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समझें पैनिक अटैक और एंग्जायटी में क्या है अंतर?

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पैनिक अटैक आमतौर पर डर के कारण आता है, ये एक मानसिक समस्या हो सकती है. जबकि, तनाव के दिनों में एंग्जायटी इससे मिलता-जुलता हो सकता है. लेकिन जरूरी है कि एंग्जायटी और पैनिक अटैक(Panic attack) के फर्क को समझा जाए.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इस अंतर को समझना इसलिए जरूरी है ताकि जरूरत पड़ने पर सही देखभाल की जा सके और एंग्जायटी को मैनेज किया जा सके ताकि वो बढ़कर एंग्जायटी डिसऑर्डर में न बदले. अगर समस्या बढ़ती है तो इलाज के लिए कैसी थेरेपी, काउंसलिंग को अपनाना है, इस बारे में जानने के लिए भी अंतर समझना जरूरी है.

इस लेख में हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल में कंसल्टेंट साइकिएट्रिस्ट डॉ मयूरनाथ रेड्डी से हम इसे समझने की कोशिश करेंगे.

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एंग्जायटी क्या है?

एंग्जायटी एक सामान्य भावना है और सबको महसूस होती है. ये आपके दिमाग का तनाव पर प्रतिक्रिया करने का तरीका है और आपको आगे संभावित खतरे से सावधान करता है. ये हमारी रोजमर्रा में शामिल है मसलन आप किसी एग्जाम को लेकर ये सोच रहे हों कि आप उसमें सफल हो पाएं या नहीं, किसी जॉब के लिए इंटरव्यू देने के बाद आपका सिलेक्शन होगा या नहीं, काम ठीक न होने पर चिंता घेर लेना या कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने से पहले घबराहट महसूस करना.

पैनिक अटैक क्या है?

पैनिक अटैक एक तरह का एंग्जायटी डिसऑर्डर है. आप अचानक, तेज डर महसूस करते हैं जो एक पैनिक अटैक लाता है. पैनिक अटैक के दौरान आपको पसीना आ सकता है, सीने में दर्द हो सकता है और दिल की धड़कन तेज हो सकती है. कभी-कभी आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपका दम घुट रहा है, आपकी मौत हो सकती है या आपको दिल का दौरा पड़ रहा है.

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एंग्जायटी के लक्षण

  • डायरिया

  • पेट खराब होना

  • सिर हल्का महसूस होना

  • चक्कर आना

  • धड़कन तेज होना

  • पसीना आना

  • शरीर में झनझनाहट

पैनिक अटैक के लक्षण

  • काफी डर महसूस करना

  • घुटन महसूस करना

  • तेज धड़कन

  • चक्कर आना

  • सीने में दर्द

  • सांस लेने में कठिनाई

पैनिक अटैक के लक्षण एंग्जायटी जैसे होते हैं लेकिन ये कहीं ज्यादा गंभीर होते हैं. व्यक्ति वास्तव में ये विश्वास करने लगता है कि उसकी मौत हो सकती है या हार्ट अटैक आ सकता है.

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एंग्जायटी vs पैनिक अटैक

एंग्जायटी हमेशा किसी स्थिति या घटना से जुड़ी होती है. पैनिक अटैक बिना किसी खास ट्रिगर के हो सकता है.

एंग्जायटी धीरे-धीरे विकसित होता है और एक व्यक्ति आमतौर पर शुरुआत में चिंतित या दुखी महसूस करता है. ये हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है. ऐसा आभास हो सकता है कि अगर सिर्फ इस समस्या का समाधान किया जाए, तो सब कुछ ठीक हो जाएगा.

पैनिक अटैक अचानक शुरू होता है, लक्षण 10 मिनट के बाद चरम पर होते हैं और आमतौर पर 30 मिनट या इसके बाद कम हो जाते हैं, हालांकि प्रभाव लंबे समय तक रह सकते हैं. ये बिना किसी वॉर्निंग के कभी भी हो सकता है और इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है. अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक ये स्थिति से संबंधित नहीं होता. ऐसा भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति शांत या चिंतित महसूस कर रहा हो, यहां तक कि नींद के दौरान भी उसे अटैक आ जाए. इसके लिए अक्सर कोई स्पष्ट कारण नहीं होता और डर का स्तर ट्रिगर के अनुपात से ज्यादा होता है.

डॉ मयूरनाथ रेड्डी के मुताबिक अगर आपको थोड़े-थोड़े अंतराल पर पैनिक अटैक या एंग्जायटी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ट्रीटमेंट के बारे में जानने से आपको जब भी पैनिक या एंग्जायटी होगी, तो आप उसे सही तरह से मैनेज कर पाएंगे. डॉक्टर की सलाह और संपर्क में थेरेपी, एंटी डिप्रेसेंट, रेगुलर एक्सरसाइज, गहरी लंबी सांस वाले एक्सरसाइज, कैफीन को कम करने जैसे उपाय मदद करते हैं.

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