देश के कई हिस्सों में बारिश ने एक बार फिर से कहर बरपाया है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश से जूझ रहे हैं. कई हिस्सों में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बिहार की राजधानी पटना में अस्पतालों और लोगों के घरों में जलभराव हो गया है.
बाढ़ के पानी के साथ संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
ऐसे में संक्रामक बीमारियों की रोकथाम व नियंत्रण, साफ पानी, सफाई, वेक्टर कंट्रोल और दूसरी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत होती है.
बाढ़ के हालात में खुद की सुरक्षा के लिए आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जानिए इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें.
बाढ़ के दौरान बीमारियां फैलने का सबसे ज्यादा डर दूषित खाने और पानी से होता है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के मुताबिक बीमारियों से बचने के लिए लिए कुछ सुझाव अपनाकर आप अपने परिवार को बाढ़ से होने वाली बीमारियों और बाकी समस्याओं से बचा सकते हैं.
दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से बचाव
सर गंगा राम हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर और इमरजेंसी मेडिसिन में वाइस चेयरपर्सन डॉ सुमित रे के मुताबिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे अधिक खतरा जलजनित बीमारियों का होता है.
ऐसे क्षेत्रों में दस्त, पेचिश, हैजा और टायफायड जैसी बीमारियां फैलने की ज्यादा आशंका होती है. इनसे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि साफ पानी पीया जाए.डॉ सुमित रे, सर गंगा राम हॉस्पिटल
क्या करें?
- ऐसी किसी भी चीज का सेवन न करें, जो बाढ़ के पानी के संपर्क में आया हो. जहां तक संभव हो, ताजा पकाया हुआ खाना और सूखा राशन इस्तेमाल करें.
- पानी को अच्छी तरह उबालकर या फिर उसमें क्लोरीन की गोली डालकर उपयोग करें.
- अगर पानी की लाइन या सीवेज टूट गए हों तो नल और टॉयलेट का उपयोग न करें
- घर के आसपास के इलाके को साफ रखें, गंदगी न फैलने दें
- बच्चों को बाढ़ के पानी में खेलने से रोकें
- अगर आपके बिजली के स्विच टूटे हुए हैं तो उनका उपयोग न करें
- मलेरिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें
- जहां तक संभव हो, बाढ़ के पानी में उतरने से बचना चाहिए. अगर उतर भी रहे हैं, तो गड्डे और खुले मैनहोल का पता लगाने के लिए लंबी छड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए
बाढ़ के पानी से संपर्क आपको बैक्टीरियल और वायरल, किसी भी तरह के संक्रमण से ग्रस्त कर सकता है. इसलिए जरूरी है कि बाढ़ के पानी से संपर्क होने के बाद जितना जल्दी हो सके नहा लेना चाहिए. बाढ़ के पानी से संपर्क पर सबसे ज्यादा खतरा कृमि संक्रमण (worm infestation) का होता है, जिससे पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
गर्म और आर्द्र मौसम में लेप्टोस्पायरोसिस (संक्रमित जानवरों के मूत्र से फैलने वाली बैक्टीरियल बीमारी) संक्रमण की भी ज्यादा आशंका होती है. बाढ़ के हालात में लेप्टोस्पायरोसिस के मामले ज्यादा देखे जाते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लयूएचओ) के अनुसार लेप्टोस्पायरोसिस यानी रैट फीवर बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करती है.
मनुष्यों को इस बीमारी का संक्रमण जानवरों के मूत्र या मूत्र-दूषित पानी के साथ सीधे संपर्क में आने से होता है. ये बैक्टीरिया शरीर पर किसी भी प्रकार की खुली हुई चोट, मुंह, नाक और आंखों के जरिए शरीर में प्रवेश करता है.
बाढ़ के पानी से संपर्क के 72 घंटों के अंदर doxycycline (कई तरह के संक्रमण के खिलाफ प्रभावी एंटीबायोटिक) और azithromycin (एक एंटी बैक्टीरियल दवा) के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. दवा की मात्रा बाढ़ के पानी और उसके संपर्क में रहने के समय पर निर्भर करती है.
अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी के मुताबिक ये दवाएं आमतौर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल डॉक्टर या पब्लिक हेल्थकेयर वर्कर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए.
नमी और इलेक्ट्रिक शॉक से बचाव
बाढ़ के बाद अगर छत या दीवार गीले हैं, तो पंखा बंद ही रखें और स्वीच बोर्ड को न छुएं. साथ ही बिजली के तार और अन्य सामानों से एक निश्चित दूर पर रहें. चूंकि पानी विद्युत का सुचालक होता है, ऐसे में बिजली का झटका लगने का खतरा रहता है.
बता दें कि फिलहाल कुछ राज्य पूरी तरह से भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में हैं. उत्तराखंड और हिमाचल जैसे राज्यों में भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है. ईस्ट मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, पुडुचेरी सहित कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. इनके अलावा पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में भी बाढ़ को लेकर अलर्ट जारी किया गया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)