उत्तर प्रदेश में इन दिनों डेंगू का कहर जारी है. अब तक इसकी चपेट में 7598 लोग आ चुके हैं. लेकिन, अभी तक जिम्मेदार लोग इस पर ठोस कदम उठाने की बजाए टाल-मटोल में डटे हैं.
लखनऊ के ज्यादातर अस्पताल डेंगू के मरीजों से भरे हुए हैं. सरकारी डेटा में अभी तक प्रदेश में कुल 13 मौतें हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक लखनऊ में छह, कानपुर में तीन, बराबंकी में दो, हरदोई और उन्नाव में एक-एक मरीज की मौत हो चुकी है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है.
डॉक्टरों का दावा है कि आमतौर पर डेंगू का प्रकोप अक्टूबर में कम होने लगता है. लेकिन इसके उलट नवंबर में मरीजों की भरमार दिख रही है.
सरकारी और निजी अस्पतालों में कार्ड जांच से डेंगू मरीज की पहचान की जा रही है. लखनऊ में रोजाना 400 से अधिक मरीजों की जांच हो रही है.
प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू का इलाज चल रहा है. लेकिन सीएमओ वहां के मरीजों की संख्या नहीं बताते हैं. जनवरी से अब तक लखनऊ में डेंगू के करीब 1,541, कानपुर में 1,422, प्रयाग में 356, वाराणसी में 266 मरीज सामने आ चुके हैं.
राजधानी के बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु, केजीएमयू जैसे अस्पताल के हर वार्ड में डेंगू मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा मात्रा में देखने को मिल रही है. मौत के मामले में लखनऊ पहले स्थान पर है.
स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ पद्माकर सिंह का कहना है कि डेंगू पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. मरीजों के बेहतर इलाज के लिए हर अस्पताल में इंतजाम किए गए हैं.
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