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क्या एक्सरसाइज से घट सकता है अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा?

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अपने दिमाग को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए सबसे आसान काम हम क्या कर सकते हैं? जवाब है, रेगुलर एक्सरसाइज.

जी हां, दौड़िए, साइकिल चलाइए, टहलिए, सीढ़ियां चढ़िए-उतरिए, जो एक्सरसाइज पसंद हो, वो करिए. फायदा ये होगा कि बढ़ती उम्र के साथ दिमाग पर हावी होने वाली कमजोरियां खुद कमजोर हो जाएंगी.

कई स्टडीज में ये दावा किया गया है कि फिजिकल एक्टिविटी से अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे रोगों समेत दूसरी कई न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों से दिमाग की रक्षा में मदद मिल सकती है.
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बढ़ती उम्र का दिमाग पर असर

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ जॉय देसाई बताते हैं, "उम्र बढ़ने के साथ ब्रेन की सर्कुलेशन और रिजेनेरेटिव क्षमताएं यानी प्लास्टिसिटी धीरे-धीरे कम होती जाती हैं."

एक्सपर्ट्स के मुताबिक बढ़ती उम्र के साथ दिमाग (खासकर फ्रंटल कॉर्टेक्स) के साथ इसमें मौजूद ग्रे मैटर भी सिकुड़ने लगता है, जिससे याददाश्त से जुड़ी कई समस्याएं, सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता कम होने लगती है, बोध और अनुभूति का ह्रास होने लगता है.

  • 40 की उम्र के बाद दिमाग के आयतन और वजन में हर दशक के साथ करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आती है. डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर भी बढ़ती उम्र के साथ घटने लगते हैं.

  • वयस्क होने के साथ अगले हर दशक डोपामाइन के स्तर में करीब 10 प्रतिशत तक की गिरावट आती है, जिससे कॉग्निटिव और मोटर परफॉर्मेंस में कमी आती है.

तो क्या दिमाग को दुरुस्त रखने और उम्र के साथ कमजोर होती इसकी क्षमता में सुधार लाने का कोई उपाय है? न्यूरोसाइंटिस्ट वैंडी सुजुकी इसके लिए एक आसान सा उपाय बताती हैं,

हफ्ते में कम से कम तीन बार 30 मिनट का एक्सरसाइज सेशन.

जी हां, दिमाग की सेहत के लिए शारीरिक कसरत.

फिजिकल एक्सरसाइज और ब्रेन हेल्थ

मैक्स हॉस्पिटल गुड़गांव में न्यूरोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मयंक चावला कहते हैं, "इसमें कोई शक नहीं है कि फिजिकल एक्सरसाइज का हमारे दिमाग पर सकारात्मक असर पड़ता है. फिजिकल एक्टिविटी ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ा देती है."

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉ जॉय देसाई के मुताबिक न सिर्फ ब्रेन में ब्लड फ्लो बल्कि कई स्टडीज में रेगुलर कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज से हिप्पोकैंपस के आयतन में भी सुधार देखा गया है.

वो बताते हैं कि ब्रेन का जो मेमोरी प्रोसेसिंग हिस्सा है, टेंपोरल लोब, उसमें एक जगह है हिप्पोकैंपस और हिप्पोकैंपस में एक जगह होती है, जिसे डेंटेट जाइरस कहते हैं. डेंटेट जाइरस कोशिकाओं की रिजनरेशन एक्सरसाइज से होती है और याददाश्त और दूसरे कई फंक्शन में सुधार होता है.

चूहों पर की गई एक स्टडी में देखा गया है कि कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज से डेंटेट जाइरस में पाया जाने वाला ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) भी बढ़ता है और अगर BDNF की एक्टिविटी बढ़ती है, तो न्यूरोजेनेसिस यानी नए ढंग से दिमाग की कोशिकाओं में सुधार, भी बढ़ता है.
डॉ देसाई

डॉ देसाई बताते हैं, "कई स्टडीज में उम्रदराज लोगों की कॉग्निटिव टेस्टिंग, जिसमें कुछ शब्द या पैटर्न याद रखने के टास्क दिए गए, में रेगुलर एक्सरसाइज करने वालों का प्रदर्शन एक्सरसाइज न करने वालों के मुकाबले काफी बेहतर रहा."

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वॉकिंग, रनिंग या साइकिलिंग से दिल और दिमाग दोनों दुरुस्त

जर्मनी में दो हजार लोगों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि एक्सरसाइज करने वालों के दिमाग में ग्रे मैटर एक्सरसाइज न करने वालों के मुकाबले ज्यादा था.

