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मैराथन के दौरान कार्डियक अरेस्ट! दौड़ने से मौत का खतरा कब और कैसे?

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इस रविवार 19 जनवरी को टाटा मुंबई मैराथन 2020 में 55 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया, लेकिन इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई.

सीनियर सिटिजन की कैटेगरी में हिस्सा ले रहे 64 साल के गजानन मंजालकर अचानक गिर पड़े. हॉस्पिटल ले जाने पर पता चला कि कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हो चुकी थी.

इसी मैराथन में 47 साल के एक रनर को सीने में दर्द हुआ, मेडिकल कैंप में पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक पड़ा है. वहीं 51 साल के एक शख्स को फिनिशिंग लाइन से उठाया गया, जिसे ब्रेन स्ट्रोक का शिकार बताया गया.

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इन तीनों मरीजों को बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया था. फिट ने इस सिलसिले में बॉम्बे हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशयन डॉ गौतम भंसाली से बात की.

उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट वाले पेशेंट की मौत रास्ते में ही हो चुकी थी, हार्ट अटैक वाले पेशेंट की एक आर्टरी में ब्लॉकेज पाया गया था और ब्रेन स्ट्रोक वाले पेशेंट की ब्रेन की MRI में स्पीच पार्ट वाले एरिया में क्लॉट पाया गया.

आमतौर पर आपने भी सुना होगा कि दौड़ना दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद होता है, फिर मैराथन के दौरान हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट या ब्रेन स्ट्रोक की क्या वजह हो सकती है?

मैराथन के दौरान हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, कैसे?

डॉ भंसाली इसकी प्रमुख रूप से दो वजह बताते हैं, एक बहुत ज्यादा मेहनत और दूसरा बिना प्रैक्टिस या ट्रेनिंग के लंबी दूरी की दौड़ में हिस्सा लेना.

मैराथन में बहुत भीड़ होती है, जोश आप चलते हो, दौड़ते हो. आपको नहीं पता होता कि आपकी बॉडी उस स्थिति को अपना पा रही है या नहीं और दूसरी बात ये है कि 21 किमी या 10 किमी दौड़ने के लिए आपकी प्रैक्टिस होनी चाहिए.
डॉ गौतम भंसाली, कंसल्टेंट फिजिशयन, बॉम्बे हॉस्पिटल

इसके बारे में मैक्स सुपरस्पेशएलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और डायरेक्टर डॉ नवीन भामरी बताते हैं कि मैराथन रनिंग के दौरान हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट आमतौर पर उन्हीं लोगों को होता है, जिन्हें पहले से ही दिल की कोई बीमारी हो और उसकी पहचान न हो पाई हो.

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ निकेश जैन कहते हैं कि भले ही इंसान फिट हो, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ प्लाक ब्लॉकेज की मात्रा भी बढ़ती जाती है. कई ब्लॉकेज की कवरिंग बहुत सॉफ्ट होती है और स्ट्रेस पड़ने पर (जैसे तेज दौड़ना, इमोशनल स्ट्रेस) आसानी से ब्रेक हो जाती है.

जब अचानक हार्ट पर दबाव पड़ता है, तो प्लाक रप्चर हो जाता है. यही रप्चर पूरी आर्टरी को ब्लॉक कर देता है और दिल का दौरा पड़ सकता है. अगर ब्रेन की आर्टरीज में प्लाक रप्चर होता है, तो उसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है.
डॉ भामरी

डॉ भंसाली बताते हैं कि कुछ लोग 2-3 साल मैराथन दौड़ते हैं, फिर 2 साल का गैप ले लेते हैं. उन्हें लगता है कि क्योंकि 2 साल पहले किया था, इसलिए आगे भी कर लेंगे और कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि ऐसा नहीं है, उम्र के साथ बॉडी की फिजियोलॉजिकल डिमांड अलग होती जाती है और वो उसको पूरा नहीं कर पाते.

डिहाइड्रेशन, स्ट्रेस और जेनेटिक असामान्यता

एक वजह गंभीर डिहाइड्रेशन भी हो सकती है क्योंकि इतना चलते हैं, दौड़ते हैं, तो पसीना होता है, लेकिन जितना पसीना होता है, उस मात्रा में फ्लूइड इनटेक नहीं हो पाता है. डिहाइड्रेशन से क्लॉट बनने के बहुत हाई चांस होते हैं.

इसके अलावा कॉम्पिटिशन के कारण स्ट्रेस भी एक फैक्टर होता है.

