को दिल की बीमारी है उन्हें डॉक्टर बहुत सोच-समझ कर सावधानी के साथ देते हैं.

    मोडोफिल के साइड इफेक्ट्स की एक लंबी सूची है, जिनमें शामिल हैं,

    • मतली या उलटी

    • पाचन संबंधी समस्याएं

    • धुंधली दृष्टि

    • धड़कन बढ़ना

    • मूड में बदलाव, जिसमें घबराहट या चिड़चिड़ापन भी शामिल है

    • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या याददाश्त संबंधी समस्याएं

    • मतिभ्रम

    • कोमा में चले जाना

    • लिवर या दूसरे अंग का डैमेज होना

    • सांस लेने में कठिनाई

    • हाइपरटेंशन

    विशेषज्ञों का कहना है कि कैफीन के साथ लेने पर यह मेडिसिन और अधिक खतरनाक हो जाती है.

    डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि अक्सर कुछ बच्चे रात में पढ़ाई के समय बार-बार स्ट्रॉन्ग कॉफी के रूप में कैफीन की अधिक मात्रा लेते हैं, ब्लैक कॉफी का सेवन करते हैं ताकि कैफीन के कारण ब्रेन स्टिमुलेट रहे.

    वो आगे कहते हैं,

    "उस समय ब्रेन स्टिमुलेट रह सकता है, नींद नहीं आएगी लेकिन अगले दिन जब इन दवाओं का स्तर ब्लड से कम हो जाता है, तो शरीर पर इसका बुरा और उल्टा प्रभाव पड़ता है, बच्चे को अधिक नींद आने लगती है, ध्यान भटक जाता है, चक्कर आने लगते हैं."
    डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली
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  4. 4. टिप्स जिससे माता-पिता बच्चों का स्ट्रेस कम कर सकते हैं 

    "बोर्ड परीक्षाएं छात्रों में बहुत तनाव पैदा कर सकती हैं. माता-पिता और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण हाई परसेंटेज लाने का दबाव बच्चों को कई अनहेल्दी विकल्प चुनने की ओर ले जाता है जैसे कि अधिक कैफीन का सेवन, याददाश्त बढ़ाने वाली सिरप, एंटी एंजाइटी दवाएं, एंटी-स्लीप पिल्स और भी कई चीजें हैं."
    डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

    ऐसे में माता-पिता बच्चों का तनाव कम करने और उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. यहां एक्सपर्ट ने कुछ सुझाव दिये गए हैं, जिससे माता-पिता अपने बच्चों का स्ट्रेस कम कर उनकी मदद कर सकते हैं:

    • वास्तविक अपेक्षाएं रखें: माता-पिता की अवास्तविक अपेक्षाएं बच्चों में तनाव और चिंता पैदा कर सकती हैं. माता-पिता को यह समझना चाहिए कि सभी बच्चे हाई परसेंटेज प्राप्त नहीं कर सकते. याद रखें कि किसी बच्चे की योग्यता परीक्षा के अंकों से निर्धारित नहीं होती है.

    • समर्थन और प्रोत्साहन: माता-पिता को अपने बच्चों को इमोशनल सपोर्ट देने के लिए पॉजिटिव एप्रोच रखना चाहिए. उन्हें अपने बच्चों को परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए न कि सबसे अधिक नंबर/ग्रेड लेन का प्रेशर देना चाहिए.

    • पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल: पढ़ाई करते समय आस-पास का माहौल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ध्यान भटकाने वाला और शोर मुक्त वातावरण स्टडीज के रिजल्ट को बेहतर बनाने में मदद करता है, इसलिए माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चों को पढ़ने के लिए एक शांत और आरामदायक जगह मिले.

    • टाइम मैनेजमेंट: अच्छे अंक प्राप्त करने का कोई शॉर्ट कट नहीं है, लेकिन समझदारी से और सही मैनेजमेंट के साथ स्टडी करके अच्छे रिजल्ट प्राप्त किए जा सकते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को स्टडी शेड्यूल बनाने और उनके पढ़ाई के समय को प्राथमिकता देने में मदद कर सकते हैं. माता-पिता को भी थकान से बचने के लिए पढ़ाई के बीच फ्री टाइम लेना चाहिए.

    • स्वस्थ आदतें: माता-पिता को विशेष रूप से परीक्षा के दौरान पर्याप्त नींद, एक्सरसाइज और संतुलित आहार जैसी स्वस्थ आदतों के महत्व पर जोर देना चाहिए. नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, चिंता और कमजोर याददाश्त हो सकती है, जो पहले से ही हो रही परीक्षा के तनाव को बढ़ाती है.

    • बच्चों को खुल कर बात करने वाला माहौल दें: माता-पिता को बच्चों के साथ बात करने के लिए समय निकालना चाहिए. उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं.

    "आपके मन में उनके लिए जो प्यार है वो जरुरी दिखाएं. उन्हें असामान्य व्यवहार पर भी नजर रखनी चाहिए और उन्हें ओवर-द-काउंटर गोलियों के साइड इफेक्ट्स के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करनी चाहिए, जिससे उन्हें ऐसी दवाएं लेने से परहेज करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके."
    डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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एंटी-स्लीप पिल्स क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं?

