गूगल ने शुक्रवार 10 मई को हीमाटोलॉजिस्ट (रुधिर रोग विशेषज्ञ) लूसी विल्स की 131वीं जयंती पर डूडल समर्पित कर उन्हें याद किया.
विल्स ने 1928 में मुंबई में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के संबंध में रिचर्स की, जिससे आगे चलकर फोलिक एसिड की खोज हुई, जो शिशुओं में बर्थ डिफेक्ट को रोकने में मदद करता है.
उन्होंने 1920 के दशक के अंत में और 1930 के दशक की शुरुआत में भारत में गर्भावस्था के दौरान मैक्रोसिटिक एनीमिया के संबंध में महत्वपूर्ण काम किया.
उन्होंने मुंबई में कपड़ा उद्योग में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च किया, जिससे यीस्ट में पाए जाने वाले एक पोषण संबंधी कारक की खोज हुई, जो इस विकार को रोकता है और साथ ही इसे ठीक भी करता है.
बाद में इसकी पहचान फोलिक एसिड के रूप में हुई, उससे रिसर्च के दौरान बंदरों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, जिसे 'विल्स फैक्टर' नाम दिया गया.
फॉलिक एसिड फोलेट का प्रकार है- एक बी-विटामिन, जो प्राकृतिक रूप से गहरी हरी सब्जियों और खट्टे फलों में पाया जाता है.
अमेरिका का सेंट्रर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन अब अनुशंसा करता है कि बच्चे पैदा करने वाली उम्र की सभी महिलाएं रोजाना 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लें.
कई साल तक यह 'विल्स फैक्टर' रहा, जब तक कि इसे 1941 में फोलिक एसिड नाम नहीं दिया गया.
1888 में जन्मी विल्स का निधन अप्रैल 1964 में हुआ था.
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