चाहे गरमागरम चपाती हो या एक कटोरी दाल. चाहे करीने से बनी बर्फी हो या साधारण फ्राइड एग, हम हर खाने में अपना मनपसंद घी चाहते हैं. और अगर कोई चीज घी से भी ज्यादा पसंद है, तो वो है फूड आइटम की तारीफों के पुल बांधना.
लेकिन क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार भी है? हमने डॉक्टरों और न्यूट्रिशनिस्ट से इस पर बात की.
मक्खन से बेहतर है घी: कार्डियोलॉजिस्ट
फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के एडिशनल डायरेक्टर और डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियक सर्जरी के हेड डॉ. वैभव मिश्रा घी पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं:
घी में विटामिन A, D, E, K होते हैं, और ये सभी हड्डियों, त्वचा, तंत्रिका तंत्र और दिमाग के लिए अच्छे हैं. लेकिन इसमें सैचुरेटेड फैट भी होता है, जो नुकसान करता है. इस वजह से मोटे या जरूरत से ज्यादा वजनदार लोगों को इससे बचना चाहिए. उम्रदराज लोग, परिवार में हार्ट प्रॉब्लम की हिस्ट्री वाले लोग, स्मोक करने वाले, हाइपरटेंशन से पीड़ित व्यक्ति या एक्सरसाइज नहीं करने वाले लोगों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए. इन सारी बातों के बावजूद यह जानना जरूरी है कि घी निश्चित रूप से मक्खन से बेहतर है.
वह साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि घी के फायदे हो सकते हैं, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही लिया जाना चाहिए.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना फैट का सेवन इस प्रकार करना चाहिएः
डाइट पर एक्सपर्ट रिपोर्ट का स्पष्ट सुझाव है कि फैट की मात्रा रोजाना कुल एनर्जी इनटेक का 15 से 30 फीसद के बीच सीमित होनी चाहिए और सैचुरेटेड फैट इस पूरे का 10 फीसद से कम होना चाहिए.
इन्हीं आंकड़ों के हवाले डॉक्टर कहते हैं कि घी का जरूरत से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए जैसा कि हम हर चीज में घी पसंद करते हैं. एक वयस्क के लिए रोजाना एक चम्मच घी खाने में कोई खराबी नहीं है. लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि उन्हें या उनके परिवार में हार्ट प्रॉब्लम की हिस्ट्री ना हो. किसी को हार्ट की प्रॉब्लम है, तो उसे घी से एकदम बचना चाहिए.
घी का संबंध उम्र से भी है. यह बच्चों और नौजवानों के लिए बहुत फायदेमंद है, जिनका हाजमा और एक्सरसाइज का स्तर ऊंचा होता है. ग्रोथ के लिए घी बेहद फायदेमंद है. हालांकि ज्यों ही कोई जवानी की दहलीज पर पांव रखता है, उसका जीवन गतिहीन लाइफस्टाइल का आदी हो जाता है, ऐसे में इसके सेवन में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है.
संतुलन ही है सेहत का साथी: न्यूट्रिशनिस्ट
घी के मामले में संतुलन बहुत जरूरी है, यह कहना है न्यूट्रिशनिस्ट डॉ रुपाली दत्ता का.
घी में पाया जाने वाला फैट ठीक होता है, लेकिन बहुत अच्छा नहीं होता. नारियल तेल के मामले में भी ऐसा ही है. लेकिन जरूरी है संतुलन कायम रखना. अगर आप नॉन-वेजेटेरियन हैं, तो आपके शरीर को पहले ही जरूरी फैट मिल जा रहा है. इस मामले में आप घी ले तो सकते हैं, लेकिन सिर्फ सही मात्रा में.
डॉ. रुपाली दत्ता का ये भी कहना है कि यह वयस्क शख्स के लिए जरूरी नहीं है. डॉ. मिश्रा की ही तरह इनका भी कहना है कि बच्चों और 18 साल तक के लोगों के लिए इसकी जरूरत है, लेकिन इसके बाद इसे खाने में सावधानी बरतनी चाहिए. उनका कहना है कि घी अच्छा है, लेकिन इतना भी अच्छा नहीं है, जैसा कि हम इसका बखान करते हैं और इतना बेकार भी नहीं जितना इसकी आलोचना की जाती है.
मक्खन या घी- क्या बेहतर है?
healthline.com के मुताबिक मक्खन की तुलना में घी की पौष्टिकता वैल्यू इस तरह है.
रिपोर्ट आगे कहती है कि घी में मिल्क शुगर लैक्टोज और मिल्क प्रोटीन केसीन नहीं होता, जबकि ये दोनों मक्खन में पाए जाते हैं. इसलिए ऐसे लोग जो डेयरी उत्पाद के प्रति एलर्जिक होते हैं, वो मक्खन की बजाए घी का चुनाव कर सकते हैं.
इसके अलावा, घी और मक्खन तेज आंच पर भी कोई नुकसानदायक तत्व रिलीज नहीं करते हैं, जैसा कि वेजिटेबल और सीड्स ऑयल में होता है, घी फिर भी ज्यादा बेहतर होता है. लेकिन मीठे स्वाद के कारण बेकिंग में मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है. तो मकसद और अपनी फैट की जरूरत के हिसाब से दोनों में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं.
कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है
कई तरह के घी में अंतर करना जरूरी है. एक तरह का घी, जो घर में दूध से निकाला जाता है, जिसमें प्रिजर्वेटिव या केमिकल्स नहीं मिले होते, जबकि दूसरा वेजिटेबल ऑयल से भी बनाया जाता है, जिसे वनस्पति घी कहते हैं. वनस्पति घी में ट्रांस फैट 14-40 फीसद तक हो सकता है.
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी द्वारा किए गए कई अध्ययनों द्वारा जुटाई जानकारी का निचोड़ यह है कि घी हार्ट की सेहत सुधार सकता है. एक अन्य अध्ययन कहता है कि घी HDL या ‘अच्छे’कोलेस्ट्रॉल में इजाफा करने के साथ रक्त वाहिकाओं में फैटी जमाव का बनना कम करता है.
इन सब बातों के अलावा घी कई फायदों के साथ ही आंखों की रोशनी बढ़ाता है, मांसपेशियों, नसों और हड्डियों को मजबूत करता है, सर्दी से लड़ता है.
तो अंतिम संदेश यह है कि घी से सेहत को अनगिनत फायदे हैं, लेकिन सिर्फ तभी जब इसका इस्तेमाल समझदारी से किया जाए.
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