मेयो क्लीनिक के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि वॉकिंग, रनिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज जो दिल के लिए फायदेमंद हैं, ये ही एक्सरसाइज दिमाग को भी दुरुस्त रखती हैं और उम्र बढ़ने के साथ दिमाग में होने वाले बदलाव की प्रक्रिया को धीमा करने में मददगार होती हैं.

ये साफ है कि कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज से दिमाग के कार्य करने की क्षमता में सुधार होता है.
डॉ जॉय देसाई
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न्यूरोसाइंटिस्ट वैंडी सुजुकी इस वीडियो में बताती हैं कि रेगुलर एक्सरसाइज के फायदे उन्होंने खुद महसूस किए हैं. वो कहती हैं कि एक्सरसाइज से मूड, मेमोरी, फोकस और एनर्जी लेवल बेहतर होता है.

वैंडी रेगुलर फिजिकल एक्टीविटीज के फायदे गिनाती हैं:

  • रेगुलर एक्सरसाइज हमारे दिमाग की फिजियोलॉजी और फंक्शन में बदलाव लाता है.
  • फिजिकल एक्सरसाइज का दिमाग पर तुरंत असर पड़ता है, एक वर्कआउट से आपमें डोपामाइन, सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का लेवल बढ़ जाता है, जिससे आपका मूड बेहतर होता है.
  • एक्सरसाइज से हिप्पोकैंपस में नये ब्रेन सेल्स प्रोड्यूस होते हैं, दिमाग का आयतन बढ़ता है, जिससे लॉन्ग टर्म मेमोरी अच्छी होती है.
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क्या डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचाव कर सकती है एक्सरसाइज?

आप एक्सरसाइज से डिमेंशिया को ठीक नहीं कर सकते हैं, जो आप कर सकते हैं वो ये है कि आप इससे अपने प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और हिप्पोकैंपस को इतना मजबूत बना सकते हैं कि ये बीमारियां डिले हो सकें.
वैंडी सुजुकी, न्यूरोसाइंटिस्ट

डॉ मयंक चावला कहते हैं कि ये सही है कि फिजिकल एक्सरसाइज से अल्जाइमर जैसे न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियों को डिले करने में थोड़ी मदद मिल सकती है. हालांकि इसके साथ ही वो अल्जाइमर और कई दूसरे डिमेंशिया को डिले करने के लिए मेंटल एक्सरसाइज भी जरूरी बताते हैं.

मेंटल और फिजिकल दोनों तरह की एक्सरसाइज का असर पड़ता है. इसलिए सामाजिक मेलजोल बढ़ाइए, चर्चाओं में हिस्सा लीजिए और अगर आप शिक्षित हैं, तो पढ़ते रहिए.
डॉ चावला

फिजिकल एक्सरसाइज के संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) लाभ बचपन से बुढ़ापे तक की अवस्था में देखे गए हैं और मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर इसका लंबे समय तक प्रभाव रहता है.

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समाधान हेल्दी लाइफस्टाइल ही है

जीवन भर कॉग्निटिव फंक्शन को मेंटेन करने के लिए किसी एक तरह की एक्सरसाइज के बारे में नहीं बताया जा सकता, वैज्ञानिक अधिक स्पष्टता के लिए और शोध की आवश्यकता पर जोर देते हैं.

डॉ देसाई कहते हैं, "करंट साइंस ये स्पष्ट करता है कि हर रोज ब्रेन में रिकवरी के तहत कुछ न कुछ बदलाव होता है. आप जिस तरह से जिंदगी जीते हो, उस तरह से ब्रेन में बदलाव आता है."

अगर आप अनहेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते हैं, तो ब्रेन के रिकवरी की क्षमताएं कम होती जाती हैं.

इसलिए हेल्दी डाइट, रेगुलर फिजिकल एक्सरसाइज, एल्कोहल को कम से कम करने जैसी हेल्दी लाइफस्टाइल से बहुत मदद मिल सकती है.

डिमेंशिया का रिस्क घटाने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की गाइडलाइन में भी नियमित व्यायाम करने, स्मोकिंग न करने, शराब के हानिकारक उपयोग से बचने, वजन को नियंत्रित करने, स्वस्थ आहार खाने और हेल्दी ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने की सलाह दी गई है.

इसका मतलब है कि शरीर और दिमाग की सेहत के लिए एक्सरसाइज के फायदों को नकारा नहीं जा सकता है.

...तो अब किस चीज इंतजार का इंतजार कर रहे हैं? अपनी जगह से उठिए और अपनी क्षमता के अनुसार कोई न कोई एक्सरसाइज शुरू कर दीजिए. यकीन मानिए, इसके कोई नुकसान नहीं हैं और फायदे एक नहीं अनेक हैं.

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