क्या आपने कभी ऑनलाइन दवा खरीदी है? यह बहुत आसान है. लॉग इन किजिए अपना प्रेस्क्रिप्शन अपलोड कीजिए, दवा सेलेक्ट करें और पेमेंट कर दें. आपकी दवा आपके घर पर पहुंच जाएगी. हजारों लोगों विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए ई-फार्मेसी या दवा की ऑनलाइन खरीद बहुत मददगार है. इसमें सिर्फ एक समस्या है. दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का बिजनेस बिना किसी नियमन के बहुत तेजी से फैल गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर, 2018 को देशभर में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी. अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई करते हुए दिया. याचिकाकर्ता डॉ जहीर अहमद ने पीआईएल में कहा था कि बिना किसी नियम कानून के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री से घटिया दवा की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही ऑनलाइन गैरकानूनी बिक्री से दवाओं के दुरुपयोग जैसी समस्याएं पैदा होंगी.
पीआईएल में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की अपनी जिम्मेदारी में असफल रही है, जो अनुच्छेद 21 के तहत उसका संवैधानिक दायित्व है.
अदालत के इस आदेश का दवाओं की ऑनलाइन बिक्री, आपके और रोगियों के लिए क्या मायने है?
1. भारत में ई-फार्मेसी का बिजनेस
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) एस ईश्वर रेड्डी के मुताबिक भारतीय खुदरा दवा बाजार 1000 अरब रुपये का है. वर्तमान में ई-फार्मेसी बिजनेस करीब 3,500 करोड़ रुपये का है. ऐसा अनुमान है कि अगले तीन-चार साल में ये बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये का हो सकता है. कई अनुमानों के अनुसार भारत में करीब 250 ऑनलाइन फार्मेसी हैं. ये मॉडल दो स्तरों पर काम करता है. बिजनेस टू कस्टमर (B2C) और डायरेक्ट रिटेल प्लेटफॉर्म. ये लोग दवाओं की बिक्री पर भारी छूट, घर पर दवा पहुंचाने के साथ ही अन्य सुविधाएं भी ऑफर करते हैं, जिसे ग्राहक काफी पसंद करते हैं.
2. भारत में ई-फार्मेसी बिजनेस किन कानूनों के तहत चलता है?
अभी तक कोई कानून नहीं है.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल 1945 और फार्मेसी एक्ट 1948 ही भारतीय दवा कानूनों को नियंत्रित करते हैं. चूंकि इन कानूनों का निर्माण ई-कॉमर्स के आने से पहले हुआ था, इसलिए ये दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लागू नहीं होते हैं.
किसी भी तरह का कानून लागू न होने पर रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंड्रस्टी (FICCI) ई-फार्मेसी सेक्टर के लिए ‘सेल्फ रेगुलेशन कोड ऑफ कंडक्ट’ लेकर आया.
इस कोड के तहत अनुसूची X के अंतर्गत आने और लत लगाने वाली दवाओं की बिक्री को प्रतिबंधित किया गया. साथ ही किसी दवा को वापस मंगाना हो तो इसके लिए सरकार से साझीदारी की जरूरत होगी. अधिकतर दवा की ऑनलाइन बिक्री करने वाली फार्मेसी को प्रेस्क्रिप्शन अपलोड करने की आवश्यकता होती है.
लेकिन जैसा कि नाम सेल्फ रेगुलेशन है, तो इसके नियमों के पालन को पूरे बल के साथ लागू नहीं किया जा सकता.
3. क्या ये बैन ई-फार्मेसी के बंद होने की घंटी है?
पूरी तरह से नहीं.
एक रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2018 में ई-फार्मेसी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश का मसौदा तैयार किया गया था.
इकोनॉमिक टाइम्स ने DCGI एस. ईश्वरा रेड्डी के हवाले से कहा था, अंतिम मसौदा नए साल में जनवरी तक पेश हो जाएगा. मसौदे के दिशा-निर्देश के अनुसार बिना किसी रजिस्ट्रेशन के कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल के जरिए दवा की बिक्री या वितरण, स्टॉक, प्रदर्शित या ऑफर नहीं कर सकता है. ई-फार्मेसी के जरिए ट्रैक्वलाइंजर्स, साइकोट्रॉपिक ड्रग्स, नारकोटिक्स और लत लगाने वाली दवाइयों की बिक्री प्रतिबंधित होगी.
लेकिन दवाओं के वितरण में ई-फार्मेसी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए रजिस्ट्रेशन के नियम को आसान बनाया गया है. ई-फार्मेसी को भारत की शीर्ष दवा नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) और सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा. ई-फार्मेसी कंपनी देश के किसी भी एक राज्य में पंजीकरण करा सकती है. लेकिन अगर वह रोगी की सुरक्षा और देखभाल के मानकों का पालन करने में असफल रहती है तो राज्य सरकार कंपनी का पंजीकरण रद्द कर सकती है.
इस पंजीकरण को हर तीन साल बाद रिन्यू कराना होगा. कोई भी पोर्टल किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी दवा विशेष का प्रचार नहीं कर सकता है.
4. ई-फार्मेसी पर पारंपरिक फार्मेसी कंपनियां क्या सोचती हैं?
क्वार्ट्ज की रिपोर्ट के अनुसार ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) ने ई-फार्मेसी के खिलाफ आवाज उठाई थी. इस संगठन के अंतर्गत आठ लाख से अधिक पारंपरिक स्टोर आते हैं. इनका कहना है कि पोर्टल के जरिए मिलावटी, पुरानी और नकली दवा की बिक्री को नियंत्रित करना मुश्किल है.
मद्रास हाईकोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर अंतरिम रोक लगाई थी. महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत अन्य राज्य पहले भी ई-फार्मेसी के खिलाफ सख्त रुख अपना चुके हैं.
5. आपके लिए इस बैन का क्या मतलब है?
ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों का कहना है कि वे विस्तृत आदेश का इंतजार कर रही हैं. इससे व्यवधान पड़ने की आशंका है. अगर नया नियम जनवरी में आता है, तो इन कंपनियों के संबंधित औपचारिकताओं को पूरा करने में समय लगेगा. इस बीच अपने स्थानीय दवा दुकानदार का नंबर अपने पास रखें.
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