सीधे शब्दों में कहें तो, एंटी-स्लीप पिल्स आपको जागते रहने में मदद करती हैं, जिससे आप अधिक सतर्क और कम नींद महसूस करते हैं. इनके इस्तेमाल से इंसान रात को सो नहीं पता है, वह जगा रहता है और उसका ध्यान फोकस्ड रहता है.

"परीक्षा के दौरान रात भर पढ़ाई करने के लिए कुछ बच्चे एंटी-स्लीप पिल्स लेने लगे हैं. इन एंटी-स्लीप पिल्स में मोडाफिनिल (modafinil) और आर-मोडाफिनिल (r-modafinil) टैबलेट शामिल हैं, जो आजकल बिना प्रिस्क्रिप्शन के ओवर-डी-काउंटर उपलब्ध हैं, हालांकि यह लीगल नहीं है."
डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

डॉ. राजीव गुप्ता आगे कहते हैं कि डॉक्टर इन दवाओं का सावधानी से उपयोग करते हैं. अक्सर इसका इस्तेमाल थेराप्यूटिक पर्पस के लिए किया जाता है, जैसे कि नार्कोलेप्सी (narcolepsy) के मामले में, जिसमें दिन के समय बहुत नींद आती है और स्लीप एपनिया सिंड्रोम में, इसमें भी दिन के समय नींद आती है.

"रात में बिना सोए पढ़ाई करने के लिए, इस दवाई का इस्तेमाल करना काफी हद तक ठीक नहीं है."
डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

गुड़गांव, मणिपाल अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अपूर्व शर्मा बताती हैं,

"यह ब्रेन में खास तरह के न्यूरोट्रांसमीटरों को प्रभावित करके काम करता है, जिसमें डोपामाइन, नॉरपेनेफ्रिन और हिस्टामाइन शामिल हैं. इन न्यूरोट्रांसमीटरों की गतिविधि को बढ़ाकर, खासतौर से सोने-जागने के साइकिल को रेगुलेट करने में, मोडाफिनिल नींद को दूर रख जागे रहने को बढ़ावा देता है और दिन में आने वाली नींद को कम करता है."

भारत में, मोडाफिनिल को आमतौर पर 'प्रोविजिल' ब्रांड नाम से प्रीस्क्राइब किया जाता है.

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स्कूली बच्चों को एंटी-स्लीप पिल्स कैसे मिल रही हैं?

"एंटी-स्लीप पिल्स जैसी दवाओं की आसान उपलब्धता ने छात्रों के बीच आसमान छूते उपयोग में भूमिका निभाई है, क्योंकि वे 'चुनिया' और 'मीठी' के नाम से बिना प्रिस्क्रिप्शन के ओवर-द-काउंटर बेची जाती हैं."
डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉ. ध्रुव बिबरा, सीनियर कंसलटेंट- दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर के अनुसार यह दवा (मोडाफिनिल और दूसरी एंटी स्लीप पिल्स) कभी भी बिना मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के नहीं बेची जानी चाहिए. इसके अलावा, मरीज को केवल अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर द्वारा रिकमेंड किए गए समय के लिए ही गोलियों का सेवन करना चाहिए.

हालांकि, जाहिर तौर पर, जो लोग इस दवा को इस्तेमाल करना चाहते हैं वो किसी न किसी तरीके से इसे खरीदने का रास्ता खोज ही ले रहे हैं.

आईएएनएस ने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शरद श्रीवास्तव के हवाले से कहा, "इन दवाओं को काउंटरों पर 'चुनिया' और 'मीठी' जैसे नामों से बेचा जा रहा है. यह एक बहुत ही खतरनाक चलन है और दवाओं की तस्करी बैंकॉक जैसे शहरों से की जा रही है".

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क्या हैं एंटी-स्लीप पिल्स के साइड इफेक्ट्स?

एक्सपर्ट बताते हैं कि इस दवा का लगातार उपयोग करने पर आपको अगले दिन इसके साइड इफेक्ट्स दिखाई देंगे और दूसरी समस्या यह है कि इसकी आदत भी लग सकती है.

"इसके साइड इफेक्ट्स में स्किन से जुड़ी परेशानियां होती हैं, जो जानलेवा हो सकती है, इसके अलावा सिरदर्द, चक्कर आना, इंसोमनिया, यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति भी महसूस की जा सकती है."
डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली

डॉ. राजीव गुप्ता आगे बताते हैं कि कभी-कभी बहुत अधिक डोस लेने पर हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर रक्तचाप बढ़ सकता है और यह इतना बढ़ सकता है कि ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है, जिसे हम पैरालिसिस (paralysis) कहते हैं. दिल का दौरा भी पड़ सकता है. इसलिए जिन लोगों को दिल की बीमारी है उन्हें डॉक्टर बहुत सोच-समझ कर सावधानी के साथ देते हैं.

