ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना वैक्सीनेशन: कुछ लोगों को क्यों लगता है इंजेक्शन से डर?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कोविड-19 के खिलाफ भारत में वैक्सीनेशन 16 जनवरी से शुरू हो रहा है. लोगों में वैक्सीन से सुरक्षा को लेकर चिंता है और लोगों की चिंताओं को कम करने के लिए सरकार काम कर रही है. लेकिन इन सब से अलग कुछ लोगों को एक और डर सता रहा है, वो है सुई का- इंजेक्शन फोबिया(Injection Phobia). वैक्सीन के डोज इंजेक्शन के जरिये दिए जाएंगे.

इंजेक्शन का डर असामान्य नहीं है. कई बार इसका नाम सुनते ही कुछ लोगों को पसीना आना, धड़कन तेज होना, कंपकंपाहट जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. कई बार ये डर काफी गहरा होता है, और इसे ट्राइपैनोफोबिया (Trypanophobia) के रूप में जाना जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फोबिया क्यों होता है?

मायो क्लीनिक के मुताबिक किसी खास चीज या स्थिति से जुड़ा गहरा और लगातार पैदा होने वाला डर जो वास्तविक जोखिम से कई गुना ज्यादा होता है, फोबिया कहलाता है.

लेकिन सवाल है कि कुछ लोगों को फोबिया क्यों होता है और बाकियों को क्यों नहीं होता- इसे लेकर डॉक्टर्स के पास कुछ ठोस कारण मौजूद नहीं है.

फोबिया के कारकों में शामिल हैं:

  • जिंदगी के कुछ निगेटिव अनुभव या किसी खास चीज या स्थिति की वजह से ट्रॉमा
  • जेनेटिक कारण
  • ब्रेन केमिस्ट्री(दिमाग के रसायनों) में बदलाव
  • बचपन के फोबिया जो 10 साल की उम्र तक दिखाई देते हैं
  • सेंसिटिव या निगेटिव टेंपरामेंट
  • निगेटिव जानकारी या अनुभवों से सीख लेना

ट्राइपैनोफोबिया क्या है?

इंजेक्शन या हाइपोडर्मिक सुई के साथ होने वाली मेडिकल प्रक्रिया से बहुत ज्यादा डर महसूस होना, ट्राइपैनोफोबिया कहलाता है.

बच्चे विशेष रूप से सुइयों से डरते हैं क्योंकि उनकी त्वचा किसी तेज चुभने वाली चीज से पैदा होने वाली सेंसेशन के लिए प्रयुक्त नहीं होती है. अधिकांश लोग जब वयस्क अवस्था तक पहुंचते हैं, तब वे सुइयों को ज्यादा आसानी से सह सकते हैं.

लेकिन कुछ के लिए, सुइयों का डर उनके साथ वयस्क होने के बाद भी रहता है. कभी-कभी ये डर काफी गहरा हो सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ट्राइपैनोफोबिया के कारक

  • सुई लगने से वासोवगल रिफ्लेक्स रिएक्शन( vasovagal reflex reaction) की वजह से बेहोशी या गंभीर चक्कर आना
  • बुरी यादें और चिंता, जैसे कि दर्दनाक इंजेक्शन की यादें, जो सुई देखते ही ट्रिगर हो सकती हैं
  • चिकित्सा से जुड़ा डर या हाइपोकॉन्ड्रिया
  • दर्द के प्रति सेंसिटिविटी, जो जेनेटिक होती है जिससे सुई को शामिल करने वाले मेडिकल प्रोसीजर के दौरान हाई एंग्जायटी, ब्ल्ड प्रेशर या हार्ट रेट बढ़ता है
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ट्राइपैनोफोबिया के लक्षण क्या हैं?

ट्राइपैनोफोबिया के लक्षण किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बाधित कर सकते हैं. ये लक्षण इतने तीव्र हो सकते हैं कि वे आप में कमजोरी पैदा कर सकते हैं. लक्षण तब दिखते हैं जब कोई व्यक्ति इंजेक्शन देखता है या उन्हें बताया जाता है कि उन्हें एक प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें इंजेक्शन या नीडल शामिल हैं.

  • सिर चकराना
  • बेहोशी
  • चिंता
  • अनिद्रा
  • पैनिक अटैक
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • हाई हार्ट रेट
  • भावनात्मक या शारीरिक रूप से हिंसक महसूस करना
  • चिकित्सकीय देखभाल से दूर रहना या भागना

फोबिया से छुटकारा मिल सकता है?

फोबिया से डील करने का तरीका एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है. हो सकता है आप इस डर से न निकल पाएं, लेकिन इसके साथ जीना सीख जाएं.

लेकिन कई बार डॉक्टर की मदद की जरूरत पड़ती है. कॉग्नीटिव बिहेवियोरल थेरेपी, क्लीनिकल हीप्नोथेरेपी और सेल्फ-हेल्प मेथड के जरिये ट्राइपैनोफोबिया को मैनेज किया जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइपैनोफोबिया पर की गई एक स्टडी बताती है कि इस तरह का डर, आशंका बच्चों में सबसे ज्यादा होती है और उम्र के साथ कम होती जाती है. ब्रिटेन की कुल आबादी का 10% हिस्सा इससे प्रभावित है.

लेकिन कई वैक्सीन शॉट्स इंजेक्शन के जरिये ही लिए जा सकते हैं और डर के बावजूद आपके पास इसे न लेने का विकल्प नहीं होता क्योंकि वैक्सीन के बिना आपको ज्यादा गंभीर बीमारियां हो सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×