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Unlock 3.0: खुलेंगे जिम,दिखेंगे कई बदलाव, इन सावधानियों को अपनाएं 

जिम खुलने के साथ ही कई बदलावों को अपनी आदतों में शामिल करना होगा

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अनलॉक 3.0 में जिम भी खुलेंगे. केंद्र सरकार ने इसकी इजाजत दे दी है. जिम के खुलने के साथ ही इन पर सख्त नियम भी लागू हो सकते हैं. जिम और फिटनेस सेंटर में कुछ सावधानियां जरूरी हैं जिससे कोरोना वायरस से बचा जा सके.

फिट ने फिटनेस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से बातचीत की और जानना चाहा कि जिम, फिटनेस स्टूडियो में एक्सरसाइज, वर्कआउट करने वालों के लिए क्या बदलाव होने जा रहे हैं? साथ ही किन सावधानियों को ध्यान में रखने की जरूरत है.

उन्होंने हमें बताया कि भले ही केंद्र सरकार ने 5 अगस्त से जिम खोलने की इजाजत दे दी है लेकिन अभी तक राज्य सरकारों ने इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) जारी नहीं की है. ये राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वो जिम खोलने की इजाजत देंगे या नहीं. इजाजत मिलने के बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक इसपर फैसला नहीं लिया है. हालांकि, जिम, फिटनेस सेंटर के मालिक अपनी तरफ से पूरी एहतियात बरतने की तैयारी में हैं.

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जिम में कैसे बदलाव दिखेंगे?

स्पोर्ट्स फिट बाई एमएस धोनी के देहरादून ब्रांच के डायरेक्टर अमन वोहरा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी करने का इंतजार है लेकिन जिम एसोसिएशन ने कुछ बुनियादी चीजें तय कर ली हैं, जिनका पालन राज्य के हर छोटे-बड़े जिम करने जा रहे हैं.

  • अब क्लाइंट के लिए बैच तय किया जाएगा. पहले कोई, कभी भी आ सकता था. लेकिन अब हर बैच के लिए एक स्लॉट बुक होगी.
  • सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो किया जाना जरूरी है. उदाहरण के लिए, अगर 6 ट्रेडमिल हैं तो सिर्फ 3 इस्तेमाल किए जाएंगे, एक ट्रेडमिल का गैप रखना होगा. ट्रेडमिल के बीच ट्रांसपेरेंट शीट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • जिम की कैपेसिटी और साइज के हिसाब से बैच में लोगों की संख्या तय की जाएगी. 90 मिनट का बैच होगा. 6000 स्कवॉयर फिट वाले जिम में 20-25 लोग हो सकते हैं. छोटे जिम में 8 क्लाइंट्स हो सकते हैं. इनमें भी आधे क्लाइंट एक बार में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करेंगे और बाकी कार्डियो ट्रेनिंग करेंगे. फिर कार्डियो करने वाले स्ट्रेंथ करेंगे और स्ट्रेंथ वाले कार्डियो. ट्रेनर की संख्या कम की जा सकती है. इससे सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन रहेगा.
  • क्लाइंट्स को कुछ नियम मानने होंगे. वो मर्जी से एक्सरसाइज नहीं कर सकेंगे. लेकिन इसके लिए ट्रेनर और क्लाइंट के बीच सहमति और तालमेल होगी, ताकि जिम में सभी को एक सुरक्षित माहौल मिल पाए.
  • हर बैच के खत्म होने पर आधे घंटे की क्लीनिंग सेशन होगी. इस दौरान मशीनों को साफ और सैनिटाइज किया जाएगा. किसी को एंट्री की इजाजत नहीं होगी.
  • शॉवर, स्टीम की सुविधा नहीं होगी, क्योंकि इन कॉमन एरिया से संक्रमण ज्यादा फैलने का खतरा होता है. जिम आने वाले लोग घर जाकर ही शॉवर लें.

क्या जिम मेंबरशिप की कीमत बढ़ सकती है?

अमन वोहरा का मानना है कि जिम मेंबरशिप की कीमतें अब बढ़ सकती हैं. इसके पीछे वजह ये है कि पहले जितने क्लाइंट जिम का इस्तेमाल करते थे, उनकी संख्या में कमी आएगी. सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने के लिए बैच में क्लाइंट्स की सीमित संख्या होगी. इसका असर कीमतों पर दिख सकता है. हाउसकीपिंग स्टाफ पर खर्च और सैनिटाइजेशन जैसे अतिरिक्त खर्च जुड़ेंगे.

