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कीमोथेरेपी क्या है? इसके साइड इफेक्‍ट और इलाज के बारे में जानिए

कीमोथेरेपी की दवाइयों से व्यक्ति के हालत बिल्कुल बदल जाते हैं.

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कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसके बारे में सुनकर ही लोग घबरा जाते हैं. कीमोथेरेपी एक प्रोसेस है, जो कैंसर को नियंत्रण करने में मदद करता है. कीमोथेरेपी शरीर में कैंसर के सेल्स को जड़ से खत्म कर देता है और शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने से रोकता है.

कीमोथेरेपी की दवाइयों के कई साइड इफेक्‍ट भी होते हैं. मरीज की हालत बिल्कुल बदल जाती है. मरीज के सिर से बाल झड़ जाना, मुंह में छाले होना, खाने-पीने में दिक्कत आना, नींद न आना, उल्टियां होना, खून की कमी, हाथों-पैरों में झुनझुनी, वजन कम होना जैसी कई शिकायत आ सकती हैं.

मतलब, कीमोथेरेपी के दौरान व्यक्ति को ऐसी कई दर्दनाक समस्या झेलनी पड़ती हैं.

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प्रेगनेंट महिलाओं को कीमोथेरेपी की दवाइयों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इससे महिला के गर्भ को दिक्कत आ सकती है, क्योंकि कीमोथेरेपी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का खतरा भी बना रहता है.

कीमोथेरेपी के साइड इफेक्‍ट से बचाव

कीमोथेरेपी की मेडिसिन आमतौर पर नसों में दी जाती है या गोली के रूप में दी जाती है. त्वचा के कुछ कैंसरों के केस में कीमोथेरेपी क्रीम इस्तेमाल में लाई जाती है. कीमोथेरेपी के साइड इफेक्‍ट से बचने के लिए सबसे ज्यादा नियंत्रण खान-पान पर रखना चाहिए. उल्‍टी की शिकायत होने पर खाने में ज्यादा नमक, तला-भुना या मसालेदार चीजों से परहेज करना चाहिए.

कीमोथेरेपी की दवाइयों से व्यक्ति के हालत बिल्कुल बदल जाते हैं.
कीमोथेरेपी शरीर में कैंसर के सेल्स को जड़ से खत्म कर देता है
(फोटो: PixaBay)

कीमोथेरेपी के साइड इफेक्‍ट से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम भी करना चाहिए. रोजाना सुबह 30 से 40 मिनट व्यायाम और मेडिटेशन करना चाहिए. इस दौरान बाल झड़ने की शिकायत पर शैंपू या डाई नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा शराब और ध्रूमपान से तो बिल्कुल दूर रहें. अपने डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहें.

स्तन कैंसर पीड़ित 70% महिलाओं में कीमोथेरेपी बेअसर

भारत की महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर है और महिलाओं में सभी प्रकार के कैंसर का 27% हिस्सा इसी का है. हालांकि इन रोगियों में से लगभग 70% को कीमोथेरेपी से कोई फायदा नहीं पहुंचा है. जिन 30% महिलाओं को कीमोथेरेपी का फायदा मिला, उनके लिए यह जीवनरक्षक साबित हुआ है. एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है.

ट्रायल एसाइनिंग इंडविजुअलाइज्ड ऑप्शंस फॉर ट्रीटमेंट (टेलरक्स) की ओर से किए गए अध्ययन में जिक्र किया गया है कि दुनियाभर के छह देशों से स्तन कैंसर से पीड़ित 10,273 महिलाओं को शामिल किया गया.

मेडिलिंक्स इंक के सीईओ प्रसाद वैद्य ने इस बारे में कहा, "टेलरक्स के निष्कर्ष हजारों महिलाओं को टॉक्सिक कीमोथेरेपी के इलाज से मुक्त कर सकते हैं, जो वास्तव में उन्हें फायदा नहीं पहुंचाता है."

ये भी पढ़ें- कैंसर की रोकथाम में लाइफ स्टाइल में बदलाव की अहम भूमिका

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