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COVID-19: ब्लड डोनेशन में 75% तक आई कमी, ऐसे करें मदद

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"मैं हर 14वें से 17वें दिन ब्लड ट्रांसफ्यूजन(शरीर में खून चढ़ाना) नहीं होने की वजह से कमजोर महसूस करता हूं. फिलहाल, डोनर तैयार नहीं हैं. ब्लड सोसायटी जो हमेशा मेरी मदद करता है, उन्होंने मुझे मार्च में लॉकडाउन होने के बाद खुद के लिए डोनर का इंतजाम करने के लिए कहा है."

जन्म से ही अनुवांशिक थैलेसीमिया के मरीज 24 साल के राहुल चिंता के साथ हमें ये बात बताते हैं.

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"मुझे मुश्किल हो रही है और मैं अपने जैसे कई और लोगों को जानता हूं". राहुल उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहते हैं और वो फोन पर हमें अपनी दिक्कतें बता रहे थे.

ऐसी दिक्कतों का सामना कई थैलेसीमिया मरीज कर रहे हैं. थैलेसीमिया की वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. कई मरीज जिनके लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन ही उनकी लाइफलाइन है, लॉकडाउन की वजह से इसकी कमी से जूझ रहे हैं.

सोशल मीडिया पर भी ऐसी अपीलों की भरमार है जहां मरीज और उनके रिश्तेदार सरकार से इसके लिए पर्याप्त इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं.

महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों से आई कई रिपोर्टों में अस्पतालों- ब्लड बैंकों में खून की कमी के बारे में बताया गया. हालांकि, छोटे शहरों और कस्बों में हालात ज्यादा खराब हैं, जहां लोगों को COVID -19 के डर के बीच ब्लड डोनेट(रक्त दान) करने के लिए अपने घर से बाहर कदम रखना मुश्किल हो गया है.

सामान्य हालातों में भी, भारत के ब्लड बैंकों, हॉस्पिटल को खून की कमी का सामना करना पड़ता है. 2018 में इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 1.9 मिलियन यूनिट खून की कमी दर्ज की गई.

खून की कमी से गंभीर परेशानी

15 अप्रैल को, राहुल आखिर एक डोनर को खोजने में कामयाब रहे. उनका ब्लड ट्रांसफ्यूजन हुआ यानी खून चढ़ाया गया लेकिन वो जरूरत से एक यूनिट (250 ग्राम) कम था. तब से वो चिंता और तनाव में हैं, क्योंकि वो नहीं जानते कि अगली तय तारीख यानी 30 अप्रैल को उन्हें फिर कोई ब्लड डोनर मिलेगा या नहीं.

कई ब्लड कैंप कथित रूप से बंद हो गए हैं जिससे इन मरीजों और उनके लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

थैलेसीमिक्स इंडिया की सेक्रेटरी शोभा तुल्ली ने फिट को बताया, "जैसे ही लॉकडाउन का ऐलान हुआ, हमें पता था कि देशभर में खून की कमी होने वाली है. इसलिए थैलेसीमिया के सभी मरीजों को सुझाव देना शुरू किया गया कि वो अपने रिश्तेदारों और कजिन्स के जरिये अपने लिए डोनर ढूंढें क्योंकि बहुत सारे ब्लड कैंप को बंद कर दिया जाएगा."

“हमने थैलेसीमिया वाले बच्चों के परिवारों को सलाह दी कि वे कम से कम 10-15 डोनर्स की पहचान करें क्योंकि उन्हें हर महीने 1-3 यूनिट खून की जरूरत होती है. कुछ ने तो कर लिया लेकिन बहुतों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.”

तुल्ली को देशभर से मरीजों के बहुत फोन आ रहे हैं. हालांकि, वो सिर्फ कोशिश कर सकती हैं. एक ब्लड कैंप में उन्हें उम्मीद थी कि 200 ब्लड डोनर आएंगे लेकिन डोनेट करने सिर्फ 20 लोग वहां पहुंचे.

कुछ रिपोर्टों के मुताबिक देश के कई अग्रणी ब्लड बैंक, जिनमें भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी भी शामिल है, लॉकडाउन से पहले एक दिन में करीब 200 यूनिट ब्लड का इंतजाम करते थे, अब सिर्फ 30-40 यूनिट इकट्ठा कर पा रहे हैं. करीब 80% गिरावट आई है.

बेंगलुरु में किडनी पेशेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्णानंद साकेत बताते हैं, “कुछ डायलिसिस के मरीजों में जब हीमोग्लोबिन तेजी से घटने लगता है तो खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. लेकिन इस दौरान इन मरीजों के लिए खून आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और इंजेक्शन से हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने में समय लगता है. ये किडनी के मरीजों के लिए बहुत बड़ी समस्या रही है.”

ब्लड डोनेशन में आई कमी

ऑफिशियल आंकड़े ब्लड डोनेशन में आई कमी दिखाते हैं.

देशभर में ब्लड डोनेशन कैंप और ब्लड स्टॉक के बारे में लोगों को जानकारी देने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक ऑनलाइन पोर्टल ई-रक्त कोष के मुताबिक- जनवरी में देश भर में आयोजित ब्लड कैंप की संख्या 606 थी, लेकिन फरवरी में गिरकर 473, मार्च में 369 और अप्रैल (22 तक) करीब 98 पर पहुंच चुकी है.

