कैमरा - नितिन चोपड़ा
कैमरा असिस्टेंट - अभिनव भारद्वाज
वीडियो एडिटिंग - राहुल सांपुई
लिवर की बीमारियों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है. जानिए क्या है फैटी लिवर डिजीज, इसके लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय.
फैटी लिवर डिजीज
लिवर में जब फैट तय मात्रा से अधिक हो जाता है तो उसे हम फैटी लिवर डिजीज कहते हैं, आमतौर पर लिवर में फैट की मात्रा 5% से कम होनी चाहिए, लेकिन जब फैट 5% से अधिक हो जाता है तो उसे हम फैटी लिवर डिजीज कहते हैं.
फैटी लिवर डिजीज के कारण
लिवर में फैट अधिक होने की बहुत सी वजह हो सकती हैं.
इनमें
- मोटापा
- शराब का सेवन
- डायबिटीज
शामिल है.
फैटी लिवर के लक्षण
लिवर में फैट जब अधिक मात्रा में हो जाता है तो लिवर के फंक्शन बिगड़ने लगते हैं.
- लक्षण:
- पीलिया होना
- डकार आना
- खाना खाने पर पेट फूलना
इन लक्षणों के दौरान अगर हम इस बीमारी को पकड़ लेते हैं तो इसे रोका जा सकता है.
फैटी लिवर को नजरअंदाज न करें
फैटी लिवर का अगर हम इलाज नहीं करते हैं, तो कुछ सालों में एक स्टेज आती है जिसमें इंफ्लेमेशन हो सकती है. फिर फाइब्रोसिस हो सकता है. उसके बाद एक सिरोसिस की स्टेज आती है, जिसमें लिवर सिकुड़ने लगता है, उसके फंक्शन और कम होने लगते हैं. शरीर में पानी जमा होने लगता है. नसें फूल जाती हैं, उससे ब्लीडिंग होने का खतरा होता है. शरीर के ब्लड कम्पोनेंट्स कम होने लगते हैं, जिससे ब्लीडिंग का खतरा और बढ़ता है.
हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज
डॉ शिशिर पारिक के मुताबिक फैटी लिवर डिजीज से बचाव के लिए हमें अपनी डाइट को सुधारना चाहिए. सुनियोजित लो फैट डाइट लेनी चाहिए.
रेगुलर डाइट में फैट की मात्रा 35% से कम होनी चाहिए. सैचुरेटेड फैट कम लेना चाहिए. रेगुलर एक्सरसाइज करनी चाहिए, जिसमें 150 मिनट हर हफ्ते एक्सरसाइज या फिर हर हफ्ते 75 मिनट की अग्रेसिव एक्सरसाइज शामिल है. इससे हमारी बॉडी के फैट को कम करने में मदद मिल सकती है और लिवर का फैट भी कम हो सकता है.डॉ शिशिर पारिक
अगर हम 10% तक अपना वजन कम करते हैं, तो लिवर के फैट में काफी मात्रा में कमी आती है.
हमें शराब का सेवन नहीं करना चाहिए या एक कैल्कुलेटेड रिस्क लेवल पर ही करना चाहिए.
ज्यादा नमक या फास्टफूड को नजरअंदाज करना चाहिए. सिट्रस फूड जैसे संतरा, बेरीज, नींबू या फिर बादाम ये सब चीजें लीवर को सुरक्षित रखती हैं.
फैटी लिवर डिजीज का इलाज
अगर शुरुआत में ही इस बीमारी का पता चल जाए, तो अच्छी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और कुछ दवाइयों के जरिए इलाज कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. हर मरीज को दवाइओं की जरूरत नहीं होती है. सिंपल एक्सरसाइज या डाइट मैनेजमेंट से ही इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
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