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बिहार: गर्मी, उमस के बाद मुजफ्फरपुर में बढ़े इंसेफेलाइटिस के मरीज

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बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के बाद मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में एक बार फिर से बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है.

मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले से Acute Encephalitis Syndrome (AES) के लक्षण वाले कुल 41 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 33 बच्चों एईएस पाया गया.

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9 बच्चों की मौत हो चुकी है

SKMCH के शिशु रोग विभागाध्यक्ष जी.एस सहनी ने शनिवार को बताया कि शिशु वार्ड में चार बच्चों का इलाज हो रहा है, जिसमें तीन में एईएस की पुष्टि हुई है, जबकि एक मरीज संदिग्ध है. इसकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है.

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021 तक इस साल इस बीमारी से SKMCH में मुजफ्फरपुर और आसपास के 41 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 9 बच्चों की मौत हो चुकी है.

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उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते है. हर साल इस बीमारी से बच्चों की मौत होती है.

मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. इसके इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुजफ्फरपुर में स्पेशल वार्ड बनाया गया है, जहां डक्टरों की देखरेख में इसका इलाज किया जाता है.

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है. राहत की बात है कि इस साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं.

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क्या है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES)?

आसान शब्दों में इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार दिमाग में सूजन या इन्फेक्शन को कहते हैं.

ये दिमाग को प्रभावित करने वाला ज्यादातर वायरल संक्रमण होता है. हालांकि बैक्टीरियल इंफेक्शन और गैर-संक्रामक इन्फ्लेमेटरी कंडिशन से भी इंसेफेलाइटिस हो सकता है.

इंसेफेलाइटिस में:

  • तेज बुखार हो सकता है

  • उल्टी हो सकती है

  • सिर दर्द हो सकता है

  • शरीर अकड़ सकता है

  • पेशेंट को इरिटेशन हो सकती है

  • उसे सुस्ती लग सकती है

कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं.

जब ये साफ न हो कि असल में बीमारी क्या है, लेकिन लक्षण दिमागी बुखार या इंसेफेलाइटिस के हों, तो इसे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) कहते हैं.

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम में बुखार होने के साथ पेशेंट के मेंटल स्टेटस में बदलाव देखा जाता है, जिसमें कन्फ्यूजन, बेहोशी, कोमा या मरीज को दौरा पड़ना शामिल है.

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बुखार के साथ अगर पेशेंट को बहुत ज्यादा सुस्ती या बेहोशी या अकड़न हो, तो ये खतरनाक हो सकता है.

सही समय पर सही इलाज नहीं मिलने पर पेशेंट की जान भी जा सकती है, इसलिए जल्द से जल्द मेडिकल केयर की जरूरत होती है.

इंसेफेलाइटिस के इलाज में पर्याप्त हाइड्रेशन, पोषण, बुखार और दौरे को कंट्रोल करना शामिल है. कुछ मरीजों को ब्रीदिंग सपोर्ट और आईसीयू केयर की जरूरत भी हो सकती है.

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बचाव के उपाय

  • मच्छरों जैसे वेक्टर पर कंट्रोल

  • टीकाकरण

  • साफ-सफाई का ख्याल

  • बच्चों को कुपोषण से बचाना और

  • पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल

(केसेज इनपुट- आईएएनएस)

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