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COVID के इलाज में ब्लड थिनर की भूमिका, इसके बारे में और जानिए

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कोरोनावायरस की चपेट में आए लोगों के इलाज में कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया गया. कुछ को 'वंडर ड्रग' या 'मिरेकल ड्रग'- चमत्कारी दवा कहा गया. इस दौरान ब्लड थिनर (Blood thinners) की भी खूब चर्चा हुई. कहा गया कि ये असल में वो दवाएं हैं जिससे गंभीर रूप से प्रभावित COVID मरीजों की जिंदगी बच रही है.

ब्लड थिनर का इस्तेमाल COVID के अलावा और किन स्थितियों में किया जाता है? ये कैसे मदद करता है? किसके लिए जरूरी है? इसके रिस्क भी हैं?

चलिए समझते हैं.

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क्या है ब्लड थिनर?

ब्लड थिनर दवाएं हैं जो आपकी नसों और धमनियों में खून के प्रवाह को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं. वे खून के थक्कों को बनने या बड़े होने से भी रोकते हैं.

हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल में कंसल्टेंट हिमेटोलॉजिस्ट डॉ गणेश जयशतवार समझाते हैं- जब भी कोई जख्म या खून की धमनियों(ब्लड वेसल्स) को कोई डैमेज होता है, तो शरीर उस जगह पर ब्लड क्लॉट(खून के थक्के) कर ज्यादा खून के बहाव को रोकता है.

इसके साथ-साथ हमारे शरीर में एंटी-क्लॉट सिस्टम भी काम करता है ताकि प्रभावित जगह पर खून की क्लॉटिंग और बहाव के बीच एक बैलेंस बना रहे. सामान्य तौर पर हमारे शरीर में जरूरत से ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग नहीं होती. लेकिन कुछ लोगों में ये बैलेंस बिगड़ जाता है और ब्लड क्लॉट बनने लग जाते हैं, जो सीरियस हो सकता है क्योंकि इससे सप्लाई रूक जाती है और ऑर्गन फेल्योर का खतरा होता है. ऐसे लोगों में ब्लड थिनर इसे रोकता है.

webmd के मुताबिक, ब्लड थिनर असल में आपके खून को पतला नहीं बनाते, न ही वे थक्के तोड़ सकते हैं लेकिन वे खून के नए थक्के बनने से रोकते हैं या थक्कों को फैलने से रोक सकते हैं.
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कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल क्यों?

डॉ गणेश जयशतवार बताते हैं कि- दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में की गई स्टडी में पाया गया कि कई कोरोना मरीजों, खासकर जिन्हें हॉस्पिटलाइजेशन या ऑक्सीजन की जरूरत थी, उनमें पाया गया कि कोरोनावायरस ब्लड वेसल की दीवारों की लाइनिंग इंडोथेलियम(Endothelium) को डैमेज कर रहा है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग एक्टिवेट हो रही हैं.

स्टडी में ये भी सामने आया कि मध्यम और गंभीर कोरोना मरीजों की स्क्रीनिंग में पता चला कि लंग्स या पैरों में ब्लड क्लॉटिंग हो रही है. 30-70% मरीजों में बड़े या छोटे क्लॉट नजर आए. इसकी वजह से ऑर्गन फेल्योर और उससे मरीजों की मौत में बढ़त हुई, ज्यादातर लंग्स फेल्योर की वजह से. ऐसे कंडीशन में ब्लड थिनर ने इलाज में मदद की.

कोरोना मरीजों के मैनेजमेंट में रेमडेसिविर, स्टेरॉयड्स को लेकर कंफ्यूजन बना रहा लेकिन ब्लड थिनर बेहतर और जरूरी विकल्प साबित हुआ.”
डॉ गणेश जयशतवार

लेकिन ये ध्यान देने वाली बात है कि होम क्वॉरंटीन वाले कोरोना मरीजों और वैसे मरीज जो ज्यादा बीमार नहीं हैं, उन्हें इसकी जरूरत नहीं है.

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ब्लड थिनर के प्रकार

ब्लड थिनर 2 तरह के होते हैं. पहला, एंटीकोआगुलंट्स (anticoagulants) खून का थक्का बनने या खून की कोशिकाओं को ठोस गुच्छों में बदलकर एकसाथ चिपकने से रोकते हैं. ये ज्यादातर टैबलेट के रूप में आते हैं, हालांकि कुछ जैसे हेपरिन, फोंडापैरिनक्स, डाल्टेपैरिन और एनोक्सापैरिन (Heparin, Fondaparinux, Dalteparin and Enoxaparin) शॉट या इंट्रावेनस इंफ्यूजन के जरिये दिया जाता है.

