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COVID-19: UN ने जताई चिंता, इस साल हजारों बच्चों की हो सकती है मौत

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संयुक्त राष्ट्र(UN) ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते होने वाली ग्लोबल मंदी की वजह से इस साल हजारों बच्चों की मौत हो सकती है. इससे शिशु मृत्यु दर को कम करने की कोशिशों को झटका लग सकता है.

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों पर कोरोना वायरस के प्रभाव के आकलन में कहा है कि अनुमान के मुताबिक 4.2 से 4.6 करोड़ बच्चे इस साल संकट की वजह से अत्यधिक गरीबी के घेरे में आ सकते हैं. साल 2019 में पहले से ही 38.6 करोड़ बच्चे अत्यधिक गरीबी के शिकार थे.

संयुक्त राष्ट्र ने 16 अप्रैल को पॉलिसी ब्रीफ द इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन चिल्ड्रन’ जारी कर ये आशंका जताई है. इसमें कहा गया कि-

‘‘बच्चे इस महामारी का सामना नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्हें कोरोना वायरस का खतरा है. हालांकि शुक्र है कि वे कोरोना वायरस के सीधे असर से बचे हुए हैं.’’

बाल अस्तित्व और स्वास्थ्य के लिए खतरों को लेकर इसमें कहा गया है, ‘‘वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते परिवारों के सामने आई आर्थिक परेशानी 2020 में अतिरिक्त हजारों बच्चों की मौत की वजह बन सकती है. इससे एक ही साल के अंदर शिशु मृत्यु दर को कम करने में पिछले 2 से 3 सालों की कोशिश प्रभावित हो सकती है.’’

महामारी ने 188 देशों में शिक्षा के संकट को भी बढ़ा दिया है और पूरे देश में स्कूलों को बंद करना पड़ा है जिससे 1.5 अरब से ज्यादा बच्चे और युवा प्रभावित हुए है.

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अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 20 लाख से ज्यादा हो गई है और इससे अब तक 1,44,000 लोगों की मौत हो चुकी है.

अमेरिका कोविड-19 से सबसे प्रभावित देश है जहां 6,70,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 33,000 लोगों की मौत हुई है.

इसमें कहा गया है कि 143 देशों के 36.85 करोड़ बच्चों में कुपोषण बढ़ने की आशंका है. ऐसे बच्चे आमतौर पर रोजाना पोषण के लिए स्कूल के मिड-डे-मिल पर निर्भर होते हैं, अब उन्हें बाकी स्रोतों को देखना होगा.

बच्चों की मेंटल हेल्थ और वेल्फेयर के लिए जोखिम भी काफी हैं.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ये पॉलिसी ब्रीफ जारी करते हुए कहा कि समाज के सबसे गरीब और सबसे कमजोर महामारी की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो दुनिया के बच्चों की भलाई को लेकर खासतौर से चिंतित हैं.

(- इनपुट भाषा से)

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