पुरुषों में बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किए गए पांच कैंसर हैं- प्रोस्टेट, ब्लैडर (मूत्राशय), किडनी, टेस्टीक्यूलर और पेनिस (पेनाइल) कैंसर. इसलिए समय पर बीमारी का पता लगाने और इलाज के लिए इनमें से हर एक के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में पता होना जरूरी है.
हालांकि प्रोस्टेट कैंसर के बारे में सबसे ज्यादा बात की जाती है, लेकिन दूसरे कैंसर के बारे में जानना भी उतना ही जरूरी है.
प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में होता है, जो ब्लैडर (मूत्राशय) के बाहरी किनारे के आसपास की ग्रंथि है. इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च के मुताबिक, भारत के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा प्रमुख कैंसर है, जो कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा होता है.
प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन एडवांस स्टेज में, यह यूरीन के रास्ते में रुकावट पैदा कर सकता है और/या यूरीन में खून आ सकता है.
इसकी सामान्य उपचार विधियों में रेडिकल प्रोस्टेटैक्टमी, रेडिकल रेडियोथेरेपी, हार्मोनल ट्रीटमेंट या कीमोथेरेपी शामिल हैं.
लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कि नियमित व्यायाम, रेड मीट नहीं खाने, स्मोकिंग व शराब का सेवन छोड़ कर और शरीर का आदर्श वजन बनाए रख कर प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है.
ब्लैडर कैंसर
ब्लैडर (मूत्राशय) का कैंसर यूरीनरी ब्लैडर की असामान्य वृद्धि के कारण होता है. ब्लैडर कैंसर हालांकि मुख्य रूप से बुजुर्गों को शिकार बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह नौजवान पीढ़ी में भी फैल रहा है. ब्लैडर कैंसर के लिए स्मोकिंग 66% तक जिम्मेदार है.
इसका सबसे प्रमुख लक्षण है यूरीन में खून आना, पेशाब का गाढ़ा रंग, बार-बार पेशाब आना या पेशाब के दौरान दर्द होना. कृपया स्मोकिंग से बचें, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें और संतुलित आहार लें.
रीनल कैंसर
किडनी का कैंसर ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी की कोशिकाएं खराब हो जाती हैं और ट्यूमर बनाने लगती हैं. ये किडनी के अंदर छोटे ट्यूबों के अस्तर में होता है.
इस बीमारी ने दशकों से मुख्य रूप से बुजुर्गों को शिकार बनाया है, लेकिन अब नौजवान भी इसका शिकार हो रहे हैं.
इसके शुरुआती लक्षणों में पेशाब में खून आना, पीठ के किनारे लगातार दर्द या भारीपन, अनजाना बुखार, भूख न लगना, एनीमिया, बिना वजह वजन गिरना और पिंडली या पैरों में सूजन.
हेल्दी डाइट लेने, ब्लडप्रेशर को काबू में रखने, नियमित रूप से कसरत करने और स्मोकिंग व शराब के सेवन को छोड़कर रीनल कैंसर से बचा जा सकता है.
टेस्टीक्यूलर कैंसर
टेस्टीक्यूलर कैंसर टेस्टीकल्स (अंडकोष) का कैंसर है, जो कि पुरुष प्रजनन अंग है. 15-34 साल की उम्र के युवा पुरुषों में टेस्टीक्यूलर ट्यूमर सबसे आम है. इस कैंसर के लिए चेतावनी संकेतों में बिना तकलीफ के टेस्टीकल्स का बढ़ जाना, टेस्टीकल्स की थैली में भारीपन होना और टेस्टीकल्स में गांठ हो जाना शामिल हैं.
टेस्टीक्यूलर कैंसर का कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी सहित मल्टीमॉडलिटी थेरेपी की मदद से सबसे अच्छा इलाज किया जा सकता है.
पेनाइल कैंसर
पेनाइल कैंसर पेनिस में विकसित होता है. यह उन चंद कैंसर में से एक है, जिसे साफ-सफाई, खासकर ग्लान्स पेनिस (पेनिस का बाहरी किनारा) में सफाई रखने से रोका जा सकता है.
भारत जैसे विकासशील देश में पेनाइल कैंसर के मामले ज्यादा हैं और यह शहरी आबादी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा आम है.
पेनाइल कैंसर ग्लान्स पेनिस या आगे की हिस्से की चमड़ी से फैलने से शुरू होता है. इसके शुरुआती संकेतों में शामिल हैं- ग्लान्स पेनिस या आगे के हिस्से की चमड़ी का रंग बदलना, दर्द रहित या दर्दनाक अल्सर या किसी भी तरह कीअसामान्य वृद्धि.
(इस स्टोरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. )
(डॉ अनिल मंधानी, M.S. MCh, DNB (Urology), FACS, मेदांता द मेडिसिटी, गुड़गांव में यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट के चेयरमैन हैं.)
(FIT अब वाट्सएप पर भी है. अपने पसंद की चुनिंदा स्टोरी पाने करने के लिए, हमारी वाट्सएप सेवाओं को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें और सेंड बटन को दबा दें.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)