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DRDO की दवा 2-DG के कमर्शियल लॉन्च का ऐलान,जानें इस बारे में सबकुछ

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हैजराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने 28 जून को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा तैयार एंटी-कोविड दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) के कमर्शियल लॉन्च की घोषणा की है. ये दवा हॉस्पिटल में भर्ती मॉडरेट और गंभीर मरीजों के लिए होगी.

दवा अब सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों को भी बेचा जाएगा.

शुरुआती हफ्तों में, कंपनी महानगरों और टियर 1 शहरों के अस्पतालों में दवा उपलब्ध कराएगी, और बाद में देश के बाकी हिस्सों में इसका विस्तार करेगी. इसे 7 मई को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के तहत मंजूरी मिली थी.

सरकारी संस्थानों को दी जाने वाली रियायती दर के साथ हर पाउच का अधिकतम खुदरा मूल्य 990 रुपये तय किया गया है.
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इसे बनाने वाली वैज्ञानिकों की टीम में शामिल गोरखपुर के डॉक्टर अनंत नारायण भट्ट के मुताबिक, "दवा ट्रायल में कोरोना संक्रमण से शत प्रतिशत निजात दिलाने में कारगर रही है. उनका कहना है कि ट्रायल के दौरान सभी कोरोना मरीज 2 से 7 दिन के अंदर ठीक हुए हैं. उनको ऑक्सीजन और अन्य कोई जरूरत नहीं पड़ी."

इस दवा के बाबत डॉ. भट्ट का कहना है कि

"जिन मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया उन्हें 3 दिन बाद ही अलग से ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की जरूरत नहीं पड़ी. 42% मरीज 3 दिन में और 75 से 80% तक मरीज 7-8 दिन में ही कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए. 11 से 12 दिन में रिकवरी की दर शत प्रतिशत मरीजों में पाई गई है. पूरी तरह अपने ही देश में निर्मित ये दवा सैशे में पाउडर के रूप में है."

2-DG दवा ऐसे करेगी काम

2-DG दवा सीधे मरीज की कोशिकाओं में काम करेगी, जिससे इम्यून सिस्टम तेजी से ठीक होगी. ग्लूकोज का एक सामान्य मॉलिक्यूल और एनालॉग होने के नाते इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और देश में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है.

एक सैशे में पाउडर के रूप में ये दवा आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है. ये वायरस संक्रमित सेल में जमा होती है और वायरल सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन कर वायरस को बढ़ने से रोकती है.

दवा के ट्रायल के दौरान क्या पता चला?

क्लीनिकल ट्रायल रिजल्ट से पता चला है कि 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है और बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है.

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अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) और DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद की मदद से लैब ट्रायल किए और पाया कि ये दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल बढ़ने को रोकती है.

इन रिजल्ट के आधार पर DCGI और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑगेर्नाइजेशन (CDSCO) ने मई 2020 में कोविड-19 मरीजों में 2-DG के फेज-2 के क्लीनिकल ट्रायल की परमिशन दी.

मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे फेज के ट्रायल में दवा कोविड-19 मरीजों के लिए सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में जरूरी सुधार दिखाया. दूसरे फेज का ट्रायल 6 अस्पतालों में किया गया और देश भर के 11 अस्पतालों में फेज-2 B क्लीनिकल ट्रायल किया गया. फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया.

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प्रभावकारिता की प्रवृत्तियों में 2-DG के साथ इलाज किए गए मरीजों ने अलग-अलग एंडपॉइंट्स पर स्टैंडर्ड ऑफ केयर(SOC) की तुलना में तेजी से रोगसूचक उपचार प्रदर्शित किया.

इस उपचार के दौरान मरीज के शरीर में खास संकेतों से संबंधित मापदंड सामान्य बनाने में लगने वाले औसत समय में स्टैंडर्ड ऑफ केयर की तुलना में एक बढ़िया अंतर (2.5 दिन का अंतर) देखा गया.

सफल परिणामों के आधार पर DCGI ने नवंबर 2020 में फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल की परमिशन दी.

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल किया गया.

फेज-3 के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े DCGI को पेश किए गए. 2-DG के मामले में मरीजों के लक्षणों में काफी अधिक अनुपात में सुधार देखा गया और स्टैंडर्ड ऑफ केयर की तुलना में तीसरे दिन तक मरीज सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन निर्भरता (42% बनाम 31%) से मुक्त हो गए जो ऑक्सीजन थेरेपी/निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है.

इसी तरह का रुझान 65 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों में देखा गया.

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कुछ रिसर्चर्स ने दवा के प्राइमरी ट्रायल रिजल्ट की अस्पष्टता और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध पियर रिव्यूड पेपर की कमी पर सवाल उठाया है.

रिसर्चर्स के बीच निमहंस(NIMHANS) बैंगलोर में न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ रीतेका सूद ने क्लीनिकल ट्रायल के डेटा एक्सेस तक पहुंच न होने के मुद्दे को हाइलाइट किया है.

अन्य ने फेज-3 ट्रायल के सैंपल साइज को अपर्याप्त बताया है. अमेरिका की यूएस एफडीए(US FDA) के मुताबिक, संख्या आमतौर पर 300-3000 के बीच होनी चाहिए.

(-IANS इनपुट के साथ)

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