दावा
खुद को डॉक्टर बताने वाले एक व्यक्ति का कहना है, 'अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं और आप एक किलो आम या एक दर्जन केला या जितना अंगूर आप खा सकते हैं, खाएं. कुछ ही दिनों में आपका डायबिटीज खत्म हो जाएगा यानी आप डायबिटीज के रोगी नहीं रहेंगे.'
एक वायरल वीडियो में आप डॉ बिश्वरूप रॉय चौधरी को एक ऑडिटोरियम में एक बड़ी भीड़ को संबोधित करते देख सकते हैं. वे डायबिटीज को ठीक करने का इलाज बता रहे हैं. वह इसे मेडिकल इंडस्ट्री का घोटाला बता रहे हैं.
थोड़े समय में फलों के जरिये डायबिटीज ठीक करने के अपने दावे को साबित करने के लिए वह लाइव एक्सपेरिमेंट भी कर रहे हैं. इसमें वह ब्लड के साथ फ्रक्टोज मिलाते हैं और दिखाते हैं कि किस तरह से ब्लड शुगर का स्तर कम हो रहा है.
लेकिन यह कितना सही है? क्या डायबिटीज का इलाज इतना आसान है? हां या नहीं?
सबसे पहले, क्या डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है?
ब्लड में शुगर की मात्रा का सामान्य से अधिक होने (प्रीडायबिटीज) और शुरुआती स्तर या टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में इससे निपटा जा सकता है. इस क्षेत्र में शोध हो रहे हैं. डायबिटीज की बीमारी के सभी मामलों में इसे खत्म नहीं किया जा सकता है. इसे सिर्फ मैनेज और कंट्रोल किया जा सकता है.डॉ सुजीत झा, मैक्स हॉस्पिटल एंड्रोक्राइनोलॉजी, डायबिटीज ओबेसिटी डायरेक्टर
लेकिन रातों रात इस बीमारी के इलाज का कोई जादुई फॉर्म्यूला नहीं है और कोई भी एक चीज ऐसा नहीं कर सकती है. ये कुल मिलाकर लाइफस्टाइल में बदलाव से जुड़ा है. खानपान पर नियंत्रण और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से सिर्फ डायबिटीज के हल्के मामलों से ही नहीं बल्कि कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों से भी बचा जा सकता है. कई अध्ययन में यह सामने आया है कि पूरी तरह से लो-कैलोरी डाइट में बदलाव से टाइप 2 डायबिटीज से बचा सकता है
हालांकि, अगर आपको पांच साल से डायबिटीज है तो आप सिर्फ फल खाकर इसे मात नहीं दे सकते हैं.
क्या फल खाने से डायबिटीज का इलाज संभव है?
वायरल वीडियो देखने के बाद डॉ झा कहते हैं,
सबसे पहले, इस तरह के व्यापक और सनसनी फैलाने वाले संदेश आपराधिक लापरवाही हैं. हां, डायबिटीज को खानपान पर नियंत्रण, फल व सब्जियां खाकर मात दी जा सकती है. लेकिन इसकी करीब से निगरानी करनी चाहिए और यह लंबे समय तक किया जाना चाहिए. सिर्फ एक किलो आम या बहुत सारा फल खाने, बाकी की डाइट पर ध्यान नहीं देने और लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव न करने से मदद नहीं मिलेगी. वास्तव में यह नुकसानदायक हो सकता है.
वह कहते हैं कि दर्शकों को आश्चर्यचकित करने के लिए किए गए इस तरह के प्रयोग से कुछ भी साबित होने वाला नहीं है. साइंटिफिक रिसर्च एक व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो किसी भी कारण या प्रभाव को साबित करने के लिए लंबे समय तक की जाती है.
डॉ झा कहते हैं, ‘दो चीजों को मिलाना और यह कहना कि देखो किस तरह से डायबिटीज का इलाज किया जा सकता है, महज मंच पर किया गया नाटक है.’
जनता के स्वघोषित शुभचिंतक बिश्वरूप कहते हैं, “इस सच्चाई को बताने से उन कंपनियों का नुकसान होगा, जो इंसुलिन प्रोडक्ट्स बेचती हैं.”
वह अपने आप को कई किताबों के लेखक बताते हैं. और इस तरह के कई सेमिनार व यू-ट्यूब वीडियो कर चुके हैं. इन सेमिनार और वीडियो को हजारों लोग देख चुके हैं.
विशेषज्ञ की सलाह के बिना ऐसे संदेशों को फॉलो न करें
डॉ झा चेतावनी देते हैं कि इस तरह के सनसनी फैलाने वाले संदेश और बिना किसी सावधानी के इलाज का वादा नुकसानदायक हो सकता है. लोगों को विशेषज्ञ की सलाह के बिना ऐसे किसी तरह के संदेशों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.
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