एक दर्दनाक दुर्घटना पीड़ित को हमेशा के लिए बदल देती है.
कभी-कभी, इसका गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है. कभी-कभी, यह व्यक्ति का घूमना-फिरना भी बंद करा देता है. 32 वर्षीय अनुराग जब अस्पताल के बेड पर जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे, उस समय कि इस घटना ने उन्हें डायबिटीज दे दिया.
'मेरा पैंक्रियाज पूरी तरह से डैमेज हो चुका था'
अनुराग उस घटना को याद करते हुए बताते हैं, "वह 2017 में दिसंबर के शुरुआत का समय था. मैं एक कार्यक्रम के बाद चंडीगढ़ से दिल्ली बाइक से आ रहा था. उस समय मेरे नानाजी आईसीयू में थे. रात को लगभग 12 बजे थे जब मैं दिल्ली बॉर्डर के पास था. तभी मेरी मां का फोन आया कि नानाजी का देहांत हो गया और उन्होंने तुरंत कहा, कहीं रुकना मत, बस सीधे घर चले आओ."
जब मैंने दोबारा बाइक चलाना शुरू किया तभी मैंने अपना संतुलन खो दिया. मैं अपने और अपने नानाजी की यादों में खो गया था. अचानक मैं किसी चीज से टकरा गया... मेरा शरीर हवा में उछल गया... बगल में एक ट्रक था... और मैं उससे टकरा गया.
मेरे शरीर में कई छोटी-छोटी रॉड घुस गई थीं. मेरे दोस्त मुझे पास के डॉक्टर के पास ले गए. मुझे लगता है उनसे मेरा इलाज ठीक से नहीं हुआ. मेरे परिवार को मुझे वहां से शिफ्ट करने में कुछ समय लगा. इसके बाद मुझे मैक्स हॉस्पिटल ले जाया गया.
मेरी हालत बहुत खराब थी. मेरा पैंक्रियाज (अग्न्याशय) पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. पिछले डॉक्टर ने मुझे ग्लूकोज देने को कहा. लेकिन पैंक्रियाज के काम ना करने और ग्लूकोज दिए जाने के कारण आपके शरीर में बहुत अधिक शुगर हो जाती है. यही कारण था कि, डॉक्टर मुझे होश में नहीं ला पा रहे थे. मैं दो हफ्ते तक सोमैटिक कोमा में था. डॉक्टरों ने शुगर का लेवल कम करने के लिए इंसुलिन देना शुरू कर दिया. क्योंकि उन्हें सर्जरी करनी थी और आप हाई शुगल लेवेल होने की स्थिति में सर्जरी नहीं कर सकते हैं. मेरा शुगर लेवल 1000 को छू गया था. सर्जरी के लिए भी इंतजार करना पड़ा. लेकिन एक बार सर्जरी हो जाने के बाद, मुझे बताया गया कि मुझे रोज इंसुलिन के इंजेक्शन लेने होंगे. डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मुझे जीवन भर डेली चार इंसुलिन इंजेक्शन लेने होंगे.अनुराग, टाइप 1 डायबिटिक
क्या यह एक अजीब इत्तेफाक हो सकता है कि अनुराग को एक्सीडेंट के तुरंत बाद डायबिटीज हो गया? आर्टेमिस हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
पैंक्रियाज वह जगह है जहां से इंसुलिन आता है और डायबिटीज इंसुलिन (या इंसुलिन की कार्यप्रणाली में कमी) की कमी है. इसलिए जब पैंक्रियाज डैमेज हो जाता है, तो यह डायबिटीज का कारण बनता है.डॉ सुमित रे, क्रिटिकल केयर, आर्टेमिस अस्पताल
वैसे पैंक्रिएटिक इंजरी बहुत आम नहीं है. मोटरसाइकिल दुर्घटनाओं और साइकिल के हैंडल से होने वाली इंजरी के 2% से कम मामलों में ही ऐसा होता है. लेकिन जैसा कि डॉ रे का कहना है, डायबिटीज होने के पीछे एक 'बहुत जाना-माना फैक्ट' है.
एक आम आदमी डायबिटीज अक्सर शुगर की ओवरडोज से जोड़ता है. जब कोई ये बताए कि उसे डायबिटीज है तो लोग सामान्य रूप से यही सोचते हैं कि "मीठा खाते होंगे".
लेकिन डायबिटीज की अलग-अलग बारीकियां हैं. मेडिकली, इसे इस तरह से बांटा गया है.
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज. टाइप 1 एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है. इस वजह से आपका ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता है.
दूसरी ओर, टाइप 2 डायबिटीज, उन व्यक्तियों में होता है जिनका पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है लेकिन उनकी बॉडी इसका सही से यूज नहीं कर पाती है.
डायबिटीज केयर सेंटर के प्रमुख डायबेटोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप गाडगे बताते हैं, ‘टाइप 2 डायबिटीज आम तौर पर जेनेटिक्स, मोटापा, तनाव आदि के कारण होता है.’
वो बताते हैं कि उनके कई मरीजों में एक्यूट मेडिकल स्ट्रेस डायबिटीज का कारण बना है.
