जिंदगी की भागदौड़ और समय के साथ तालमेल बिठाने की जद्दोजहद में अधिकतर लोग खुद की डाइट को लेकर एडवांस में कोई प्लानिंग नहीं कर पाते हैं. इस वजह से वो ऐसी डाइट लेने लगते हैं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स अधिक और प्रोटीन कम होता है. ऐसी डाइट प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियों को न्योता देती है. प्रोटीन की कमी से थकान और कमजोरी महसूस होती है, जिसके लिए आसानी से बिजी लाइफस्टाइल को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है.
एक औसत भारतीय के लिए प्रोटीन का आरडीए (recommended dietary allowance) 1 ग्राम प्रति किलोग्राम वजन है. इस प्रकार, 60 किलोग्राम वजन वाले व्यक्ति को रोजाना डाइट में 60 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए.
हालांकि, भारतीयों में विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में कम प्रोटीन इनटेक का ट्रेंड देखा गया है.
उदाहरण के लिए, एक वर्किंग इंडियन के डेली डाइट में नाश्ते के लिए उपमा, पोहा या अन्य अनाज और दोपहर के भोजन के लिए चपातियां और सब्जी जैसी चीजें शामिल होंगी क्योंकि दाल और दही जैसे तरल पदार्थ लेना सुविधाजनक नहीं होता है. स्नैक टाइम में चाय और कुछ जल्दी से खाने वाली चीजें जैसे बिस्कुट या भेल शामिल हैं.
बच्चों की प्रोटीन जरूरतों के बारे में पता रखना जरूरी
इस वजह से शाम तक बॉडी को न्यूनतम प्रोटीन की मात्रा ही मिल पाती है और दैनिक प्रोटीन की आवश्यकता अधिकतर पूरी नहीं होती है. बच्चे, फास्ट फूड और मैदे से बनी चीजें जैसे नूडल्स, बर्गर, पिज्जा और पास्ता खाते हैं. ऐसे में प्रोटीन की कमी हो जाती है, जबकि उनके तेजी से विकास के लिए प्रोटीन जरूरी है. उनके माता-पिता अक्सर इस बात से अनजान होते हैं कि उन्हें कितना प्रोटीन मिलना चाहिए.
अंडा, चिकन, मछली और रेड मीट के साथ नॉनवेज के विकल्प असीमित हैं. लेकिन वेजिटेरियन लोगों को कुछ प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, डेयरी प्रोडक्ट्स, दालें / सोया / टोफू और नट्स जैसे बादाम और अखरोट के बीच से चुनना होता है. हम दिन भर में सभी भोजन में थोड़ा प्रोटीन शामिल करके प्रोटीन इनटेक को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं.
डाइट में इस तरह शामिल कर सकते हैं पर्याप्त प्रोटीन
नाश्ते के समय, आपकी सुबह की चाय या कॉफी की जगह पर एक हेल्दी स्मूदी या फ्रूट वाला मिल्कशेक, दही / दूध ले सकते हैं. शेक में व्हे या मट्ठा शामिल करने से आप एक अतिरिक्त प्रोटीन को बढ़ावा दे सकते हैं. व्हे को इस तरह के शेक में मिलाना बहुत आसान है. पोहा या उपमा के अपने ट्रेडिशनल नाश्ते के साथ लिया जाता है. प्रोटीन से भरपूर शेक और भोजन केवल व्यायाम या कसरत करने वालों तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि इससे हममें से ज्यादातर लोगों को फायदा होगा क्योंकि एक औसत भारतीय अपने लिए जरूरी डेली प्रोटीन इनटेक को पूरा नहीं कर पाता है.
लंच या डिनर में हर दिन दाल / एक कटोरी दाल होने से एक दिन में आवश्यक ऑप्टिमम प्रोटीन को पूरा करने में मदद मिलेगी. वेजिटेरियन लोगों को मुट्ठी भर नट्स और हर दिन डेयरी प्रोडक्ट शामिल करना चाहिए. ये न केवल ओवर ऑल प्रोटीन की खपत में योगदान देगा, बल्कि एक हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखने में भी मदद करेगा. इसके अलावा, नॉन-वेजिटेरियन लोग अंडे / अंडे की सफेद हिस्से का सेवन कर सकते हैं. प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन इनटेक बनाए रखने के लिए लीन मीट जैसे चिकन और मछली ले सकते हैं.
प्रोटीन इनटेक की माप
हालांकि प्रोटीन के लिए RDA विभिन्न आयु वर्गों के लिए अलग-अलग होते हैं. यह रेकमेंड किया जाता है कि जनसंख्या के कुछ वर्गों को अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने की आवश्यकता हो सकती है. यह उम्र, जेंडर, लाइफ साइकल स्टेज जैसे किशोरावस्था, गर्भावस्था / स्तनपान और एक्टिविटी लेवल जैसे फैक्टर्स पर निर्भर करता है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, प्रोटीन के लिए दैनिक आरडीए निम्नानुसार है:
जैसा कि चार्ट में देखा गया है, बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए प्रोटीन का रेकमेंड इनटेक 1 ग्राम / किग्रा शरीर के वजन से अधिक है. यह दर्शाता है कि उनकी प्रोटीन की आवश्यकता सामान्य से अधिक है. इसी तरह जो लोग किसी बीमारी या आघात से उबर रहे हैं, उन्हें भी उच्च प्रोटीन सेवन की आवश्यकता होगी. फिर एथलीट्स और जिम जाने वाले लोग हैं, जो वजन (प्रतिरोध) ट्रेनिंग करते हैं, ऐसे लोगों को निश्चित रूप से 1.5 - 1.7 ग्राम / किग्रा शरीर का वजन तक, हाई प्रोटीन इनटेक से फायदा होगा.
कुछ एथलीटों को रोजाना 2-2.5 ग्राम / किलोग्राम शरीर के वजन, प्रोटीन की आवश्यकता हो सकती है.
प्रोटीन वाले फूड प्रोडक्ट्स की लिस्ट
प्लांट और एनिमल बेस्ड फूड की बहुत अधिक वैराइटी है, जिनमें अधिक प्रोटीन मिलता है. इनमें शामिल है:
- मीट: अंडे, मछली, चिकन और रेड मीट
- डेयरी: स्किम्ड मिल्क, दही, पनीर, स्किम्ड मिल्क पाउडर
- व्हे प्रोटीन
- नट्स या मेवे
- फलियां: दाल
- सोया
मीट, अंडे, डेयरी, व्हे प्रोटीन और सोया को फर्स्ट क्लास का प्रोटीन माना जाता है. इसका अर्थ है कि इनमें सभी अमीनो एसिड- प्रोटीन का बिल्डिंग ब्लॉक, का कंप्लीट सप्लीमेंटरी है. जबकि मेवे, फलियां और अनाज को सेकेंड क्लास का प्रोटीन स्रोत माना जाता है.
रेगुलर डाइट में किसी भी या उपरोक्त सभी फूड प्रोडक्टस को शामिल करने से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलेगा, जो सेहत के लिए फायदेमंद होगा.
(नीति देसाई साउथ मुंबई में एक क्लिनिक में कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट हैं. वे 17 साल तक कुंबाला हिल हॉस्पिटल से जुड़ी हुई थीं.)
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