जब किसी युवा शख्स की रेस के दौरान मौत होती है, तो इसकी वजह आमतौर पर हार्ट में कोई जेनेटिक असामान्यता हो सकती है, जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी. इस कंडिशन में दिल की मांसपेशियों के एक हिस्से का मोटा होना शामिल है, जिससे ब्लड पंप करने में मुश्किल आती है. इस वजह से ब्लड की डिमांड और सप्लाई में बैलेंस नहीं हो पाता.

वहीं ऐसे हालात में किसी उम्रदराज इंसान की मौत का कारण पहले से मौजूद रही दिल की कोई बीमारी हो सकती है और कुछ मामलों वजह स्पष्ट नहीं होती.

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डॉ भामरी के मुताबिक मैराथन रनिंग के दौरान कार्डियक इवेंट के मामले बहुत ही कम होते हैं.

आंकड़ों की बात करें तो 1 लाख में लोगों 1 शख्स को मैराथन रनिंग के दौरान कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.
डॉ नवीन भामरी, हेड और डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपरस्पेशएलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग

एक अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक साल 2000 से 2010 के बीच 10 सालों में मैराथन के दौरान कार्डियक अरेस्ट के 59 मामले सामने आए, जिनमें से 42 की मौत हुई.

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डायबिटीज, हाई बीपी, दिल की बीमारी वाले लोगों को ज्यादा खतरा?

मुंबई मैराथन में कार्डियक अरेस्ट के पेशेंट गजानन मंजालकर को बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया था, वहां के डॉ अतुल एस ने HuffPost इंडिया को बताया कि मंजालकर डायबिटीज और हाइपरटेंशन के पेशेंट थे.

डॉ जैन कहते हैं कि इसलिए 40 से ज्यादा उम्र के लोगों को जिन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री है, उन्हें अपनी स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए. सब ठीक हो, तभी मैराथन में हिस्सा लेना चाहिए.

एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष डोरा कहते हैं कि फिटनेस और स्टैमिना के उत्साह के बीच सावधानी और सतर्कता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, खासकर तब, जब आप पहले से ही दिल की किसी बीमारी या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी बीमारियों के शिकार हों.

फिजिकल एक्सरसाइज के तौर पर रनिंग के कई फायदे हैं. इससे हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. ये दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा घटाने में मददगार हो सकता है. लेकिन अगर आप पहले से ही हार्ट पेशेंट हैं या हार्ट अटैक या दूसरे किसी प्रोसीजर से गुजर चुके हैं, तो एक सुरक्षित दौड़ सुनिश्चित करने के लिए कुछ एहतियाती उपाय करना महत्वपूर्ण है.
डॉ संतोष डोरा, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट
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मैराथन में हिस्सा लेने से पहले इन चीजों पर ध्यान देना है जरूरी

डॉ डोरा के मुताबिक सभी जरूरी टेस्ट ये जानने के लिए जरूरी हैं कि आपका दिल ठीक से काम कर रहा है या नहीं, खासकर तब जब आप हार्ट पेशेंट हों या दिल से जुड़ी किसी बीमारी का शिकार रह चुके हों.

  • ECG, रूटीन ब्लड टेस्ट, 2D-इकोकार्डियोग्राम और कार्डियोलॉजिस्ट से सर्टिफाइड स्ट्रेस टेस्ट कराने चाहिए. अगर आप बाइपास या एंजियोप्लास्टी से गुजर चुके हैं, तो इस बात का ख्याल रखें कि दौड़ में हिस्सा लेने से पहले आपका दिल सामान्य तरीके से पंप कर रहा हो.

  • हमारे शरीर को एक बड़ी सर्जरी से उबरने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होता है. अगर आपको दिल का दौरा पड़ा है या दिल से जुड़ी कोई सर्जरी हुई है, तो कम से कम तीन महीने आराम करें और अपने शरीर को ठीक करने के लिए पर्याप्त समय दें.

  • अपनी दवाइयां लेना न भूलें, खासकर दौड़ के दिन.

  • अगर आपको सीने में दर्द या सांस फूलने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो अपने साथ जबरदस्ती न करें, तुरंत रुकें और कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें.

डॉ भामरी के मुताबिक भले ही रनिंग या एक्सरसाइज के दौरान कार्डियक इवेंट की आशंका 30 से 60 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है, लेकिन हर मैराथन रनर को अपना मेडिकल चेकअप करा कर ही इसमें हिस्सा लेना चाहिए.

अगर आप पहली बार इसमें हिस्सा ले रहे हैं, तो तेज चलने से शुरुआत करें, इसके बाद जॉगिंग और फिर रनिंग की ओर बढ़ें. अगर आप रोजाना एक्सरसाइज नहीं करते हैं, तो अचानक से रनिंग न शुरू कर दें.
डॉ डोरा

डॉ डोरा बताते हैं कि मैराथन के लिए अच्छी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस जरूरी है.

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