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'मुझे अंदाजा नहीं था कि मेरे सीने पर गांठ ब्रेस्ट कैंसर है'

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'मुझे अंदाजा नहीं था कि मेरे सीने पर गांठ ब्रेस्ट कैंसर है'
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(हर साल अक्टूबर महीने को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है. इस मौके पर ये स्टोरी फिर से पब्लिश की जा रही है.)

ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर अलीगढ़ के 53 वर्षीय चंद्र मोहन गोयल कहते हैं, "मेरे सीने की दाईं तरफ कई साल से गांठ थी, लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि ये ब्रेस्ट कैंसर है. आज भी मेरे लिए ये यकीन करना मुश्किल है."

अप्रैल 2019 में चंद्र मोहन गोयल को स्टेज 2 ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चला. हालांकि उनके सीने पर गांठ कई साल से थी, जिसे उन्होंने इतना गंभीर नहीं समझा था.

करीब 7-8 साल से मेरे सीने के दाईं तरफ गांठ थी, उसमें दर्द नहीं होता था, गांठ जब बड़ी होती तो मैं कुछ दवाइयां लेता और वो हल्की पड़ जाती. इतने समय से गांठ होने के नाते मुझे डॉक्टर ने जांच कराने को कहा. तब पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है.
चंद्र मोहन गोयल, ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर
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पुरुषों को नहीं पता कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है

आमतौर पर यही माना जाता है कि ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की बीमारी है. मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में मेडिकल ऑन्कोलजी और हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ मीनू वालिया के मुताबिक 99 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के मामले महिलाओं में होते हैं, लेकिन 1 प्रतिशत तादाद पुरुष पेशेंट की भी होती है.

डॉ वालिया के मुताबिक पुरुषों को जितने कैंसर होते हैं, उनमें 1 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर के मामले होते हैं.

डॉ मीनू वालिया कहती हैं कि महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, ये सभी जानते हैं और इसे लेकर जागरुकता लाने की कोशिश हो रही है, लेकिन पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, इसे लेकर जागरुकता नहींं के बराबर है.

मैंने अपने 26 साल के वर्क एक्सपीरियंस में ब्रेस्ट कैंसर के जितने मामले देखे हैं, सभी में महिलाओं को इस पर अधिक जागरूक पाया है. पुरुषों को नहीं पता कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, इस वजह से अगर ब्रेस्ट में गांठ होती भी है, तो वो उतनी गंभीरता से ध्यान नहीं देते.
डॉ वालिया
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पुरुषों को ब्रेस्ट कैंसर! कैसे?

डॉ वालिया बताती हैं कि महिला और पुरुष दोनों में ब्रेस्ट टिश्यू होते हैं, अतंर ये है कि पुरुषों में ब्रेस्ट टिश्यू कम होते हैं, इसलिए वहां कैंसर होने की आशंका भी कम होती है और क्योंकि ब्रेस्ट टिश्यू कम होते हैं, इसलिए जो कैंसर डेवलप होता है, वो शरीर में आसपास जल्दी फैलता है.

आंकड़े बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के शिकार लगभग 40 प्रतिशत आदमियों में कैंसर का पता एडवांस स्टेज में चलता है और इसलिए महिलाओं के मुकाबले उनके जीवित बचने की दर कम हो जाती है.
डॉ वालिया
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पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर होने के रिस्क फैक्टर्स

पुरुषों को भी ब्रेस्ट हो सकता है, इसे लेकर जागरुकता ना के बराबर है.
(फोटो: iStock)
  • फैमिली हिस्ट्री- कैंसर की फैमिली हिस्ट्री होने पर कैंसर का ज्यादा रिस्क होता है. हालांकि चंद्रमोहन बताते हैं कि उनकी पांच पीढ़ियों में किसी को कैंसर नहीं रहा, लेकिन उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो गया.

इस पर डॉ वालिया स्पष्ट करती हैं कि कैंसर की फैमिली हिस्ट्री होने पर इसका रिस्क ज्यादा होता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जिनकी फैमिली में कैंसर नहीं हुआ हो, उन्हें कैंसर हो ही नहीं सकता.

  • कोई जेनेटिक विकार- डॉ वालिया बताती हैं कि क्लाइनफेलटर सिंड्रोम एक जेनेटिक विकार है, जिसके कारण ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ता है.

  • ज्यादा शराब पीना- एक दिन में 2 ड्रिंक से ज्यादा लेना भी कैंसर का रिस्क बढ़ाता है.

  • क्रोनिक लिवर डिजीज- जिन्हें लिवर की बीमारी हो, जैसे- लिवर खराब हो, सिरोसिस हो, लिवर डैमेज हो, ऐसे मरीजों को ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है.

  • रेडिएशन एक्सपोजर- बचपन में रेडिएशन एक्सपोजर भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ाता है.

  • जेनेटिक म्यूटेशन- जिन परिवारों में BRCA म्यूटेशन होती है, उन परिवारों के पुरुषों को ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क ज्यादा होता है. BRCA (ब्रेस्ट कैंसर एंटीजन) म्यूटेशन एक जेनेटिक म्यूटेशन होती है.

डॉ वालिया समझाती हैं कि शरीर में ब्रेस्ट कैंसर एंटीजन दो तरह के जीन्स होते हैं- BRCA 1 और BRCA 2. इन जीन्स में अगर कोई म्यूटेशन हो मतलब इन जीन्स में कोई अनियमितता हो जाती है, तो बॉडी में कुछ कैंसर के रिस्क बढ़ जाते हैं. BRCA म्यूटेशन होने पर ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है.

  • मोटापा और बैठी रहने वाली लाइफस्टाइल- फिजिकल एक्टिविटी कम होना, मोटापा और आजकल जो हमारी हमेशा बैठी रहने वाली जीवनशैली है, उसके कारण हर तरह के कैंसर का रिस्क बढ़ने की बात कही जाती है.

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डॉ मीनू वालिया कहती हैं कि 35 साल की उम्र से हर महीने पुरुषों को भी ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए और साल में 1 बार क्लीनिकल एग्जामिनेशन कराना चाहिए.

इन संकेतों पर ध्यान दें

  • ब्रेस्ट का साइज बढ़ना खासकर अगर एक तरफ का साइज बढ़ रहा है, तो सतर्क हो जाएं.

  • ब्रेस्ट पर कोई गांठ महसूस होना.

  • ब्रेस्ट की स्किन पर कोई बदलाव जैसे रेडनेस, कोई अल्सर हो रहा है या निपल से कोई डिस्चार्ज या ब्लीडिंग हो रही हो, तो तुरंत एक्शन लेना चाहिए.

चंद्रमोहन गोयल बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का पता चलने के बाद उनका ऑपरेशन हुआ, कीमोथेरेपी हुई और अब करीबन 7-8 महीनों बाद वो ठीक हो चुके हैं, लेकिन लोगों से यही गुजारिश करना चाहते हैं कि अगर चेस्ट में कहीं गांठ है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

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