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इसी तरह, फरवरी में ब्लड डोनेशन की संख्या 38,386 थी जो मार्च में घटकर 27,177 और 22 अप्रैल तक 10,155 हो गई.

सरकार ने हालात पर दिया ध्यान

तुल्ली और उनके एनजीओ ने दिल्ली के सीएम, पीएम और स्वास्थ्य मंत्रालय को थैलेसीमिया के मरीजों के सामने आने वाली परेशानियों के बारे में लेटर लिखा था. वे इस गंभीर स्थिति से निपटने में मदद करने के लिए सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चला रहे हैं.

कैंपेन और अपील के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब स्थिति को बेहतर बनाने के लिए एक्टिव होकर काम कर रहा है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 21 अप्रैल को कहा, "खून की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है, खासकर थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों के लिए जिन्हें खून संबंधी बीमारियों की वजह से नियमित रूप से खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. मैंने इंडियन रेड क्रॉस को डोनर्स के लिए पिकअप और ड्रॉप की व्यवस्था करने को कहा है, जो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए खून दान कर सकते हैं."

उन्होंने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि खून की कोई कमी न हो.

मंत्रालय के उठाए गए कदमों की तारीफ करते हुए, तुल्ली ने हमें बताया, "रेड क्रॉस इंडिया समेत कई संगठन डोनर्स के लिए पिकअप, ड्रॉप की सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन देश में थैलेसीमिया के एक लाख से ज्यादा मरीजों में बहुत से लोग इन सुविधाओं का लाभ पाने में सक्षम नहीं हैं. उनमें से कई को ये भी पता नहीं है कि ये सुविधाएं कैसे और कहां उपलब्ध हैं."

वो आगे कहती है, "लॉकडाउन की वजह से, डोनर्स अपने घर से किसी ऐसे व्यक्ति के लिए बाहर निकलने में सहज नहीं महसूस कर रहे हैं जिन्हें वे नहीं जानते हैं. हालांकि, मैं उन लोगों को सलाम करती हूं जो अभी भी मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. ”

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लॉकडाउन के दौरान कैसे करें ब्लड डोनेट?

मार्च में, स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (NBTC) ने COVID-19 लॉकडाउन के दौरान ब्लड डोनेशन के संबंध में गाइडलाइंस जारी किए थे. इन निर्देशों में, NBTC की डायरेक्टर डॉ. शोबीनी राजन ने कहा था, खून की सुरक्षित आपूर्ति जरूरी है.

गाइडलाइन में COVID-19 के दौरान खून चढ़ाने को लेकर कुछ जरूरी बातें बताईं गई हैं जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए:

मेडिकल संगठनों और WHO ने स्वस्थ लोगों को COVID-19 महामारी के दौरान ब्लड डोनेशन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है.

  • ब्लड डोनेशन या ट्रांसफ्यूजन यानी दान करने और चढ़ाए जाने के दौरान किसी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की कोई रिपोर्ट नहीं है.
  • ब्लड डोनेशन से पहले आपका COVID-19 का टेस्ट नहीं किया जाएगा. हालांकि, आपके तापमान की जांच की जाएगी और सभी मानक प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा.
  • आपको सुरक्षित दूरी बनाए रखने और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाएगा. आपको सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा.
  • अगर आपका COVID-19 टेस्ट पॉजिटिव है या किसी पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आए हैं, तो आपको ब्लड डोनेशन से बचना चाहिए.
  • आप ई-रक्त कोष का इस्तेमाल कर सकते हैं जो आपको ब्लड डोनेशन करने के लिए लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर निकलने की इजाजत देता है.
  • अगर आप ब्लड डोनेशन करने के 14 दिनों के भीतर COVID-19 पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो आपको ब्लड कैंप अधिकारियों को सूचित करना चाहिए.

इंडियन रेड क्रॉस की 24*7 हेल्पलाइन सेवा उपलब्ध है और नंबर 011-23359379, 93199 82104, 93199 82105 हैं. आप इन नंबरों पर कॉल कर ब्लड डोनेट कर सकते हैं या अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो जरूरतमंद हैं, उनकी जानकारी दे सकते हैं.

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COVID-19 संक्रमित लोग कैसे कर सकते हैं मदद?

कुछ कंपनियां COVID-19 मरीजों को खून दान करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि उनके प्लाज्मा का इस्तेमाल COVID-19 मरीजों के इलाज के लिए किया जा सके. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कॉनवैलेसेंट प्लाज्मा के क्लीनिकल ट्रायल को हरी झंडी दे दी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन कह चुके हैं कि, "हमने रेड क्रॉस वॉलंटियर्स से अनुरोध किया है कि वे COVID-19 से ठीक हुए लोगों से संपर्क करें और उन्हें ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित करें."

ये कुछ तरीके हैं जिनसे आप उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो महामारी के बीच अपनी जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं. वैसी महामारी जिसने हमारी हेल्थकेयर और बाकी सेवाओं पर बुरा असर डाला है.

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