प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा करने के साथ लोगों से अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की अपील की है.
पीएम मोदी ने कहा, "गर्म पानी है, काढ़ा है, इनका निरंतर सेवन करें."
आयुष मंत्रालय की ओर से इम्युनिटी बूस्टिंग और रेस्पिरेटरी हेल्थ के लिए जारी गाइडलाइन
इस स्वास्थ्य संकट के दौरान आयुष मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में शरीर की रोग प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने के उपाय सुझाए गए हैं.
इस गाइडलाइन के तहत सामान्य उपायों में गुनगुना पानी पीना, योगासन, प्राणायाम, ध्यान करना, खाने में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन का प्रयोग करना शामिल है. वहीं इम्युनिटी बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश (डायबिटिक लोगों के लिए शुगर फ्री च्यवनप्राश), हर्बल टी या तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ और मुनक्का से तैयार काढ़ा, हल्दी वाला दूध लेने की सलाह दी गई है.
सूखी खांसी और गला खराब होने की स्थिति में पानी में पुदीने की पत्तियां या अजवाइन डालकर भाप लेने, लौंग पाउडर में शहद या चीनी मिलाकर लेने की सलाह के साथ ही ये स्पष्ट किया गया है कि इस तरह के लक्षण रहने पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए.
मंत्रालय ने ये साफ किया है कि COVID-19 के लिए कोई दवा नहीं है. मूल रूप से ये गाइडलाइन स्वास्थ्य संकट की इस घड़ी में खुद की सामान्य देखभाल से जुड़ी है. वहीं सोशल डिस्टेन्सिंग, हैंड और रेस्पिरेटरी हाइजीन को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
इम्युनिटी और COVID-19 का कनेक्शन
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, फरीदाबाद में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और डायरेक्टर डॉ रवि शेखर झा बताते हैं कि अगर कोई आज इस वायरस से संक्रमित हो, तो आमतौर पर 5वें दिन से लक्षण सामने आना शुरू होंगे. नाक में खुजली, नाक बंद होना या नाक बहने की दिक्कत होगी. उसके बाद अगर वायरस मुंह के रास्ते आया है, तो गले में दर्द और गले में खराश हो सकता है. ज्यादातर मामलों यहीं पर 10-12 दिनों में इन्फेक्शन खत्म हो जाता है.
लेकिन अगर आपकी इम्युनिटी कम है, तो ये वायरस गले से नीचे की तरफ जाना शुरू हो जाता है और अगर इसने आपके फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया, तो ये निमोनिया में कन्वर्ट हो जाता है. फिर शरीर की ऑक्सीजन कम होना शुरू हो जाती है और बाकी अंग प्रभावित होने लगते हैं.डॉ रवि शेखर झा, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, फरीदाबाद
क्या इम्युनिटी बढ़ाकर हम COVID-19 से बच सकते हैं, इस सवाल पर क्रिटिकल केयर स्पेशिलिस्ट डॉ सुमित रे कहते हैं कि इम्यून बूस्टर के दावे वैज्ञानिक रूप से अभी तक स्पष्ट तौर पर साबित नहीं हुए हैं.
वहीं हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी संक्रमण के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है, यह बहुत जटिल है और कई कारकों पर निर्भर करती है, जो हमारे नियंत्रण में नहीं होती है.डॉ सुमित रे
जैसे डॉ झा बताते हैं कि किसी तरह की डिजीज में अगर आपकी बॉडी एंटीबॉडी बनाती है, तो साथ में साइटोकाइन्स भी रिलीज करती है. साइटोकाइन्स किसी भी बाहरी खतरे के खात्मे में मदद करते हैं, लेकिन कई बार ये इतनी ज्यादा मात्रा में बन जाते हैं कि शरीर की कोशिकाओं को ही नष्ट करने लगते हैं. COVID-19 के मामले में इसके कारण निमोनिया के गंभीर होने का या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) का खतरा बढ़ जाता है.
डॉ झा और डॉ रे दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि अगर किसी को डायबिटीज है, हाइपरटेंशन है, तो उसे कंट्रोल करने की जरूरत है क्योंकि ऐसे रोगियों को COVID-19 से ज्यादा गंभीर खतरा है.
आयुर्वेद ग्रोथ, निरोगस्ट्रीट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ पूजा कोहली कहती हैं,
निश्चित तौर यह नहीं कहा जा सकता कि इम्युनिटी बढ़ाने से कोई इस वायरस संक्रमित नहीं होगा. संक्रमण से बचने के बेसिक उपायों में कोई लापरवाही न करें.
इम्युनिटी बूस्ट करना क्यों जरूरी है?
इम्युनिटी पर जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान कहते हैं कि हमारा इम्युन सिस्टम लगातार किसी न किसी खतरे से निपट रहा होता है. यहां तक कि जब हमें कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे होते, तब भी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी न किसी खतरे से निपट रही होती है. इसीलिए हमें अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर न पड़ने देने की जरूरत होती है.
इम्युनिटी के बारे में डॉ झा कहते हैं कि एक होता है इम्युनिटी बढ़ाना और एक होता है इम्युनिटी ऑप्टिमम लेवल पर ले आना.
इम्युनिटी बढ़ाने की कोई मेडिसिन नहीं होती है. इम्युनिटी ऑप्टिमम लेवल पर लाने के तरीकों का उदाहरण देते हुए वो कहते हैं कि जैसे अगर किसी में विटामिन C या विटामिन D की कमी है, तो इसकी खुराक देने पर उसकी इम्युनिटी 2-3 हफ्तों में अपने ऑप्टिमम लेवल पर पहुंच सकती है.
