वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक दुनिया की करीब आधी आबादी पर डेंगू का खतरा है. भारत में भी हर साल खासतौर पर मॉनसून के दौरान और उसके बाद डेंगू और मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियां बढ़ जाती हैं.
जब भी देश में डेंगू के मामले बढ़ते हैं, वाट्सएप पर डेंगू को लेकर तमाम मैसेज फॉरवर्ड होने लगते हैं. ऐसे ही एक मैसेज में डेंगू को 48 घंटे में खत्म करने वाली दवा का जिक्र किया गया है. साथ ही मच्छर से बचने के लिए नारियल का तेल लगाने और प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए हरी इलायची का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. अब इसमें कितनी सच्चाई है और इस पर डॉक्टर व विशेषज्ञों का क्या कहना है, आइए जानते हैं.
क्या नारियल का तेल लगाने से मच्छर नहीं काटता?
इस मैसेज में कहा गया है कि पैरों में नारियल का तेल लगाएं, ये एंटीबायोटिक परत की तरह काम करेगा. सबसे पहली बात ये आप भी जानते हैं कि डेंगू एक वायरल बीमारी है.
दूसरी बात एक्सपर्ट्स के मुताबिक आयुर्वेदिक बचाव के तौर पर मच्छर न काटें, इसके लिए कई तरह के तेल और लेप का जिक्र जरूर किया जाता है. जैसे लेमन यूकेलिप्टस या नीलगिरी का तेल. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने भी यूकेलिप्टस ऑयल को मच्छरों के रिपेलेंट में अहम घटक माना है.
घरेलू तरीकों में मच्छरों को दूर भगाने के लिए कुछ तेलों को मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन पुख्ता तौर पर ये नहीं कहा जा सकता कि नारियल का तेल लगा लेने भर से ही मच्छर नहीं काटेंगे.
साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि तेल का असर ज्यादा देर तक नहीं रहता. इसलिए मेडिकली नारियल का तेल लगाने की सलाह नहीं दी जा सकती है. मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल, मच्छरों को पनपने ही न देना, शरीर ढकने जैसे पूरी बाजू के कपड़े और फुल पैंट पहनने की सलाह दी जाती है.
क्या डेंगू का मच्छर घुटनों के ऊपर नहीं काट सकता?
आमतौर पर डेंगू के मच्छर लो फ्लाइर्स होते हैं, लेकिन जैसे जब आप बैठे हों या लेटे हों, तब ये मच्छर शरीर के किसी भी हिस्से में काट सकते हैं.डॉ सुरनजीत चटर्जी, अपोलो अस्पताल
क्या डेंगू में हरी इलायची खाने से प्लेटलेट्स बढ़ जाते हैं?
हरी इलायची की बात पर नोएडा स्थित पतंजलि क्लीनिक की डॉ नीलम कहती हैं कि व्यावहारिक तौर पर लोग कई तरह के उपाय जरूर करते हैं, लेकिन हम डेंगू के मामले में पपीते के पत्ते का रस और गिलोए लेने को कहते हैं. इलायची के दाने किस हद तक फायदेमंद साबित होंगे, इसे लेकर न तो कोई अध्ययन है और न ही इसके इस्तेमाल के बारे में सुना गया है.
डॉ सुरनजीत कहते हैं कि डेंगू से पीड़ित होने के 3-5 दिन बाद से 7-8 दिन तक प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं. अगर मरीज का ब्लड प्रेशर स्टेबल है और कोई ब्लीडिंग नहीं हो रही हो, तो घबराने वाली बात नहीं होती. इस दौरान सिर्फ डॉक्टर के सुपरविजन में रहने की जरूरत होती है.
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कोई दवा नहीं दी जाती, इससे बॉडी अपने आप लड़ती है. अगर प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार से कम हो जाए, तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है.
बिना डॉक्टरी सलाह के किसी दवा का इस्तेमाल न करें
मैसेज में बताए गए होम्योपैथिक दवा के बारे में दिल्ली के होम्योपैथिक डॉक्टर आलोक राठौर का कहना है कि डेंगू के लक्षणों और प्रभाव के इलाज में सिर्फ एक दवा का सहारा नहीं लिया जा सकता है. दवाओं के कई कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है.
जरूरी बात ये है कि होम्योपैथी में किसी भी मरीज को दवा उसके लक्षणों और उसकी हालत के आधार पर दी जाती है. जैसे डेंगू के मामले में ही किसी मरीज को तेज प्यास लगती है और किसी को प्यास नहीं लगती. दोनों ही स्थितियों में अलग-अलग दवा दी जाती है.
हर रोगी को दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के मुताबिक दी जाती है. इसलिए बिना किसी डॉक्टर को दिखाए, कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए.
आए दिन वॉट्सएप और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह के मैसेज वायरल कर दिए जाते हैं, जो पूरी तरह से सच नहीं होते या फिर बिल्कुल फेक होते हैं. ऐसे किसी भी मैसेज को हमें सच मानकर फॉलो नहीं करना चाहिए.
(अगर आपके पास भी सेहत से जुड़ा कोई मैसेज है, तो उसकी सच्चाई जानने के लिए fithindi@thequint.com पर मेल करें.)
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