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COVID-19:भारत में बच्चों के लिए कब आएगी कोरोना वैक्सीन?पूरा ब्योरा

बच्चों पर कोविड वैक्सीन के ट्रायल को लेकर क्या अपडेट है? इसकी पूरी जानकारी यहां दी जा रही है.

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कोरोना महामारी में भले ही बच्चों के बीमार पड़ने की तादाद युवाओं और बुजुर्गों की तुलना में अब तक कम रही हो, लेकिन हम ये मान कर नहीं चल सकते कि बच्चे इससे आगे भी बचे रहेंगे. दूसरी ओर भले ही ज्यादातर बच्चों में गंभीर कोविड न देखा गया हो, लेकिन कुछ बच्चों में कोविड के कारण जटिलताओं से इनकार नहीं किया जा सकता. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अब वायरस से संक्रमण का उन्हें ज्यादा रिस्क हो सकता है, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी.

वहीं बच्चों के लिए स्कूल, एग्जाम और दूसरी गतिविधियों को शुरू करने के लिए हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, जो मास्क, फिजिकल डिस्टेन्सिंग और हैंड हाइजीन के साथ ही वैक्सीनेशन पर भी निर्भर करता है. ऐसे में बच्चों के लिए वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो पाएगी, ये सवाल अहम हो गया है. अब तक बच्चों के लिए किन देशों में कौन सी कोविड वैक्सीन उपलब्ध है, बच्चों पर कोविड वैक्सीन के ट्रायल को लेकर क्या अपडेट है? इसकी पूरी जानकारी यहां दी जा रही है.

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कनाडा और अमेरिका में 12-15 साल के बच्चों के लिए Pfizer-BioNTech की वैक्सीन उपलब्ध

बच्चों के लिए अप्रूवल पाने वाली दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक की है. सबसे पहले कनाडा ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए इस वैक्सीन की इजाजत दी. इससे पहले यह वैक्सीन 16 साल से ज्यादा उम्र वालों को लगाई जा रही थी. इसके बाद अमेरिका में भी इसे इजाजत मिल गई. रेगुलेटर्स ने 10 मई, 2021 को 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी.31 मार्च 2021 को कंपनी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि 12 साल से 15 साल तक के 2,260 किशोरों को शामिल कर की गई फेज 3 स्टडी में फाइजर की वैक्सीन 100% प्रभावी पाई गई.

ट्रायल के प्लेसिबो ग्रुप (1,129) में कोरोना के 18 मामले देखे गए और वैक्सीन वाले ग्रुप (1,131) में कोरोना का कोई मामला नहीं देखा गया.

6 महीने से लेकर 11 साल की उम्र तक के बच्चों में कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा, सहनशीलता और प्रतिरक्षात्मकता का मूल्यांकन करने के लिए Pfizer और BioNTech ने मार्च में ग्लोबल फेज 1/2/3 की स्टडी के तहत 5 से 11 साल की उम्र तक के प्रतिभागियों को डोज दिए जाने की जानकारी दी थी.

मॉडर्ना का दावा- बच्चों में प्रभावी और सुरक्षित रही उसकी कोरोना वैक्सीन

अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना (Moderna) ने अपनी कोरोना वैक्सीन के बच्चों पर हुए 2/3 फेज के ट्रायल के नतीजे घोषित किए हैं. कंपनी ने 25 मई, 2021 को बयान जारी किया कि उसकी वैक्सीन बच्चों पर 100% प्रभावी और सुरक्षित पाई गई है. इस ट्रायल में 12 साल से लेकर 18 साल से कम उम्र के 3,732 बच्चों को शामिल किया गया था.

जिन बच्चों को वैक्सीन के दोनों डोज लगे थे, उनमें से कोविड-19 का एक भी मामला नहीं आया, जबकि प्लेसिबो ग्रुप में COVID-19 के 4 मामले सामने आए.

नतीजे आने के बाद मॉडर्ना ने कहा कि वह अपनी वैक्सीन को बच्चों के लिए मंजूरी दिलवाने के लिए अमेरिका की रेगुलेटर बॉडी FDA और दुनिया भर के रेगुलेटरों के पास जून में अप्लाई करेगी.अगर मॉडर्ना को मंजूरी मिल जाती है तो यह अमेरिका में किशोरों के लिए दूसरी वैक्सीन होगी.

भारत में बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या चल रहा है?

भारत में फिलहाल 18 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोग ही कोविड वैक्सीन लगवा सकते हैं. वहीं देश में कोरोना के खिलाफ कोवैक्सीन का निर्माण कर रही भारत बायोटेक को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की ओर से बच्चों के लिए ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है. रिपोर्ट है कि भारत बायोटेक ने बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए तीन ग्रुप तय किए हैं- 12-18, 6-12 और 6 महीने-6 साल

भारत बायोटेक के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी 12-18 साल के बच्चों के लिए Covaxin का ट्रायल जून 2021 में शुरू हो सकता है.

CBSE 12वीं बोर्ड एग्जाम को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्र को सुझाव दिया है कि पहले सरकार 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मंजूर वैक्सीन भारत के बच्चों के लिए खरीदे, अगर 18+ लोगों को दी जाने वाली वैक्सीन 17.5 साल के बच्चों को हेल्थ एक्सपर्ट्स की सलाह के बाद दी जा सकती है, तो देश में उपलब्ध Covishield और Covaxin सबसे पहले 12वीं के बच्चों को लगाई जाए.

नीति आयोग की ओर से 27 मई को कहा गया कि भारत में जल्द ही बच्चों पर ट्रायल शुरू होने वाले हैं. बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन का फैसला ट्रायल पर आधारित पर्याप्त डेटा के बाद ही लिया जाएगा.

भारत में बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो सकेगी, फिलहाल ये निश्चित नहीं है, वहीं Covaxin के मामले में हमें कम से कम ट्रायल शुरू होने और उसके अंतरिम नतीजे आने तक का इंतजार करना ही होगा.

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एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन भी कर रहे बच्चों पर ट्रायल

Pfizer-BioNTech, Moderna के अलावा जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का ट्रायल भी 12-18 साल के वॉलंटियर्स पर चल रहा है.फाइजर की तरह मॉडर्ना भी 6 महीने से लेकर 11 साल तक के बच्चों पर भी वैक्सीन टेस्ट कर रही है.

यूके में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका 300 बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल कर रही है, जिसमें रिसर्चर्स ये देखेंगे कि 6-17 साल तक के बच्चों पर वैक्सीन से इम्यून रिस्पॉन्स प्रोड्यूस होता है या नहीं.

बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करने की जरूरत क्यों है?

भले ही एक किशोर और एक युवा वयस्क के बीच बहुत अंतर नहीं है, फिर भी बच्चों में वयस्कों के समान सुरक्षा प्रोफाइल और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पाने के लिए वैक्सीन की डोज में अंतर होता है.

यह विशेष रूप से टॉडलर्स और शिशुओं के मामले में सच है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है.

यह सुनिश्चित करने के लिए टेस्टिंग जरूरी है कि वैक्सीन वयस्कों के लिए जितनी सुरक्षित है, उतनी ही सुरक्षित बच्चों और किशोरों के लिए भी है.

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