पहले पेट का टीबी हुआ उसके बाद डायबिटीज
रोगी 1: मुझे पेट का टीबी हो गया था. मेरा ऑपरेशन हुआ था. मेरी आधी आंत निकाल दी गई थी. मैं डेढ़ महीने तक अस्पताल में एडमिट रहा. तब मुझे पहली बार डायबिटीज होने के बारे में पता चला.
रोगी 2: मुझे डेंगू हुआ था, जिस वजह से मैं 10-15 दिन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती था. मेरी हालत गंभीर थी. कुछ दिनों बाद, डॉक्टर ने बताया कि मुझे डायबिटीज है. पहले दिन, दूसरे दिन, तीसरे दिन: डायबिटीज नहीं था. सातवें दिन, डॉक्टर ने बताया कि मुझे डायबिटीज है.
रोगी 3: मुझे दिल का दौरा पड़ा और मेरी बाईपास सर्जरी हुई. बाईपास के तीसरे दिन, मुझे पता चला कि मुझे डायबिटीज है. पहले दिन या दूसरे दिन, डायबिटीज का कोई लक्षण नहीं था लेकिन तीसरे दिन, शुगर बढ़ने लगी और यह 200-300 के लेवल पर पहुंच गया.
डॉ गाडगे कहते हैं कि हमारे ओपीडी में इस तरह की कहानियां बहुत आम हैं. वह बताते हैं कि कैसे अचानक स्ट्रेस या ट्रॉमा टाइप 2 डायबिटीज में बदल जाता है.
जब आप बहुत अधिक तनाव में होते हैं, तो शरीर में बहुत सारे इंफ्लेमेटरी मार्कर विकसित होते हैं. अलग-अलग तरह के हार्मोंस पूरी तरह मिसमैच हो जाते हैं (जिन्हें सामान्य स्थिति में नियंत्रित तरीके से स्रावित होना होता है). यह इंसुलिन के डायनेमिक्स को बदल देते हैं. यह इंसुलिन संवेदनशीलता को कम करते हैं, इससे इंसुलिन का प्रतिरोध बढ़ता है और डायबिटीज का कारण बनता है.डॉ प्रदीप गाडगे
ICU और स्ट्रेस
डॉ सुमित रे, जिन्होंने आईसीयू के सैकड़ों केस देखे हैं, बताते हैं कि कैसे आईसीयू में स्ट्रेस से डायबिटीज हो सकता है.
कई बार, डायबिटीज या बॉर्डरलाइन डायबिटीज का पता नहीं चलता है. लेकिन जब आप गंभीर रूप से बीमार होते हैं, तो यह साफ हो जाता है कि आपको डायबिटीज है. लेकिन यह सिर्फ एक अंतर्निहित डायबिटीज, एक लो ग्रेड डायबिटीज और एक प्री-डायबिटीक स्थिति को दर्शाता है.डॉ सुमित रे
कभी-कभी, हाई शुगर टेंपररी होता है. एक या दो महीने के बहुत ज्यादा स्ट्रेस के बाद, जहां अन्य हार्मोन स्रावित होते हैं, इंसुलिन अपने नेचुरल बैलेंस को मेंटेन करना शुरू कर देता है.
शरीर में ग्लूकोज का मेटाबॉलिज्म या चयापचय एक ओर इंसुलिन और दूसरी ओर शरीर के अन्य हार्मोन के बीच एक तरह से रस्साकशी के समान है. जब बहुत अधिक स्ट्रेस होता है, तो यह शरीर में बहुत अधिक एंटी-इंसुलिन हार्मोन बढ़ने लगते है, जैसे एड्रीनलिन, कोर्टिसोल. एक या दो महीने के बाद, जिन हार्मोन का प्रभाव हावी हो गया था, वह कम होने लगता है. और फिर से इंसुलिन मजबूत होने और धीरे-धीरे संतुलन पर पहुंचने लगता है. इंसुलिन के हाथों से खिसकी हुई रस्सी अब फिर से उसके हाथों में आ जाती है.डॉ प्रदीप गाडगे, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट
अगर आप इसके बारे में सोचते हैं, तो डायबिटीज वास्तव में हार्मोनों के बीच रस्साकशी के अलावा और कुछ नहीं है. और जब ट्रॉमा या बहुत अधिक मेडिकल स्ट्रेस की बात आती है, तो कभी-कभी इंसुलिन जीत जाता है; और कभी-कभी यह हार जाता है. इसमें से कुछ का संबंध हमारे जेनेटिक और कुछ का संबंध डायबिटीज के संबंध में हमारे बॉडी की अनुकूलता की स्थिति से है.
लेकिन इनमें से कुछ का संबंध उससे हो सकता है कि बहुत अधिक मेडिकल स्ट्रेस की स्थिति में हम किस तरह रिएक्ट करते हैं. जैसा कि डॉ गाडगे बताते हैं, ‘मेरे जेनेटिक को बदला नहीं जा सकता है, लेकिन अन्य मेकेनिज्म की मदद से मैं आधी स्थिति को अच्छी तरह से मैनेज कर सकता हूं.’
अगर हम भाग्यशाली हैं, तो हाफ सिचुएशन का मैनेजमेंट भी हमें डायबिटीज से बचा सकता है.
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