डॉ चौहान कहते हैं कि इम्युन सिस्टम की मजबूती के लिए हमें पौष्टिक आहार और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत होती है और इसी का जिक्र आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन में किया गया है.
क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे भी इसी बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन और खनिजों के सभी तत्वों के साथ एक अच्छा संतुलित आहार बेहतर पोषण प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है.
इस तरह की महामारी के संबंध में क्या कहता है आयुर्वेद?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक COVID-19 के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2, जिसे शुरुआत में नोवल कोरोनावायरस कहा गया, इससे पहले इंसान इस वायरस से संक्रमित नहीं हुआ. फिर इस महामारी को लेकर आयुर्वेद का आधार क्या हो सकता है?
इस पर जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान बताते हैं कि आयुर्वेद में महामारियों की विस्तृत व्याख्या की गई है.
आचार्य चक्रपाणि ने एक व्यापक समुदाय (कम्युनिटी) में एक जैसे लक्षण वाली बीमारी के बारे में लिखा है.
आचार्य चरक ने महामारी के दो कारकों का वर्णन किया है: नियत हेतु (प्रकृति की शक्तियों के कारण अपरिहार्य कारक) और अनियत हेतु (रोगजनक कारक).
आचार्य सुश्रुत ने सूक्ष्मजीवों के महामारी विज्ञान संबंधी पहलुओं के बारे में लिखा है. उन्होंने ट्रांसमिशन के तरीकों का वर्णन किया है, जिसमें शारीरिक संपर्क (फिजिकल कॉन्टैक्ट), निष्कासित वायु ( expelled air) और एक ही बर्तन का उपयोग शामिल है.
आयुर्वेद ग्रोथ, निरोगस्ट्रीट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ पूजा कोहली कहती हैं कि COVID-19 चूंकि एक नई बीमारी है, इसलिए यह कह पाना बेहद मुश्किल है कि आयुर्वेद में इसका इलाज है या नहीं.
COVID-19 के उपचार में उपयुक्त आयुर्वेदिक औषधि के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस बीमारी में सामने आने वाले लक्षणों पर आयुर्वेद के जरिए काम किया जा सकता है.डॉ पूजा कोहली, वाइस प्रेसिडेंट (आयुर्वेद ग्रोथ), निरोगस्ट्रीट
COVID-19 से निपटने में आयुर्वेद और दूसरी भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति की क्या भूमिका हो सकती है? इस महामारी से निपटने के लिए आयुर्वेदिक उपायों को लेकर क्या कोई वैज्ञानिक प्रमाण स्थापित करने की कोशिश चल रही है? अगर इस स्वास्थ्य संकट में आयुर्वेदिक उपायों और उपचार पर काम करना है, तो ये सवाल महत्वपूर्ण हो जाते हैं.
COVID-19 से निपटने के लिए आयुर्वेद में क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद नाइक ने हाल ही में ये दावा किया कि आयुर्वेद में जल्द ही कोविड-19 के मरीजों का इलाज खोज लिया जाएगा. उनके मुताबिक कोविड-19 में आयुर्वेदिक उपचार को लेकर और इसके वैज्ञानिक सत्यापन के लिए एक टास्क फोर्स तैयार किया गया है. उन्होंने 9 अप्रैल को ट्वीट कर बताया कि गोवा की सरकार ने COVID-19 मरीजों के इलाज में एलोपैथी के साथ आयुष दवाइयों के प्रयोग को मंजूरी दे दी है.
वहीं द प्रिंट की इस रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद की ओर से सरकार को एक प्रपोजल सौंपा गया है, इसमें एलोपैथिक दवा के साथ औषधीय जड़ीबूटियों के इस्तेमाल की बात कही गई है.
पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रपोजल में कहा गया है कि अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल (पेड़ पौधों से निकले केमिकल) में कोविड-19 से लड़ने की क्षमता है.
पतंजलि के एक रिसर्च पेपर, जिसमें ये कहा गया है कि अश्वगंधा नोवल कोरोनावायरस को शरीर की कोशिकाओं से अटैच होने से रोकने में मददगार हो सकता है, इसे वायरोलॉजी जर्नल में समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया गया है, हालांकि ये एक शुरुआती रिपोर्ट है, जिस अभी सही नहीं कहा जा सकता है.
वहीं डॉ चौहान बताते हैं कि आयुष के तहत कई प्रमुख कॉलेजों, अस्पतालों और एकेडमी में शोध और अध्ययन चल रहे हैं.
केरल, हरियाणा और गोवा आयुर्वेदिक इंटरवेन्शन और दवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं और आयुष समुदाय को उम्मीद है कि निकट भविष्य में और भी राज्य इस दिशा में काम करेंगे.
डॉ पूजा कोहली कहती हैं कि अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई रिसर्च सामने नहीं आई है, लेकिन तीन राज्यों में मंजूरी मिलने से कुछ मरीजों को आयुर्वेदिक औषधि दी जाएगी और उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
SARS-CoV-2 को लेकर हर चिकित्सा पद्धति अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही है. वहीं वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की भी जरूरत है क्योंकि अभी भी इसके बारे में बहुत सी चीजें अनजान हैं. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा रिसर्च और स्टडीज के बाद ही इलाज और बचाव को लेकर कुछ भी पुख्ता तौर पर साबित होगा.
फिलहाल पूरी दुनिया में सोशल डिस्टेन्सिंग, हाथ धोने, रेस्पिरेटरी हाइजीन और इस वायरस के ट्रांसमिशन के तरीकों को रोकने पर ही जोर दिया जा रहा है.
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