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Burnout Syndrome: बर्नआउट सिंड्रोम क्या है? बर्नआउट के शिकार होने से ऐसे बचें

WHO के मुताबिक बर्नआउट क्रॉनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से भी होता है.

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बिस्तर से उठने का मन नहीं करना, किसी काम में मन नहीं लगना, हर समय थकान महसूस होना, हैरान-परेशान महसूस रहना. अगर ऐसा आपके साथ भी हो रहा है, तो हो सकता है आप बर्नआउट के शिकार हो रहे हों. आजकल की इस भागती दौड़ती दुनिया में हमें पता ही नहीं चलता कि कब हमारा शरीर जवाब दे जाता है. हम अपने काम और जिम्मेदारियों में इतने बिजी रहते हैं कि बर्नआउट के लक्षणों को नहीं पहचान पाते, नतीजा शरीर पर वो असर पड़ता है, जो आप सोच भी नहीं सकते.

क्या है बर्नआउट? बर्नआउट के लक्षण क्या हैं? इससे कैसे बचा जाए? बर्नआउट सिंड्रोम का इलाज क्या है? अगर आपके आसपास कोई बर्नआउट का शिकार हो रहा हो, तो आपको क्या करना चाहिए? एक्सपर्ट से बर्नआउट से जुड़े इन जरूरी सवालों के जवाब जानते हैं.

जब से न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने बर्नआउट का हवाला देते हुए कहा कि वो रिजाइन कर देंगी, तभी से ये टॉपिक चर्चा में है. तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि बर्नआउट होता क्या है?

क्या है बर्नआउट?

"बर्नआउट एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आप बहुत ज्यादा मानसिक और शारीरिक तनाव महसूस करते हैं."
मीमांसा सिंह तंवर, क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट, हेड - फोर्टिस स्‍कूल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम, फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम

मीमांसा सिंह तंवर फिट हिंदी से कहती हैं, "ये देखा जाता है कि क्रॉनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से ये कंडीशन पैदा होती है. इसमें आप इमोशनल चेंजेस को आप महसूस करते हैं. थकान, एनर्जी महसूस नहीं होना, परेशान रहना, कुछ करने का मन नहीं करना, गुस्सा-चिड़चिड़ापन बढ़ाना और ये सभी समस्याएं लगातार चलती आ रही हों. इसकी वजह से शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो रहा हो और साथ ही काम पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा हो."

बर्नआउट से शरीर और दिमाग दोनों पर असर होता है. जिसे आप महज थकान समझ रहे हैं वो बर्नआउट हो सकता है, जिसका असर दिल और दिमाग दोनों पर होता है. जब आप मानसिक रूप से परेशान रहते हैं तो इसका असर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर पर भी पड़ता है. क्योंकि स्ट्रेस के दौरान शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन्स निकलते हैं, जिससे दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इन चीजों से आगे जा कर हार्ट प्रॉब्लम, स्ट्रोक का खतरा हो सकता है.

बर्नआउट के लक्षण क्या हैं?

WHO के मुताबिक, बर्नआउट सिंड्रोम ‘क्रोनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस’ की वजह से हो सकता है. यानी काम को लेकर बढ़ा हुआ स्ट्रेस इस सिंड्रोम का शुरुआती लक्षण है.

  • एंग्जाइटी और पैनिक अटैक की समस्या

  • मानसिक और शारीरिक थकान रहना

  • ज्यादातर स्ट्रेस में रहना

  • काम में रुचि कम होना

  • उदास रहना

  • अपनी नौकरी को पसंद नहीं करना

  • आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की कमी

  • मूड स्विंग्स की समस्या

  • नींद मुश्किल से आना

  • दिल का तेजी से धड़कना

  • सांस जल्दी-जल्दी लेना

  • आंत और पाचन से जुड़ी दिक्कत होना

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बर्नआउट से कैसे बचा जाए?

"बर्नआउट से बचने के लिए बार-बार या लंबे समय से चले आ रहे स्ट्रेस को सुलझाएं. काम को घर लाना और घर की चीजों पर ध्यान न दे पाना. काम को ले कर बहुत ज्यादा स्ट्रेस फील करना. वर्क लाइफ बैलेंस मैंटेन नहीं कर पाना. लाइफस्टाइल में बदलाव आना. ये कुछ बातें हैं जो आपको बर्नआउट की तरफ ले कर जाती हैं" ये कहना है मीमांसा सिंह तंवर का. बाउर्नआउट से बचने के लिए करें ये सभी उपाय:

  • वर्क-लाइफ बैलेंस बनाएं

  • अपनी पसंद की चीजें करें

  • स्ट्रेस देने वाली बात को अनदेखा न करें

  • किसी से बात करें

  • स्ट्रेस को दूर करने का रास्ता खोजें

बर्नआउट सिंड्रोम का इलाज क्या है?

"बर्नआउट के लक्षणों का आभास होते ही सबसे पहले आप अपने काम को कम करें. वर्कप्लेस पर आप अपने बॉस/मैनेजर से बात करें. काम कम करने की रिक्वेस्ट करें क्योंकि इस समय आपको सबसे ज्यादा अपने ऊपर ध्यान देने की जरूरत है."
मीमांसा सिंह तंवर, क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट, हेड - फोर्टिस स्‍कूल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम, फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम

बढ़ती जिम्मेदारियों और बदलती परिस्थितियों की वजह से कई बार लोग बर्न आउट सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं लेकिन उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता. बिना ब्रेक के काम करते रहना और एक के बाद एक स्ट्रेस का बढ़ते जाना हो सकता है खतरनाक. बर्नआउट का ये है इलाज:

  • वर्कप्लेस पर बॉस-मैनेजर से बात करके सपोर्ट लें

  • अपने ऊपर ध्यान दें

  • काम से ब्रेक लें

  • लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं

  • परिवार और दोस्तों से सपोर्ट लें

  • सोशल सपोर्ट सिस्टम बढ़ाएं

  • मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें

बर्नआउट के शिकार की कैसे करें मदद

बर्नआउट पर ध्यान न देने से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अपने आसपास के लोगों में अगर आपको बर्नआउट के लक्षण दिख रहे हैं, तो उन्हें अकेला न छोड़ें, उन पर ध्यान दें, उनसे बात करें, उनकी मदद करें.

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