लोग क्यों सोते हैं, नींद क्यों जरूरी है? ये बात कुछ समय पहले तक एक पहेली जैसी बनी हुई थी. लेकिन कई रिसर्च में अब ये बात साफ हो चुकी है कि दिमाग के बेहतर तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है. सही तरीके से नींद लेने से अल्जाइमर और कई तरह की बीमारियों के खतरे से आसानी से बचा जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने हाल ही में ये पता किया है कि एक रात की खराब नींद हमारे मस्तिष्क को इतना अधिक प्रभावित कर देती है कि उससे अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.
अपर्याप्त नींद से अल्जाइमर का खतरा
इस रिसर्च से पता चला है कि नींद की छोटी-मोटी समस्या और अल्जाइमर के बीच कितना गहरा संबंध है. किस तरह अपर्याप्त नींद अल्जाइमर का खतरा बढ़ाने का काम करती है. इस रिसर्च में अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए कई अहम सुझाव सामने आए हैं.
अल्जाइमर तेजी से फैलने वाला भयानक विकार है, जिसमें मस्तिष्क के न्यूरॉन्स पर असर पड़ता है. इस वजह से याददाश्त कमजोर होने लगती है. इसे हल्के में लेना मानव शरीर के लिए काफी परेशानी का सबब बन सकता है.
आपकी भाषा पर असर, भावनात्मक तनाव और गुस्से में बढ़ोतरी के साथ अल्जाइमर की शुरुआत हो सकती है. लेकिन ये यहीं नहीं रुकता, ये आपके अंदर के गुस्से को इतना बढ़ा देता है कि काफी तेजी से इंसान डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की तरफ जाने लगता है. जो काफी खतरनाक स्थिति होती है.
एक स्वस्थ जीवन के लिए अच्छे खानपान और रोजाना व्यायाम के साथ पर्याप्त नींद भी जरूरी है. अच्छी नींद ना आने से इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है:
- डिप्रेशन यानी अवसाद
- तनाव
- कॉग्निटिव डिसफंक्शन मतलब सोचने-समझने की क्षमता में कमी
- वजन बढ़ना
- टाइप II डायबिटीज
सालों पहले जब तक बल्ब का अविष्कार नहीं हुआ था. रात का अंधेरा शुरू होते ही लोग सो जाते थे. उन दिनों अमूमन रात के 7 से 8 बजे तक लोग अपने बेड पर होते थे. ऐसे में उन्हें करीब 12 घंटे तक चैन-सुकून के साथ लंबी नींद लेने का मौका मिलता था. लेकिन टेक्नोलॉजी के विकास ने लोगों की जिंदगी आसान बनाने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को भी बढ़ाने का काम किया है.
इसलिए जरूरी है अच्छी नींद
इंसानों और चूहों पर किए गए रिसर्च में ये बात सामने आई है कि मानव शरीर के विकास के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है. नींद की कमी की वजह से शरीर के अंदर ऐसे केमिकल (सॉल्यूबल बीटा एमिलॉयड) तैयार होते हैं. जो ब्रेन सेल्स (मस्तिष्क कोशिकाओं) को मारने का काम करते हैं. ऐसा होने से दिमाग पर और सोचने-समझने की क्षमता पर काफी बुरा असर पड़ता है.
मानव मस्तिष्क में एमिलॉयड के जमा होने की वजह से ही अल्जाइमर की शुरुआत होती है और आगे चलकर यह डिमेंशिया का कारण बन जाता है.
अब ये बात पूरी तरह साफ हो चुकी है कि जब हम जगे होते हैं, उसी दौरान हमारे शरीर में हानिकारक केमिकल का निर्माण होता है. हालांकि अच्छी नींद लेने पर ये खत्म हो जाते हैं.
लेकिन आज के समय में अक्सर लोग कम नींद लेते हैं, जिस वजह से ऐसे हानिकारक केमिकल को खत्म करना काफी मुश्किल हो गया है.
तमाम रिसर्च बताते हैं कि नींद की कमी काफी तेजी से अल्जाइमर का रूप ले लेती है. इसलिए बेहतर यही होगा कि अपनी लाइफस्टाइल को सही करके ही इस गंभीर बीमारी पर कंट्रोल किया जाए. जितनी जल्दी आप इस बारे में सचेत हो जाएंगे, उतना बेहतर होगा, नहीं तो कहीं देर न हो जाए.
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