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डेंगू क्या है, इसकी पहचान और रोकथाम कैसे की जाए?

डेंगू उन घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा फैलता है, जहां गंदगी अधिक मात्रा में रहती है.

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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल करीब 5 करोड़ लोग डेंगू की चपेट में आते हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड, म्यांमार, इंडोनेशिया सबसे ज्यादा डेंगू नाम की बीमारी से प्रभावित हैं. इनमें बच्चों पर इसका ज्यादा असर होता है. ऐसे में इस बीमारी और इससे बचाव के बारे में जानना जरूरी है.

डेंगू उन घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा फैलता है, जहां पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती है, जगह-जगह पानी भरा रहता है या ज्‍यादा गंदगी रहती है.

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कैसे फैलता है डेंगू

डेंगू एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है, जो दो खास प्रजाति के मच्छरों 'एडीज इजिप्ती' और 'एडीज अल्बोपिक्टस' से फैलता है. मच्छर के काटने पर इंसान के खून में पतले धागे जैसे कीटाणु तैरने लगते हैं और परजीवी की तरह सालों तक पलते रहते हैं.

डेंगू उन घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा फैलता है, जहां गंदगी अधिक मात्रा में रहती है.
डेंगू बुखार का बच्चों पर ज्यादा असर होता है.
(फोटो: Pixabay)

मच्छर के लार से निकलकर इंसान के खून में परजीवी की तरह पलने वाले फाइलेरिया के वयस्क कीटाणु केवल मानव लिम्फ सिस्‍टम में रहते हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं. लिम्फ सिस्‍टम शरीर के तरल संतुलन को बनाए रखती है और संक्रमण का मुकाबला करती है.

अगर मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, जिसके खून में वायरस मौजूद हैं, तो यह किसी दूसरे व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है.

डेंगू के लक्षण

मच्छर के काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के भीतर व्यक्ति में सबसे पहले बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. बुखार के अलावा मनुष्य के शरीर में चकत्ते, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशी में दर्द और आंखों में लाल रंग आना भी प्रमुख है. डब्ल्यूएचओ की हिदायत है कि अगर तेज बुखार या फिर नीचे दिए गए लक्षण नजर आएं, तो इस डेंगू की दस्तक मानकर तुरंत जांच कराएं.

  • अचानक तेज बुखार आ जाना
  • तेज सिरदर्द
  • पेट में दर्द
  • जोड़ों में और मांसपेशियों में दर्द
  • थकान, जी मिचलाना, उल्टी होना

याद रखें, कई बार लोग सिर्फ तेज बुखार को ही डेंगू समझ लेते हैं, लेकिन इसकी ठीक जानकारी पेशाब की जांच के बाद ही मिल पाती है.

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डेंगू बुखार से बचाव कैसे करें?

डेंगू से बचने का एक तरीका बचाव ही है. डेंगू से बचाव के लिए अपने घर या आसपास के इलाके में ऐसी जगहों की पहचान की जानी चाहिए, जहां मच्छर पनपते हैं. ऐसे स्थान से दूर रहने की कोशिश की जानी चाहिए और अगर संभव हो तो सफाई कर देनी चाहिए. ऐसा हर हफ्ते किया जाना चाहिए.

मच्छरों के लार्वा को पूरा मच्छर बनने से रोका जाना चाहिए. सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा मच्छरों की पैदाइश रोकने के लिए कुछ इन प्रमुख बातों का भी ध्यान रखना चाहिए.

  • कूलरों के पानी को हर 2 से 4 दिन में बदलते रहें
  • घर के आसपास सड़क पर गड्ढों में पानी न भरने दें
  • कीटनाशकों का छिड़काव करते रहना चाहिए
  • घरों में मच्छर से बचाव की जालियां लगवाएं
  • धुएं वाली अगरबत्ती या धूपबत्ती का इस्तेमाल करें
  • ऐसे कपड़े पहनें, जो शरीर को पूरा ढके

इलाज क्या है?

अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है, तो इसका इलाज घर पर भी संभव है, हालांकि इस बारे में डॉक्‍टर से राय जरूर लेनी चाहिए.

पेन किलर मेडिसिन लेकर मरीज का बुखार या शरीर का दर्द कम किया जा सकता है. ऐसे में मरीज को डिस्प्रिन या एस्प्रीन कभी नहीं देनी चाहिए. इसके अलावा डेंगू के रोगी को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ देना चाहिए. डॉक्टर की सलाह पर पैरासीटामोल या क्रोसिन ले सकते हैं.

डेंगू से मिलते-जुलते लक्षण दिखने पर मरीज को डॉक्टर के पास एक बार जरूर दिखाया जाना चाहिए. ब्लड टेस्ट के जरिए ये तय किया जा सकता है कि व्यक्ति डेंगू के बुखार से पीड़ित है या नहीं. डेंगू के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर मरीज की सेहत का नियमित ट्रीटमेंट करते रहना चाहिए.

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