मोडोफिल के साइड इफेक्ट्स की एक लंबी सूची है, जिनमें शामिल हैं,

  • मतली या उलटी

  • पाचन संबंधी समस्याएं

  • धुंधली दृष्टि

  • धड़कन बढ़ना

  • मूड में बदलाव, जिसमें घबराहट या चिड़चिड़ापन भी शामिल है

  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या याददाश्त संबंधी समस्याएं

  • मतिभ्रम

  • कोमा में चले जाना

  • लिवर या दूसरे अंग का डैमेज होना

  • सांस लेने में कठिनाई

  • हाइपरटेंशन

विशेषज्ञों का कहना है कि कैफीन के साथ लेने पर यह मेडिसिन और अधिक खतरनाक हो जाती है.

डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि अक्सर कुछ बच्चे रात में पढ़ाई के समय बार-बार स्ट्रॉन्ग कॉफी के रूप में कैफीन की अधिक मात्रा लेते हैं, ब्लैक कॉफी का सेवन करते हैं ताकि कैफीन के कारण ब्रेन स्टिमुलेट रहे.

वो आगे कहते हैं,

"उस समय ब्रेन स्टिमुलेट रह सकता है, नींद नहीं आएगी लेकिन अगले दिन जब इन दवाओं का स्तर ब्लड से कम हो जाता है, तो शरीर पर इसका बुरा और उल्टा प्रभाव पड़ता है, बच्चे को अधिक नींद आने लगती है, ध्यान भटक जाता है, चक्कर आने लगते हैं."
डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, सी के बिड़ला अस्पताल®️, दिल्ली
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टिप्स जिससे माता-पिता बच्चों का स्ट्रेस कम कर सकते हैं 

"बोर्ड परीक्षाएं छात्रों में बहुत तनाव पैदा कर सकती हैं. माता-पिता और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण हाई परसेंटेज लाने का दबाव बच्चों को कई अनहेल्दी विकल्प चुनने की ओर ले जाता है जैसे कि अधिक कैफीन का सेवन, याददाश्त बढ़ाने वाली सिरप, एंटी एंजाइटी दवाएं, एंटी-स्लीप पिल्स और भी कई चीजें हैं."
डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

ऐसे में माता-पिता बच्चों का तनाव कम करने और उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. यहां एक्सपर्ट ने कुछ सुझाव दिये गए हैं, जिससे माता-पिता अपने बच्चों का स्ट्रेस कम कर उनकी मदद कर सकते हैं:

  • वास्तविक अपेक्षाएं रखें: माता-पिता की अवास्तविक अपेक्षाएं बच्चों में तनाव और चिंता पैदा कर सकती हैं. माता-पिता को यह समझना चाहिए कि सभी बच्चे हाई परसेंटेज प्राप्त नहीं कर सकते. याद रखें कि किसी बच्चे की योग्यता परीक्षा के अंकों से निर्धारित नहीं होती है.

  • समर्थन और प्रोत्साहन: माता-पिता को अपने बच्चों को इमोशनल सपोर्ट देने के लिए पॉजिटिव एप्रोच रखना चाहिए. उन्हें अपने बच्चों को परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए न कि सबसे अधिक नंबर/ग्रेड लेन का प्रेशर देना चाहिए.

  • पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल: पढ़ाई करते समय आस-पास का माहौल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ध्यान भटकाने वाला और शोर मुक्त वातावरण स्टडीज के रिजल्ट को बेहतर बनाने में मदद करता है, इसलिए माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चों को पढ़ने के लिए एक शांत और आरामदायक जगह मिले.

  • टाइम मैनेजमेंट: अच्छे अंक प्राप्त करने का कोई शॉर्ट कट नहीं है, लेकिन समझदारी से और सही मैनेजमेंट के साथ स्टडी करके अच्छे रिजल्ट प्राप्त किए जा सकते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को स्टडी शेड्यूल बनाने और उनके पढ़ाई के समय को प्राथमिकता देने में मदद कर सकते हैं. माता-पिता को भी थकान से बचने के लिए पढ़ाई के बीच फ्री टाइम लेना चाहिए.

  • स्वस्थ आदतें: माता-पिता को विशेष रूप से परीक्षा के दौरान पर्याप्त नींद, एक्सरसाइज और संतुलित आहार जैसी स्वस्थ आदतों के महत्व पर जोर देना चाहिए. नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, चिंता और कमजोर याददाश्त हो सकती है, जो पहले से ही हो रही परीक्षा के तनाव को बढ़ाती है.

  • बच्चों को खुल कर बात करने वाला माहौल दें: माता-पिता को बच्चों के साथ बात करने के लिए समय निकालना चाहिए. उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं.

"आपके मन में उनके लिए जो प्यार है वो जरुरी दिखाएं. उन्हें असामान्य व्यवहार पर भी नजर रखनी चाहिए और उन्हें ओवर-द-काउंटर गोलियों के साइड इफेक्ट्स के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करनी चाहिए, जिससे उन्हें ऐसी दवाएं लेने से परहेज करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके."
डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर-डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्री, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

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