सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को सेरिडॉन और दो अन्य दवाइयों पर लगे बैन को हटाते हुए फिलहाल बाजार में उनके बिक्री की इजाजत दे दी है. इसी 12 सितंबर को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मानव उपयोग के उद्देश्य से 328 एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन या निश्चित खुराक संयोजन) दवाओं के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था.
इसके बाद दवाई कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सेरिडॉन के अलावा स्कीन क्रीम पेंड्रम और एक अन्य दवा पर प्रतिबंध हटाने के साथ ही केंद्र सरकार से दवाओं पर रोक लगाने को लेकर जवाब भी मांगा है.
केंद्र सरकार ने 328 दवाओं को प्रतिबंधित करने के पीछे कारण दिया था कि वे दवाएं प्रभावशाली नहीं हैं. जिन दवाओं पर बैन लगाया था, उनमें फेंसीडिल और विक्स ऐक्शन 500, सुमो, जीरोडॉल, जिंटाप व कई तरह के एंटीबायॉटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं.
कई बड़ी फार्मा कंपनियों ने केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल उठाए. याचिका में दलील दी गई थी कि सरकार के नोटिफिकेशन में इन दवाओं पर रोक के लिए केवल एक कारण ‘उपचार के काबिल नहीं’ दिया था.
इससे पहले केंद्र सरकार ने मार्च, 2016 में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद सरकार ने समान प्रावधानों के तहत 344 एफडीसी के अलावा पांच और एफडीसी को प्रतिबंधित कर दिया था.
हालांकि, इससे प्रभावित उत्पादकों ने देश के कई हाई कोर्ट में और सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 दिसम्बर, 2017 को सुनाए गए फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा गौर किया गया, जिसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था.
एफडीसी से मानव स्वास्थ्य को खतरा
इस बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी. दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने अन्य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की थी कि 328 एफडीसी में मौजूद सामग्री का कोई चिकित्सीय महत्व नहीं है और इन एफडीसी से मानव स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है.
क्या होती हैं एफडीसी दवाएं?
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या दो से अधिक दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है. इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद चल रहा है. दुनिया के कई देशों में इन पर बैन लगा हुआ है.
(इनपुट- आईएएनएस)
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