अर्थराइटिस यानी गठिया जिससे लगभग 14 फीसदी आबादी परेशान है. इससे भी ज्यादा अहम बात ये है कि अब कम उम्र के लोगों को भी गठिया की दिक्कतें होने लगी हैं.
पहले गठिया होने की चिंता तब तक नहीं होती थी, जब तक कि कोई 60 की उम्र पार न कर ले, लेकिन आजकल युवा लोगों में भी गठिया के लक्षण देखे जा रहे हैं. यहां तक कि 30-40 की उम्र में भी अर्थराइटिस की दिक्कतें होने लगी हैं और तो और जोड़ों की दिक्कतें 20 की उम्र के बाद से ही शुरू होने लगी हैं.
आज हम अपनी लाइफस्टाइल में जो भी बदलाव करेंगे, उन्हीं का असर उम्र बढ़ने के साथ हमारे जोड़ों और मांसपेशियों पर दिखेगा.
अपने वजन पर रखें नजर
जरूरत से ज्यादा वजन अर्थराइटिस का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है. अतिरिक्त वजन की वजह से जोड़ों जैसे कूल्हों और घुटनों पर ज्यादा दबाव पड़ता है. तो जितना संभव हो सके अपना वजन संतुलित रखें और पूरी तरह से डाइटिंग करने से भी बचें.
फॉलो करें हेल्दी डाइट प्लान
कुछ तरह की डाइट में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन की मात्रा पर बल दिया जाता है, जिससे जोड़ों में यूरिक एसिड इकट्ठा हो सकता है, जिससे जोड़ों में सूजन की समस्या हो सकती है.
वहीं कुछ डाइट में कम कैलोरी लेने को कहा जाता है, जिससे आप एक तरह से भूखे ही रह सकते हैं. इससे शरीर में कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है. इससे कार्टिलेज इस हद तक कमजोर हो जाते हैं कि अतिरिक्त वजन या थोड़ी ज्यादा एक्टिविटी भी नुकसान पहुंचा सकती है और अर्थराइटिस का खतरा हो सकता है.
इसलिए, वजन कम करने के लिए केवल हेल्दी डाइट प्लान को ही फॉलो करें, जिससे आपको पर्याप्त पोषक तत्वों की आपूर्ति होती रहे.
रोजाना एक्सरसाइज करें
शारीरिक गतिविधि मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत करने का सबसे अच्छा उपाय है. मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जरूरी है. फिर भी हम में से ज्यादातर लोग रेगुलर एक्सरसाइज को गंभीरता से नहीं लेते हैं. नियम से एक्सरसाइज करने के साथ ही ये भी जरूरी है कि आप एक्सरसाइज ठीक तरीके से करें. मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों की सुरक्षा के लिए संतुलित और प्रभावी एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है.
डायबिटीज से बढ़ सकती है तकलीफ
डायबिटीज, जो ब्लड शुगर (ग्लूकोज) को नियंत्रित करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करता है, इससे अर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह शरीर में इंफ्लेमेशन को बढ़ाने का काम करता है, जिससे जोड़ों में कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है. अपने ब्लड शुगर को संतुलित रखें और डायबिटीज से बचें. अगर आपको डायबिटीज है, तो ब्लड शुगर की रेगुलर जांच करवाएं.
ये चीजें बढ़ाती हैं अर्थराइटिस का खतरा
- चीनी: इससे शरीर में साइटोकाइंस रिलीज होना शुरू होता है, जो बॉडी में सूजन का कारण बनता है और इस तरह अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ता है. उन सभी चीजों से परहेज करें, जिनमें रिफाइंड शुगर होता है, जैसे पेस्ट्री, चॉकलेट, कैंडी, सोडा और यहां तक कि फलों के जूस भी.
- मीट: खासकर रेड मीट क्योंकि इसमें सैचुरेटेड फैट बहुत होता है. इसमें एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) का लेवल हाई रहता है, जिससे सूजन बढ़ती है, ये तब और ज्यादा होता है, जब मांस ग्रिल्ड, रोस्टेड या फ्राइड होता है.
- रिफाइंड (परिष्कृत) अनाज: इनसे ब्लड ग्लूकोज लेवल में बढ़ोतरी हो जाती है, जो शरीर में कई सूजन-संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है.
- रिफाइंड वेजिटेबल ऑयल्स: भले ही कॉर्न, मूंगफली, सूरजमुखी और सोया ऑयल्स में ओमेगा-6 फैटी एसिड भरपूर होता है. लेकिन डाइट में हमें इनकी कम मात्रा में ही जरूरत होती है और जरूरत से ज्यादा इनकी खपत शरीर में ऐसे रसायनों को ट्रिगर कर सकती है, जिससे सूजन की समस्या हो जाए.
अर्थराइटिस में राहत दे सकती हैं ये 11 चीजें
- अदरक: इस जड़ को इसका स्वाद देने वाले जिंजरोल कंपाउंड एंटी-इंफ्लेमेटरी लगते हैं. इसके सेवन से अर्थराइटिस के मरीजों को राहत मिलती है.
- लहसुन: इसमें पाया जाने वाला डायअलाइल डायसल्फाइन शरीर में कार्टिलेज को नुकसान पहुंचाने वाले एंजाइमों को सीमित करने में मदद करता है.
- हल्दी: इसमें मौजूद करक्यूमिन, शरीर में सूजन को कम करने का काम करता है.
- काली मिर्च: काली मिर्च में पाइपराइन मौजूद होता है, जो शरीर में सूजन की प्रक्रिया को रोकने में प्रभावी होता है.
- दालचीनी: इसमें cinnamomum पाया जाता है, एक ऐसा यौगिक जो अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी एक्शन के लिए जाना जाता है, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है.
- पालक: इसमें एंटीऑक्सीडेंट कैम्फेरोल मौजूद होता है, जो रूमटॉइड अर्थराइटिस से जुड़े इंफ्लेमेटरी एजेंटों के प्रभाव को कम करने में मददगार होता है.
- बेरीज: चेरी, स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी में मौजूद एंथोसाइनिन सूजन को दूर करने का काम करता है.
- अंगूर: इसमें प्रोएंथोसाइनिडिन नामक यौगिक मौजूद होता है, जिससे अर्थराइटिस में काफी राहत मिल सकती है.
- ग्रीन टी: इसमें पॉलीफेनॉल होता है, ये एंटीऑक्सीडेंट सूजन को कम करने और कार्टिलेज के नुकसान को रोकता है.
- फैटी मछली (सैलमन, मैकेरल): इसमें ओमेगा 3 मौजूद होता है, जो सूजन को रोकने में मदद करता है.
- एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल): इस तेल में ओलेकैंथल नाम का यौगिक मौजूद होता है, जो सूजन-संबंधी परेशानी को दूर करने में काफी प्रभावी होता है.
(कविता देवगन दिल्ली में रहने वाली एक न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो किताबें Don’t Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico) और Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)