उत्तराखंड की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी (Uttarakhand Ayurveda and Unani Licensing Authority) ने योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की पतंजलि आयुर्वेद की दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की पांच दवाओं (मधुमेह, रक्तचाप, घेंघा, ग्लूकोमा और उच्च कोलेस्ट्रॉल) के उत्पादन को रोकने के आदेश को रद्द कर दिया है. पहले के आदेश में संशोधन करते हुए प्राधिकरण ने शनिवार को नया आदेश जारी कर फर्म को इन दवाओं का उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी है. 9 नवंबर के पिछले आदेश में एक त्रुटि थी, जिस कारण उसको संशोधित किया गया.
राज्य के स्वास्थ्य प्राधिकरण के ड्रग कंट्रोलर जीसीएन जंगपांगी ने 9 नवंबर के पिछले आदेश पर यू-टर्न लेते हुए कहा कि यह जल्दबाजी में जारी किया गया था. जंगपांगी ने कहा कि, "हमें आदेश जारी करने से पहले कंपनी को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय देना चाहिए था."
वहीं बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने त्रुटि को सुधारने के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है.
बता दें कि उत्तराखंड ड्रग्स रेग्युलेटर ने दिव्य फार्मेसी को लेटर लिखकर दवाओं का प्रोडक्शन जारी रखने की अनुमति दी है.
5 दवाएं जिन पर लगा था बैन
पतंजलि (Patanjali) की दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की जिन 5 दवाओं के उत्पादन पर रोक लगी थी, वे बीपी की बीपीग्रिट, डायबिटीज की मधुग्रिट, ग्वायटर की थायरोग्रिट, उच्च कोलेस्ट्रॉल की लिपिडोम टैबलेट और ग्लूकोमा कीआईग्रिट हैं.
पिछले आदेश में कहा गया था कि कंपनी इन उत्पादों का निर्माण तभी शुरू कर सकती है जब प्राधिकरण उनकी संशोधित फॉर्मूलेशन शीट्स को मंजूरी दे.
नेत्र विशेषज्ञ केवी बाबू द्वारा दायर की गई थी याचिका
एयूएलए ने यह कार्रवाई केरल के नेत्र विशेषज्ञ केवी बाबू द्वारा दायर की गई एक शिकायत के बाद की गई थी, जिसमें उन्होंने दिव्या फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट 1954, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और 1940 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. डॉ. बाबू ने जुलाई में अथॉरिटी के पास फर्म के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. इसके अलावा एक्शन ना होने की स्थिति में 11 अक्टूबर को ईमेल के जरिए दूसरी शिकायत की थी. इसमें कहा गया था कि पतंजलि की इन दवाओं के विज्ञापन में बीपी, ग्लूकॉमा, ग्वायटर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की रोकथाम और पूरी तरह से निराकरण करने का दावा किया गया है जोकि इस ऐक्ट का उल्लंघन है.
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