ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या आपको पता है शुगर तंबाकू जितनी खतरनाक हो सकती है

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हॉलीवुड फिल्म ‘थैंक्यू फॉर स्मोकिंग’ में मृदुभाषी टोबैको लॉबीइस्ट निक नायलर का चरित्र याद है, जो बड़ी चालाकी से सिगरेट इंडस्ट्री का बचाव करता है? ‘द इकोनॉमिस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक नए हालात में अब शुगर (चीनी) एक किस्म का नया तंबाकू बन चुकी है जो करीब-करीब उतनी ही खतरनाक है और “पाचन, मनोवैज्ञानिक और हार्मोनल परिवर्तन” के लिए सीधे जिम्मेदार है. हमारी बदकिस्मती है कि शुगर-बेस्ड इंडस्ट्री के लिए भी पैरवी करने को ताकतवर शुगर लॉबीइस्ट सक्रिय हैं.

बीते एक दशक में, अमेरिकी विज्ञान लेखक गैरी टौब्स शुगर के नुकसान पर लिखते रहे हैं. अपनी किताब ‘द केस अगेंस्ट शुगर’ में वह सवाल उठाते हैं कि खाने के साथ ली जाने वाले फैट (चर्बी) को लोगों में मोटापे और हाइपर टेंशन के लिए जिम्मेदार बताया जाता रहा है, लेकिन यह हकीकत नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वह कहते हैं कि असल कसूरवार शुगर है, लेकिन शुगर इंडस्ट्री की फंडिंग से किए गए एक अध्ययन में फैट को सफलतापूर्वक दिलकी प्रमुख बीमारियों से जोड़ दिया गया.

एक ‘कीमती उत्पाद’

चीन में 20वीं सदी के खात्मे तक डायबिटीज (मधुमेह) का नाम भी नहीं सुना गया था, लेकिन आज वयस्क आबादी का 11.6 फीसदहिस्सा इससे पीड़ित है.

11वीं सदी का ‘कीमती उत्पाद’ 19वीं सदी में एक सस्ता खाद्य पदार्थ बन चुका है और कंपनियां इस पर मोटा मुनाफा कमा रहीहैं. तकरीबन हर पैकेज्ड और ब्रांडेड फूड/ड्रिंक उत्पाद में लुभावने अंदाज में वह चीज बेची जा रही है, जो किसी जहर से कमनहीं है.

यहां तक कि इसे सिगरेट में भी मिलाया जा रहा है, जिसका मकसद यह है कि चिढ़पैदा करने वाला धुआं कम निकले.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ज्यादा शुगर?

साल 1960 में लंदन यूनिवर्सिटी न्यूट्रीशनिस्ट जॉन युदकिन ने दावा किया कि मोटापा, डायबिटीज और हार्ट की बीमारियां शुगर खानेसे होती हैं. उनके सुबूत, जो वो खुद भी मानते हैं कि पूरे नहीं हैं, को एक जाने-माने अमेरिकी शोधकर्ता एनसेल कीज ने “बकवास कापहाड़” करार देते हुए आलोचना की.

कीज के इस अध्ययन, कि खाने वाला फैट धमनी से जुड़ी बीमारियों का मुख्यउत्प्रेरक है, को कई वर्षों तक शुगर एसोसिएशन से फंडिंग मिलती रही. 1971 मेंयुदकिन के रिटायर होने के बाद उनकी जगह पर डाइटरी फैट सिद्धांत के समर्थकको नियुक्त किया गया.  
ADVERTISEMENTREMOVE AD

खबरें बताती हैं कि शुगर के खिलाफ माहौल बन रहा है. साल 2016 के अक्टूबर महीने में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने सभी देशों से शुगर वाले ड्रिंक्स पर टैक्स लगाने को कहा था. मैक्सिको 2013 में ही ऐसा कर चुका है. अमेरिका में शिकागो, फिलाडेल्फिया औरसान फ्रांसिस्को जैसे शहर भी इस सलाह पर अमल किया है. ब्रिटेन ने भी 2018 में सॉफ्ट ड्रिंक पर लेवी लगाने के लिए कहा है.

भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा शुगर उत्पादक देश है. भारत में साल 2013 में करीब 6 करोड़ डायबिटीज के मरीज थे. न्यूट्रीशनिस्टऔर डायटीशियन ने इसे लेकर गंभीर चिंता जताई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने शुगर वाले पैकेज्‍ड पेय पदार्थ और फूड को लेकरविज्ञापन अभियान पर कोई गंभीर पहल नहीं की है. ऐसे उत्पादों पर टैक्स लगाने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×