केंद्र सरकार ने ई-हुक्का और ई-सिगरेट समेत दूसरे ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम’ (ईएनडीएस) पर सख्त रुख अख्तियार किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत ‘ड्रग्स’ की श्रेणी में लाने के लिए प्रस्ताव दिया है, ताकि इनके उत्पादन, बिक्री, वितरण और आयात पर रोक लगाई जा सके.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव को औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) ने मंजूरी दे दी है. डीटीएबी देश में दवाओं से संबंधित तकनीकी मामलों पर शीर्ष सलाहकार निकाय है.
कुछ संगठनों का दावा है कि ये उपकरण धूम्रपान की आदत को छुड़ाने में मददगार हैं और ये परंपरागत सिगरेटों से कम नुकसानदेह हैं, जबकि सरकार इनको प्रतिबंधित करने के लिए दलील दे रही है कि इनसे स्वास्थ्य को गंभीर खतरे हो सकते हैं, जो परंपरागत सिगरेट के समान ही हैं.
जानिए हुक्का, ई-सिगरेट और हर्बल सिगरेट के नुकसान
ईएनडीएस उपकरण ऐरोसॉल बनाने के लिए सॉल्यूशन को गर्म करते हैं, जो अक्सर फ्लेवर वाला होता है.
इन उपकरणों में ई-सिगरेट, ई-शीशा, ई-निकोटिन फ्लेवर्ड हुक्का समेत दूसरी चीजें आती हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 26 ए के तहत ई-सिगरेट व समान उत्पादों समेत ईएनडीएस के उत्पादन, बिक्री और वितरण को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव दिया है. इसके साथ ही संगठन ने कानून की धारा 10ए के तहत इसके आयात पर भी रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि अधिनियम में ‘औषधि’ के प्रावधानों के तहत धूम्रपान त्यागने में मदद करने वाली कोई भी चीज ‘औषधि’ की परिभाषा के दायरे में आती है.
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा, केरल, मिजोरम, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर पहले ही ई-सिगरेट आदि को प्रतिबंधित कर चुके हैं.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने भी ईएनडीएस पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की है. संस्था का कहना है कि इन उपकरणों का इस्तेमाल करने से धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों को भी निकोटिन की लत लग सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)