दूसरे को एंटीप्लेटलेट्स(Antiplatelets) कहा जाता है. ये प्लेटलेट्स को टारगेट करते हैं और टैबलेट के रूप में आते हैं.

कोविड मरीजों को कौन सा ब्लड थिनर दिया जा रहा?

कोविड मरीजों के लिए ज्यादातर हेपरिन या 'लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन'(Low Molecular Weight Heparin (LMWH) इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

डॉ गणेश जयशतवार बताते हैं कि इन मरीजों में हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान ही नहीं बल्कि गंभीरता के आधार पर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद भी ब्लड थिनर जारी रहता है. मॉडरेट मरीजों में 2 से 6 सप्ताह तक और अगर ब्लड क्लॉट डिटेक्ट हुआ हो, तब हॉस्पिटल डिस्चार्ज के 3 महीने बाद तक जारी रहता है.

डिस्चार्ज के बाद इसे ओरल टैबलेट के रूप में दिया जाता है, इन्हें 'डोएक्स' कहते हैं- (DOACs direct oral anticoagulants) कहते हैं.

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किन लोगों को इसकी जरूरत है?

कई कंडीशन में ब्लड थिनर की जरूरत पड़ती है. थ्रोम्बोसिस, ब्लड क्लॉटिंग में तो इस्तेमाल होता ही है. डीप वेन थ्रोम्बोसिस(deep vein thrombosis-DVT एक खतरनाक तरीके का खून का थक्का है जो अक्सर पैरों में बनता है)और कई बड़ी सर्जरी में भी इस्तेमाल होता है. कुछ लोगों को सिर्फ कुछ महीनों के लिए इन दवाओं की जरूरत होती है. लेकिन अगर आपकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं चल रही हैं, तो आपको लंबे समय तक लेने की जरूरत पड़ सकती है.

  • अगर आपको पहले से ही दिल का दौरा या स्ट्रोक हो चुका है, तो आपको इसकी जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि ये भविष्य में इसके दोबारा होने के रिस्क को कम कर सकते हैं.

  • अगर आपको हार्ट या ब्लड वेसल डिजीज है, अनियमित हृदय की गति, ल्यूपस(Lupus) है तो आपको इसकी जरूरत पड़ सकती है.

  • अगर आपका वजन ज्यादा है, हाल ही में सर्जरी हुई है, या आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व है, तो आपको ब्लड क्लॉटिंग का ज्यादा जोखिम होता है और हमेशा के लिए आपको ब्लड थिनर लेना पड़ सकता है.

  • अगर आपको आट्रियल फिब्रिलेशन है, तो ब्लड थिनर आपको स्ट्रोक से बचाने में मदद कर सकता है. ये सबसे आम कारणों में से एक है.

“कई विकसित देशों में 65 से अधिक उम्र वाले 15% लोगों को आट्रियल फिब्रिलेशन होता है और उन्हें ब्लड थिनर की जरूरत होती है क्योंकि ब्लड क्लॉट शरीर में फैल सकता है और जानलेवा हो सकता है.”
डॉ गणेश जयशतवार
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क्या हैं रिस्क?

ब्लड थिनर लेने पर ट्रॉमा या चोट लगने पर जानलेवा ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसी गतिविधियों से सावधान रहें जिनसे सिर में चोट लग सकती हो. डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही दवाओं का सेवन करें, न कि खुद से एंटीकोआगुलंट्स को लें.

अगर आप ब्लड थिनर ले रहे हैं तो ध्यान रखें, अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं अगर आपको असामान्य रक्तस्राव के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:

  • पीरियड्स में सामान्य से ज्यादा ब्लीडिंग

  • पेशाब या मल में खून

  • मसूड़ों या नाक से खून बहना

  • खून की उल्टी या खांसी होना

  • चक्कर आना

  • कमजोरी

  • गंभीर सिरदर्द या पेट दर्द

रिस्क की तुलना में काफी ज्यादा फायदा हो तभी ये प्रिस्क्राइब किया जाता है.

(webmd के इनपुट के साथ)

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