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ब्रेस्ट कैंसर: इन बातों पर ध्यान देना है जरूरी

भारत में हर साल करीब एक लाख महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती है.

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 ब्रेस्ट कैंसर: इन बातों पर ध्यान देना है जरूरी
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भारत में बीते एक दशक में स्तन कैंसर के मामले कई गुना बढ़ गए हैं. स्तन कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कम उम्र में ही शिकार बना रहा है. भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र लगभग 47 साल है, जो कि पश्चिमी देशों के मुकाबले 10 साल कम है.

भारत में हर साल करीब एक लाख महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती है, जो किसी भी एशियाई देश में सबसे ज्यादा है और अमेरिका की तुलना में दोगुना है.

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सही जानकारी, जागरुकता, थोड़ी सी सावधानी और समय पर इसके लक्षणों की पहचान व इलाज से इस कैंसर को हराया जा सकता है. 

स्तन कैंसर: क्या हैं रिस्क फैक्टर्स?

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंस्लटेंट सर्जिकल ओंकोलॉजी, डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी के मुताबिक स्तन कैंसर का कोई एक खास कारण नहीं है. यह फेफड़े के कैंसर की तरह नहीं है, जिसमें अगर आप सिगरेट या तंबाकू बंद कर दें या उससे बचें, तो इसे रोका जा सकता है. स्तन कैंसर के लिए कई रिस्क फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं.

मेकअप के सामान

मेकअप के कई सामानों में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन होता है.
(फोटो: iStock)
पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन नाम का एक कम्पाउंड है. ये खाने के पदार्थो में पाए जाते हैं. मेकअप के सामानों में पाए जाते हैं. पॉलिश में पाए जाए जाते हैं. कॉस्मेटिक्स में पाए जाते हैं. इनका स्तन कैंसर से सीधा संबंध है. ये जितने भी उद्योग हैं, वे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उनका उत्पादन खर्च कम होता है. यह दुनिया भर में होता है. 
डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी, सीनियर कंस्लटेंट सर्जिकल ओंकोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल

फास्ट फूड का बढ़ता चलन

इसमें प्रोसेस्ड फूड और शुगर का बहुत अधिक प्रयोग होता है
(फोटो: iStock) 
स्तन कैंसर का दूसरा रिस्क फैक्टर है फास्ट फूड का बढ़ता चलन. इसमें प्रोसेस्ड फूड और शुगर का बहुत अधिक प्रयोग होता है. जितना आप शुगर का उपयोग करेंगे, आप मोटे होंगे और मोटापा कई बीमारियों का घर होता है.
डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी, सीनियर कंस्लटेंट सर्जिकल ओंकोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
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क्या शराब पीने से भी होता है ब्रेस्ट कैंसर?

ब्रेस्ट कैंसर का शराब से संबंध
(फोटो: iStock) 

कुछ अध्ययनों के मुताबिक एल्कोहल के 1-2 (या उससे ज्यादा) ड्रिंक ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ा देते हैं.

शराब किसी महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकता है और ब्लड में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ा सकता है. एस्ट्रोजन के स्तर में यही वृद्धि ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ा देती है. 
डॉ कबीर रहमानी, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकर ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा 
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लाइलाज नहीं है स्तन कैंसर

डॉ साहनी के मुताबिक स्तन कैंसर लाइलाज नहीं है, लेकिन इलाज के लिए इसका सही समय पर पता लगना जरूरी होता है. ये एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता लगाकर जड़ से खत्म किया जा सकता है.

हर औरत को स्तनों की जांच करते रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की असामान्य स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. महिलाओं को महीने में एक बार स्तन की जांच करनी चाहिए. यह नियमित तौर पर होना चाहिए. इसके लिए खुद को यह समझाना जरूरी है कि यह मेरे लिए सामान्य है.
डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
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किस तरह की दिक्कतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए?

किसी भी समस्या को टाले नहीं
(फोटो: iStock) 

इसे लेकर डॉक्टर साहनी का कहना है कि एक महिला अपने स्तन को अच्छी तरह जानती है. मसलन, उसका आकार क्या है. अगर खुद ही जांच के दौरान किसी भी प्रकार की असामान्य बात नजर आती है, तो डॉक्टर से जांच कराना चाहिए. इस समस्या को टालने से ये और बढ़ जाएगा और इसके बाद एक महिला को लंबा इलाज कराना होगा.

तीन बातों का खास ध्यान रखें

  • स्तनों पर किसी तरह का बदलाव महसूस नजर आए, तो सावधान हो जाइए.
  • स्तन के स्किन के ऊपर कुछ भी असामान्य नजर आए, तो सतर्क हो जाइए.
  • सबसे जरूरी बात, अगर निपल से बिना छुए कोई तरल पदार्थ निकल रहा है, तो उसे गंभीरता से लीजिए. इसे कभी नजरअंदाज मत कीजिए.
जिन महिलाओं में माहवारी आ रही है, वे माहवारी शुरू होने के 10 दिन बाद और जिनकी माहवारी बंद हो गई है, वे महीने में एक दिन तय करें लें और जांच करें. दाहिने हाथ से बायां स्तन और बाएं हाथ से दाहिना स्तन गोल-गोल घुमाकर देखें और अगर कोई भी असामान्य बात नजर आती है, मसलन किसी भी प्रकार का दर्द या फिर निपल्स से किसी भी प्रकार का स्राव होता है, तो इसकी तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं.
खुद से करें स्तनों की जांच
(फोटो: iStock) 

डॉक्टर साहनी के मुताबिक जो महिलाएं 40 साल पार कर गई हैं, उन्हें साल में एक बार मैमोग्राफी करानी चाहिए. डॉ साहनी ने बताया कि इस जांच से इस बीमारी का उस समय पता चलता है, जब आपको किसी भी प्रकार की समस्या का एहसास नहीं हो रहा होता है.

मैमोग्राफी के दौरान किसी भी व्यक्ति को रेडियशन से कोई खतरा नहीं होता.
डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल

डॉक्टर साहनी कहते हैं कि अगर आपने किसी भी प्रकार की गांठ को नजरअंदाज किया, तो वह कैंसर का रूप ले सकता है. बेशक यह जांच थोड़ी महंगी है, लेकिन स्तन कैंसर से बचने के लिए जागरुकता और स्वत: जांच बहुत जरूरी है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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