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महिलाओं के लिए किस तरह खतरनाक साबित होता है तंबाकू? 

इंटरनेशनल महिला स्वास्थय डे पर जाने “महिलाओं को तंबाकू से खतरा”

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स्टडीज बताती हैं कि भारत में लगभग एक करोड़ 1.21 करोड़ महिलाएं सिगरेट पीती हैं. अमेरीका के बाद भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर है.

जहां एक मर्द दिन भर में औसतन 6.1 सिगरेट पीता है, वहीं एक महिला दिन भर में सात सिगरेट पीती है!

गांव की महिलाएं तो सिगरेट के अलावा भी कई तरह से तंबाकू लेती हैं. कुछ बीड़ी पीती हैं, कोई हुक्का पीती हैं, तो कई महिलाएं तंबाकू का पेस्ट दांतों में लगाकर उसका मजा लेती हैं. गांव में काम करने वाली महिलाओं का ये मानना है कि ऐसा करने से उन्हें खेतों में काम करने में मदद मिलती है.

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सेकंड हैंड स्मोकिंग ज्यादा खतरनाक

सेकंड हैंड स्मोक साइडस्ट्रीम और मेनस्ट्रीम स्मोक का मिक्स्चर है. सिगरेट के जलते हिस्से से निकले धुएं को साइडस्ट्रीम स्मोक कहते हैं और सिगरेट का वो धुआं जो स्मोकर बाहर करता है, उसे मेनस्ट्रीम स्मोक कहते हैं.

सिगरेट पीने वाले के अलावा इसका खतरा उसको भी होता है, जो सिगरेट पीने वाले के पास बैठा होता है.

सेकंड हैंड स्मोकिंग करने वाले के दिल और ब्लड वेसेल्स पर इसका सीधा असर होता है. सिगरेट पीने वाले की तुलना में उनके साथ रहने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का 25 फीसदी अधिक खतरा होता है.

साइडस्ट्रीम स्मोक सेकंड हैंड स्मोक का 85 फीसदी हिस्सा बनाता है, जिसमें स्मोकर्स के बाहर किए गए मेनस्ट्रीम स्मोक के मुकाबले दूसरे तरह के केमिकल शामिल होते हैं. चूंकि ये कम तापमान पर जलता है और पूरी तरह अच्छे से नहीं जल पाता है. इसलिए धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है.

सेंकड हैंड स्मोकिंग से बच्चों और बड़ों दोनों को गंभीर और जानलेवा बीमारी होने की आशंका रहती है.

गर्भवती महिला अगर स्मोकिंग करती है या फिर सेकंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आती है, तो इससे उसके होने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. जैसे:

  • असामान्य ब्लड प्रेशर होता है
  • कटे होंठ और तालू
  • ल्यूकेमिया
  • पेट दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • आंखों में तकलीफ
  • अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर

इसके अलावा ये गर्भपात और नवजात शिशु की मृत्यु की भी वजह बन सकता है.

जिन बच्चों की माएं प्रेग्नेंसी और बच्चे के जन्म के बाद सिगरेट पीती हैं, उन बच्चों की मौत की आशंका उन बच्चों से 3-4 गुना ज्यादा होती है, जिनकी माएं सिगरेट नहीं पीती हैं. इससे बिल्कुल साफ है कि तंबाकू और शिशु मृत्यु दर में सीधा संबंध है.

रिसर्च से ये भी पता चलता है कि स्मोकिंग के कारण मर्द और औरत दोनों में इंफर्टिलिटी बढ़ती है.

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थर्ड हैंड स्मोकिंग भी होती है

जब तंबाकू जलता है, तो उससे भाप की शक्ल में निकोटिन निकलता है. ये निकोटिन घर की दीवारों, फर्श, कार्पेट, पर्दों और फर्नीचर पर चिपक जाता है.

बच्चे इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं क्योंकि वो फर्श पर खेलते हैं, पर्दों से लिपट जाते हैं और अक्सर उंगलियों को अपने मुंह में डालते हैं, जिन उंगलियों पर तंबाकू लगी होती है.

सेकंड हैंड और थर्ड हैंड स्मोकिंग में सात हजार केमिकल्स होते हैं, जिनमें 100 तो बहुत खतरनाक होते हैं और 70 केमिकल्स ऐसे होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है.

इसलिए ये बहुत जरूरी है कि तंबाकू के सेवन को कंट्रोल किया जाए और तंबाकू सेवन रोकने की योजना में जवान लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और बूढ़ी औरतों को शामिल किया जाए.

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भारत में स्मोकलेस तंबाकू की समस्या

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू सेवन की दर बहुत अधिक है. भारत में लगभग 27.5 करोड़ लोग यानी भारत की कुल जनसंख्या की करीब 35 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती है.

भारतीय महिलाओं में तंबाकू सेवन के बारे में सर्वे का कहना है:

  • 20.3 फीसदी व्यस्क महिलाएं तंबाकू प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं
  • इनमें से 90 फीसदी महिलाएं स्मोकलेस तंबाकू का सेवन करती हैं
  • औसतन 17.8 वर्ष की आयु में महिलाएं तंबाकू का सेवन शुरू कर देती हैं
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सिगरेट के अलावा स्मोकलेस तंबाकू भी खतरनाक हैं. इस तरह के तंबाकू का बिना जलाए सेवन किया जाता है, चबाया जाता है. भारत में स्मोकलेस तंबाकू के सेवन का एक लंबा इतिहास रहा है. भारत में गुटका, जर्दा, खैनी और मावा के रूप में तंबाकू लेना बहुत ही आम बात है.

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मां और बच्चे पर तंबाकू का असर

मैटरनल हेल्थ पर स्मोकिंग का असर:

  • दूध पिलाने में दिक्कत
  • गर्भपात
  • प्री-मैच्योर बर्थ यानी समय से पहले बच्चे का जन्म
  • प्रेग्नेंसी से जुड़ी कई तरह की समस्याएं
  • ब्लीडिंग

स्मोकिंग से फीटस यानी भ्रूण पर भी खतरनाक असर पड़ता है:

  • फीटस का ग्रोथ रुक जाना
  • हृदय की गति का बढ़ना
  • जन्म के समय वजन कम होना
  • जन्म के समय नवजात का वजन कम होना
  • भ्रूण को पर्याप्त पोषण न मिलना
  • जन्म से पहले मौत

(डॉक्टर दुरु शाह गाइनेकवर्ल्ड, सेंटर फॉर एसिस्टेड रिप्रोडक्शन एंड वीमेंस हेल्थ की निदेशक हैं. ये लेखक के निजी विचार हैं. फिट इसके लिए किसी भी तरह जवाबदेह नहीं है.)

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