हालांकि ये अलग-अलग राज्यों और वहां के जिम एसोसिएशन पर निर्भर करता है.

फिलहाल, लॉकडाउन की वजह से 5 महीने जिम बंद रहे हैं. ऐसे में कई क्लाइंट्स मेंबरशिप ले चुके थे लेकिन जिम का इस्तेमाल नहीं कर पाएं. अगर वो क्लाइंट नई मेंबरशिप लेते हैं तो लॉकडाउन के 5 महीने के समय को उसमें जोड़े जाने का ऑफर दिया जा सकता है.

सुरक्षा के लिए कौन से नए नियम अपनाए जाएंगे?

वेलनेस और फिटनेस सर्विस ऐप फिटरनिटी(Fitternity) की सीईओ नेहा मोटवानी ने फिट से बातचीत में बताया कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में सिर्फ जिम अपनी तरफ से नियम तय कर सेफ्टी सुनिश्चित नहीं कर सकते. क्लाइंट्स को भी खुद की और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा.

उन्होंने अलग-अलग जिम और फिटनेस सेंटर्स की तैयारियों के आधार पर बताया कि-

  • क्लाइंट्स अपने निर्धारित समय पर ही जिम जाएं और समय खत्म होने पर वहां से निकलें. इससे बेवजह भीड़, क्रॉस गैदरिंग से बचा जा सकेगा. ये ‘न्यू नॉर्मल’ होगा.
  • जिम में वॉटरकूलर का इस्तेमाल करने की बजाय अपनी पानी की बोतल ले जाएं. स्ट्रेचिंग के लिए अपनी खुद की योगा मैट ले जाएं. इक्वीपमेंट को छूते समय ग्लव्स का इस्तेमाल करें. एक सैनिटाइजर और टॉवल साथ ले जाएं. जूते का एक एक्स्ट्रा पेयर रखें.
  • ग्रुप फिटनेस क्लास के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए जगह चिन्हित की जाएगी. दायरा बनाया जाएगा.

जिम ट्रेनिंग दुबारा शुरू करते वक्त रखें इन बातों का खास ख्याल

लॉकडाउन की वजह से लोग महीनों से घर में वर्कआउट कर रहे हैं. दुबारा जिम की शुरुआत करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए. इस बारे में दिल्ली के जिम ट्रेनिंग सेंटर- डिकोड स्ट्रेंथ, कंडिशनिंग (Decode strength & conditioning ) के मालिक जीवन औजला कहते हैं-

हर ट्रेनिंग साइकिल महीनों में बंटी होती है. एक ट्रेनिंग साइकिल में 3 हफ्ते अगर ग्राफ ऊपर लेकर जाते हैं तो चौथे हफ्ते में हम इसे डी-लोड(De-load) करते हैं.

अचानक लॉकडाउन होने से लोगों का मोमेंटम बिगड़ गया. इसलिए दुबारा जिम शुरु करने पर खुद को 6 से 8 सप्ताह का वक्त दीजिए ताकि आप प्री-लॉकडाउन फिटनेस लेवल पर पहुंच सकें. अगर लॉकडाउन से पहले जिम में आप 10 किलो वेट उठा रहे थे तो उन्हें ढाई-तीन किलो के वेट से शुरू करना चाहिए. पहले के मुकाबले 30% से शुरू करें और हफ्ते दर हफ्ते इसे 5 से 10% तक बढ़ाएं.

‘जनरल एडैप्टेशन सिंड्रोम प्रिंसिपल’ के मुताबिक जब हम ट्रेनिंग दुबारा शुरू करते हैं तो 2 हफ्ते के लिए शरीर शॉक स्टेज में जाता है. तीसरे -चौथे सप्ताह में शरीर बदलाव को अपना लेता है और पांचवें और छठे हफ्ते में सुपर-कम्पेनसेट यानी भरपाई करता है. 0 से 6 सप्ताह के इस पड़ाव में 30 से 50% ट्रेनिंग करनी होती है.

