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हाई-बीपी, हाईपरटेंशन के बड़े कारणों में है वायु प्रदूषण: स्टडी

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उत्तर भारत के एक बड़े क्षेत्रीय हिस्से के लिए वायु प्रदूषण गंभीर मुद्दा है. वहीं बीते साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी लगा दिया गया था. कथित तौर पर वायु प्रदूषण के तत्व, विशेष रूप से पीएम 2.5, बड़े पैमाने पर हृदय रोग के लिए खतरा पैदा करता है.

कई रिसर्च में पीएम 2.5 और ब्लड प्रेशर की समस्या के आपस में जुड़े होने के सबूत सामने आए हैं. वहीं दिल्ली में एक नई स्टडी ने हाई ब्लडप्रेशर(बीपी) और हाईपरटेंशन पर पीएम 2.5 के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव के वैज्ञानिक प्रमाण पेश किए हैं.

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ये रिसर्च अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की प्रमुख पत्रिका सकुर्लेशन में प्रकाशित हुआ था. इस रिसर्च के मुताबिक, बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय वायु प्रदूषण को हाई सिस्टोलिक बीपी, और हाईपरटेंशन कारक माना गया है.

प्रोजेक्ट में शामिल लेखकों में से एक और इसके प्रमुख इंवेस्टिगेटर, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन इंडिया में रिसर्च एंड पॉलिसी के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. दोराईराज प्रभाकरण ने कहा, "भारत में वायु प्रदूषण के एक मार्कर के रूप में पीएम 2.5 और हाइपरटेंशन को लिंक करने वाले बहुत कम या कोई सबूत नहीं हैं. ये अपनी तरह का पहला रिसर्च है, जिसमें महामारी विज्ञान साक्ष्य प्रदर्शित किए गए हैं, जिसमें पीएम 2.5 की वजह से हाई ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन के खतरे को दिखाया गया है."

ये रिसर्च भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल एंड पीएचएफआई में हार्वड टी. एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सहयोग से स्थानीय प्रतिनिधियों पर किया गया. जिसमें भारत में हृदय रोगों (सीवीडी) को लेकर पीएम 2.5 के हानिकारक प्रभावों के मजबूत सबूत सामने आए हैं.

प्रभाकरण ने आगे कहा, "रिसर्च के निष्कर्षों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के अल्प और दीर्घकालिक दोनों जोखिम हाईब्लडप्रेशर और हाईपरटेंशन के खतरे को बढ़ता है, खासकर आबादी के कुछ वर्गों (मोटापे से ग्रस्त) को ये बहुत प्रभावित करता है."

रिसर्च में बताया गया है कि देश में होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से संबंधित होती हैं, ऐसे में इन बीमारियों के प्रमुख कारक को कम करने में वायु प्रदूषण नियंत्रण महत्वपूर्ण साबित होगा.

रिसर्च में शामिल एक रिसर्चर ने कहा, "जब तक हम वायु की गुणवत्ता के सुरक्षित स्तर तक नहीं पहुंचते तब तक दिल की बीमारी से ग्रसित लोगों को खासतौर पर बाहर जाने से और पीएम 2.5 के संपर्क में आने से बचने की जरूरत है और अगर संभव हो तो एन 95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए."

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