सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है.
किसी भी दूसरे देश के मुकाबले भारत में सर्वाइकल कैंसर से सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत होती है.
इसकी सबसे बड़ी वजह जागरुकता की कमी है.
सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचा जा सकता है? ऐसे कौन से संकेत हैं, जिन पर महिलाओं को ध्यान देना चाहिए? किन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होने का ज्यादा खतरा होता है? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए फिट ने फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में गायनेकॉलिजिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉ प्रेरणा लखवानी से बात की.
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए किन लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है?
- सफेद पानी की शिकायत होना
- असामान्य वजाइनल ब्लीडिंग होना
किसी महिला को सफेद पानी की शिकायत होना या या अनियमित ब्लीडिंग की शिकायत होना. जैसे किसी महिला को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है, महीने में दो बार ब्लीडिंग हो रही है, संभोग के बाद ब्लीडिंग हो रही है, मेनोपॉज के बाद फिर से ब्लीडिंग शुरू हो रही है. ये लक्षण सर्वाइकल कैंसर के हो सकते हैं.डॉ प्रेरणा लखवानी, कंसल्टेंट, गायनेकॉलिजिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली
डॉ लखवानी के मुताबिक एडवांस कैंसर होने पर कुछ महिलाओं को पेट दर्द या पीठ दर्द भी हो सकता है.
किन महिलाओं को है सर्वाइकल कैंसर का ज्यादा खतरा?
- जिनकी सेक्शुअल एक्टिविटी जल्दी शुरू हो गई हो
- जिनकी ज्यादा डिलीवरी हुई हो
- जिनके मल्टीपल सेक्शुअल पार्टनर्स हैं
- जिनके पार्टनर्स के मल्टीपल सेक्शुअल पार्टनर्स हैं
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए क्या करें?
डॉ लखवानी कहती हैं कि इसके बारे में जागरुकता होना सबसे जरूरी है. इसकी रोकथाम के लिए मौजूद वैक्सीन का इस्तेमाल करना जरूरी है.
HPV वैक्सीन
भारत में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए दो तरह के एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वैक्सीन मौजूद हैं.
- बाइवैलेंट वैक्सीन
- क्वाड्रिवैलेंट वैक्सीन
डॉ लखवानी के मुताबिक ये दोनों ही वैक्सीन समान रूप से प्रभावी हैं. पश्चिमी देशों में नोनावैलेंट वैक्सीन है, जो 9 तरह के एचवीपी वायरस से रक्षा करता है, लेकिन नोनावैलेंट वैक्सीन अभी भारत में उपलब्ध नहीं है.
किस उम्र में दिया जाना चाहिए HPV वैक्सीन?
9 से 13 साल की किशोरियों को इस वैक्सीन के जरिए 90% तक सर्वाइकल कैंसर के खतरे से बचाया जा सकता है.डॉ प्रेरणा लखवानी, कंसल्टेंट, गायनेकॉलिजिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली
अगर किशोरावस्था में HPV वैक्सीन नहीं लगा?
डॉ प्रेरणा लखवानी बताती हैं कि जिन महिलाओं को किशोरावस्था में ये वैक्सीन नहीं लगा, वो 45 की उम्र तक इसका इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन सेक्शुअल एक्सपोजर होने के बाद इस वैक्सीन का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जाता है.
प्री-कैंसर स्टेज में सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट मौजूद हैं.
आप अपने डॉक्टर के पास या किसी भी हेल्थ वर्कर के पास जा सकते हैं और एक आसान का पैप स्मीयर टेस्ट करा सकते हैं.डॉ प्रेरणा लखवानी, कंसल्टेंट, गायनेकॉलिजिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली
स्क्रीनिंग टेस्ट से पहले रखें इन बातों का ख्याल
स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए जाने से पहले महिलाओं का इन बातों का ख्याल रखना जरूरी है:
- माहवारी के दौरान स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं हो सकता
- संभोग के 48 घंटे तक ये टेस्ट नहीं हो सकता
- वजाइनल मेडिकेशन के 72 घंटे तक ये टेस्ट नहीं हो सकता
किस उम्र से कराना चाहिए स्क्रीनिंग टेस्ट?
21 की उम्र के बाद स्क्रीनिंग टेस्ट कराना शुरू किया जा सकता है. 21 से 30 साल की उम्र तक हर दो साल पर ये टेस्ट होता है. 30 की ज्यादा उम्र की महिलाएं को-टेस्टिंग भी करा सकती हैं. इसके बाद अगर आपके लगातार तीन टेस्ट नॉर्मल आते हैं, तो हर 5 साल तक स्क्रीनिंग डिले की जा सकती है.डॉ प्रेरणा लखवानी, कंसल्टेंट, गायनेकॉलिजिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली
HPV वैक्सीन के साथ स्क्रीनिंग भी जरूरी
डॉ लखवानी के मुताबिक एचपीवी वैक्सीन का ये मतलब नहीं है कि आप 100 प्रतिशत प्रोटेक्ट हो गए. एचपीवी वैक्सीन के साथ आपको अपनी स्क्रीनिंग भी जारी रखनी है.
क्या करें कि न हो सर्वाइकल कैंसर का खतरा?
- सेफ सेक्शुअल प्रैक्टिस का इस्तेमाल करें
- कंडोम का इस्तेमाल करें या बैरियर कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करें
इससे सेक्शुअली ट्रांसमिस्टेड इंफेक्शन का रेट कम होगा, तो सर्वाइकल कैंसर का खतरा अपने आप कम हो जाएगा.
कैमरा: सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
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