वो सुझाव देते हैं कि जिम शुरू होने के बावजूद लॉकडाउन के दौरान जो अच्छी आदतें अपनाई हैं, उन्हें जारी रखें. कई दिनों से ट्रेनिंग न हो पाने के दबाव में आकर अचानक जिम में ज्यादा वक्त बिताकर इसकी भरपाई करने की कोशिश न करें, इसका बुरा असर हो सकता है. इस बात का ख्याल ट्रेनर और क्लाइंट दोनों को रखना चाहिए.

वो कहते हैं कि जिम मालिकों को क्लाइंट्स के लिए कुछ बदलाव करने चाहिए. जैसे-

  • मुमकिन हो तो क्लाइंट्स को समझाएं कि फिलहाल वो जिम का इस्तेमाल हफ्ते में 3 दिन करें. इसके अलावा साइकलिंग, योगा, स्पोर्ट्स करें.
  • इक्वीपमेंट को डिवाइड किया जा सकता है ताकि फिजिकल टच पॉइंट कम हो जाएं.
  • इंस्ट्रक्टर क्लांइट को बॉडी वेट एक्सरसाइज पर फोकस करने को कह सकते हैं ताकि इक्वीपमेंट की जरूरत कम पड़े.

दिल्ली की फिटनेस स्टूडियो वेसना अल्टा सेलो (Vesna’s alta celo) की फाउंडर वेसना पी जैकब कहती हैं कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी इम्युनिटी को दुरुस्त रखने की है. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है और इसके लिए जिम खोलने का फैसला सही है. सावधानियां बरती जाएं तो जिम खोलना भी उतना ही सुरक्षित है, जितना कि पार्लर और मार्केट का खुलना. लेकिन वो इंफेक्शन के रिस्क से इनकार नहीं करतीं.

“पर्सनलाइज्ड स्टूडियो में हम सभी सावधानियां रख रहे थे. कई बुनियादी नियमों का पालन हम लॉकडाउन से पहले भी कर रहे थे- जैसे टेंपरेचर चेक करना, सैनिटाइजेशन और 2 क्लाइंट के बीच दूरी रखना. इसे अब और बढ़ाने और बेहतर करने की तैयारी है. हाइजीन का खास ख्याल रखना जरूरी है. स्टूडियो में जूते पहनने की इजाजत नहीं है.”
वेसना पी जैकब

मास्क- हां या ना?

जिम में मास्क पहनना जरूरी है या नहीं, ये फिलहाल साफ नहीं है. जिम और फिटनेस सेंटर मालिकों का कहना है कि ये पूरी तरह से सरकार की गाइडलाइन पर निर्भर करेगा.

जिम में मास्क पहनने से एयरफ्लो में रुकावट आ सकती है और हृदय की गति को तेज हो सकती है. आप जल्दी से थक सकते हैं और चक्कर आना या हल्की-सी कमजोरी का अनुभव हो सकता है. इसलिए जिम में वर्कआउट करते समय मास्क पहनने से पहले ट्रेनर से बात करें.

वेसना पी जैकब कहती हैं कि अब तक दुनिया में कहीं भी क्लाइंट्स को मास्क पहनकर एक्सरसाइज करते हुए नहीं देखा है. टीचर भले ही मास्क और फेसशील्ड लगा सकते हैं. हाई इंटेसिटी इंटरवल ट्रेनिंग में अगर आप मास्क पहनेंगे तो जल्दी थकान महसूस होगी. लेकिन मैं अपने स्टूडियो में आने वाले क्लाइंट्स पर ये फैसला छोड़ती हूं कि वो मास्क पहनना चाहेंगे या नहीं.

वहीं, जीवन औजला कहते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान मास्क पहना जा सकता है. सेफ्टी सबसे पहले आती है और मास्क इसके लिए जरूरी है. कुछ चीजें ध्यान में रखनी होंगी.

  • स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को ज्यादा महत्व दीजिए. इसमें ज्यादा कार्डियो वैस्क्युलर लोड महसूस नहीं होता है.
  • ट्रेनिंग इंटेंसिटी कम रखें ताकि दिल और लंग्स पर ज्यादा दबाव न पड़े.
  • रेस्ट पीरियड ज्यादा रखिए ताकि ब्रीदिंग कंट्रोल रहे.
  • जिम में क्रॉस वेंटिलेशन होनी चाहिए.
  • हार्ट रेट, ब्रेथलेसनेस होने पर ट्रेनर से सलाह लें.

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