किसी प्राकृतिक आपदा का सामना कर चुके लोगों में नींद की गड़बड़ी मेंटल हेल्थ की दिक्कतों से जुड़ी हो सकती है.
स्लीप जर्नल में पब्लिश एक स्टडी में पाया गया कि आपदा के दो साल बाद भी ऐसे लोगों में नींद से जुड़ी परेशानियां मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी थीं.
इस स्टडी में 31 की औसत उम्र वाले 165 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिसमें 52 फीसदी पुरुष थे. ये लोग 2010 के हैती में आए भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में से एक देश की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस हैती में रह रहे थे.
सर्वे के मुताबिक ये इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंप था.
इसमें करीब दो लाख लोगों की जान चली गई थी और 10 लाख से ज्यादा लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा था.
रिसर्चर्स ने भूकंप के बाद दो साल तक जीवित रहने वालों का सर्वेक्षण किया और पाया कि 94 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अनिद्रा के लक्षणों और आपदा के बाद के जोखिम का अनुभव किया.
दो साल बाद 42 फीसदी लोगों में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) का दिखा और लगभग 22 फीसदी प्रतिभागियों में डिप्रेशन के लक्षण थे.
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