पिता बनने के सपने संजो रहे मर्दों के डाइट में रोजाना 60 ग्राम नट्स (सूखे मेवे) लेने से स्पर्म की क्वालिटी, क्वांटिटी और मॉटिलिटी बढ़ सकती है. एक क्लीनिकल ट्रायल में ये साबित हो चुका है.
बार्सिलोना में ESHRE की 34वीं सालाना बैठक में पेश किए गए ये नतीजे बताते हैं कि नट्स से भरपूर डाइट लेने से स्पर्म काउंट (संख्या) में करीब 20 फीसद, स्पर्म की वाइटालिटी (जीवित रहने की क्षमता) में करीब 5 फीसद, स्पर्म की मॉटिलिटी (गतिशीलता) में करीब 6 फीसद और मॉरफोलॉजी (आकृति) में करीब 1 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है.
यह भी पाया गया कि नट्स के खाने से स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन- जो कि पुरुषों में बांझपन का प्रमुख कारण है- के स्तर में कमी आई.
स्पेन की यूनिवर्सिटाट रोविरा आ वरजिल के अल्बर्ट सलास-हुएटॉस का कहना है, “प्रदूषण, स्मोकिंग और पाश्चात्य शैली के खान-पान के कारण स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी में कमी आई है.” वह कहते हैं कि यह अध्ययन “स्पर्म की क्वालिटी में सुधार के लिए नट्स सेवन की भूमिका” को दर्शाता है और पुरुषों को विशेष डाइट दिए जाने पर अध्ययन की जरूरत बताता है.
नट्स सॉलिड फूड्स हैं, जिनमें कई ओमेगा-3, एंटीऑक्सिडेंट्स (विटामिन C और E,सेलेनियम और जिंक) और फोलेट व अन्य फायटोकेमिकल्स होते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या बच्चा पैदा करने की तैयारी कर रहे पुरुषों को अपनी रोजाना की डाइट में नट्स को शामिल करना चाहिए, सलास-हुएटॉस कहते हैं, “हम सिर्फ इस इकलौते अध्ययन के आधार पर हां नहीं कह सकते. लेकिन साहित्य में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि हेल्दी लाइफस्टाइल से ऐसे बदलाव आते हैं, इसलिए हेल्दी डाइटरी के तौर तरीके अपनाना गर्भधारण में मददगार हो सकता है- और नट्स तो बिना शक हमेशा से भूमध्यसागरीय हेल्दी डाइट का हिस्सा रहे हैं. ”
क्लीनिकल ट्रायल के लिए चुनी गई टीम में 18-35 साल के 119 नौजवान पुरुष लिए गए थे और उन्हें 14 हफ्ते के डाइट प्लान पर रखा गया था, जिसमें या तो उनको बिना नट्स की परंपरागत पश्चिम शैली की डाइट लेनी थी या फिर प्रतिदिन हैजलनट, अखरोट और बादाम का मिलाजुला 60 ग्राम सप्लीमेट लेना था.
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