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लैंगिक भेद, पोषण और पर्यावरण से इस कदर प्रभावित होती है हमारी सेहत

पोषण से लेकर पर्यावरण, हमारी सेहत पर पड़ता है इन मुद्दों का असर.

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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक हेल्थ सिर्फ शरीर में किसी बीमारी या विकार का ना होना ही नहीं है, बल्कि ये शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण से जुड़ा है.

हमारी सेहत पर हर चीज का असर पड़ता है, फिर वो चाहे पोषण हो, पर्यावरण हो या लैंगिक भेदभाव हो, इन सभी मसलों से हमारी सेहत प्रभावित हो रही है. इन्हीं के साथ मीडिया भी बहुत हद तक एक अहम भूमिका निभाती है.

शुक्रवार, 9 अगस्त को फिट, द क्विंट और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटजीस की ओर से एक हेल्थ समिट Why Health Matters: Bringing it to the Centrefold का आयोजन किया गया. इस समिट में हेल्थ और न्यूट्रिशन, स्वास्थ्य और पोषण, हेल्थ और जेंडर, हेल्थ और मीडिया पर चर्चा के लिए तमाम विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

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ये हेल्थ समिट चार सेशन में हुआ.

सेहत के लिए सबसे पहले आता है पोषण

हमारी सेहत के लिए सबसे अहम होता है कि हम क्या खाते हैं, जिससे हमें पोषण मिलता है. इस सेशन में शामिल सभी एक्सपर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हमें कुपोषण को रोकने और कम करने की जरूरत है.

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मैक्स हेल्थ केयर के सीनियर ग्रैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया ने कहा कि जब मां में पोषक तत्वों की कमी होती है, तब बच्चा भी कुपोषित होता है, उसकी इम्यूनिटी कम होती है, इस तरह डायरिया और दूसरे इंफेक्शन का ज्यादा खतरा होता है और नवजात अगर बच्ची है, तो इस तरह कुपोषण का चक्र शुरू हो जाता है.

डॉ सेतिया के मुताबिक अक्सर प्रीमैच्योर लेबर की वजह भी मां का कुपोषित होना होता है. इसके अलावा अगर मां में पोषक तत्वों की कमी है, तो वो बच्चे को ब्रेस्ट फीड भी नहीं करा सकती, जो नवजात को कई बीमारियों और मोटापे से बचाता है.

महामारी बनते मोटापे पर डॉ सेतिया ने कहा कि इसकी वजह हेल्दी फूड की जगह बहुत ज्यादा जंक फूड लेना है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.

सेहत के लिए करें पर्यावरण की परवाह

पर्यावरण प्रदूषण, एयर पॉल्यूशन, ग्लोबल वॉर्मिंग या जलवायु परिवर्तन हमारी सेहत को किस तरह बिगाड़ रहे हैं? हम कहां गलती कर रहे हैं? इससे निपटने के लिए क्या किया जाने की जरूरत है? हेल्थ समिट के दूसरे सेशन में एक्सपर्ट्स ने अपनी-अपनी राय रखी.

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आधी आबादी की सेहत

स्वास्थ्य सुविधाओं तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आधी आबादी किन चुनौतियों का सामना कर रही है? इसकी वजह क्या है कि हेल्थ केयर को लेकर लैंगिक भेदभाव आज भी कायम है.

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हेल्थ केयर में मीडिया की भूमिका

स्वास्थ्य की कितनी भी चर्चा हो, लेकिन उसे आम जन तक पहुंचाने का जरिया क्या है? हम हेल्थ केयर से जुड़ी जरूरी बातों को लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को कैसे जागरूक कर सकते हैं? जाहिर है, मीडिया इसमें अहम किरदार निभाती है.

इस सेशन में बात हुई कि कैसे हेल्थ स्टोरीज को मेनस्ट्रीम मीडिया में जगह मिल सकती है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर सेहत से जुड़ी गलत जानकारियों की भरमार पर सवाल उठाया गया.

हेल्थ से जुड़े फेक न्यूज लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं, ऐसे में फैक्ट चेक और अच्छी रिसर्च कर मीडिया रिपोर्ट तैयार करने की जरूरत बताई गई.

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