गर्मी हो या सर्दी, एक चीज जो नहीं बदलती वो है हमारा पसंदीदा ड्रिंक.
बदलता है बस उसका तापमान: गर्मी में जितना मुमकिन हो उतना ठंडा- और सर्दी पड़नी शुरू हो जाए तो जितना ठंडा सहजता से पिया जा सके.
मुझे इन ड्रिंक्स से बड़ी शिकायत है क्योंकि ना सिर्फ वो बेकार की कैलोरी देते हैं, बल्कि वो लंबे समय में हमारी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. दरअसल, ये लिक्विड कैलोरी उन कैलोरी से भी बदतर हैं, जो हमें ठोस खाने की चीजों से मिलती है.
दिक्कत ये है कि ज्यादातर समय हम इन कैलोरी की परवाह भी नहीं करते, बस हम उन्हें बिना सोचे-समझे लेते रहते हैं.
जब मैं अपने क्लाइंट्स का फूड ऑडिट करती हूं (ये देखना कि वो रोजाना क्या खाते/पीते हैं), तो जिस चीज को ज्यादातर लोग बताना भूल जाते हैं, वो है दिन के दौरान लिए जाने वाले पेय पदार्थ- चाहे वो चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स या जूस हो...लोगों का मानना है कि ‘ये सब’ भोजन नहीं हैं, इसलिए फर्क नहीं पड़ता.
बदकिस्मती से ऐसा है नहीं. इनका फर्क पड़ता है. और बहुत पड़ता है.
हर हफ्ते एक एक्स्ट्रा किलो जुड़ जाता है
इनमें से ज्यादातर ड्रिंक्स कभी-कभी पूरी मील से ज्यादा कैलोरी दे देते हैं; जैसे एक बड़े से कप में मिलने वाला वो डेजर्ट, जिसे कैफे में कॉफी कहकर बेचा जाता है.
यही नहीं, क्या आपको पता है कि सॉफ्ट ड्रिंक की एक ही बोतल आपकी उस सारी कैलोरी की कमी पूरी कर देती है, जिसे आपने बड़ी मेहनत से सुबह जिम में खर्च किया होता है?
अब इस पर भी जरा सोचिए: नाश्ते में एक कैफे लाते, दोपहर के खाने में सोडा कैन, कॉलेज में गर्मी से राहत के लिए जूस का टेट्रा पैक, ऑफिस में पूरे दिन चलने वाली चाय और रात में एक या दो ग्लास वाइन या बियर. ये सब आसानी से आपके शरीर में 1000 कैलोरी एक्स्ट्रा जोड़ सकती हैं—और इस तरह दिन में ली जाने वाली कैलोरी जबरदस्त तरीके से बढ़ जाती है. इस हिसाब से, आप हर हफ्ते अपना वजन एक किलो बढ़ा सकते हैं (7,000 कैलोरी एक किलो के बराबर होती है).
अब इससे भी बड़ी शिकायत मुझे इन पेय पदार्थों से ये है कि ज्यादातर में न्यूट्रिशन ना के बराबर और फाइबर बेहद कम होता है.
इसलिए ना तो वो शरीर का कोई फायदा करते हैं और ना भूख मिटाते हैं. दरअसल, ज्यादातर समय तो वो एपेटाइट मीटर पर दर्ज ही नहीं होते. बस मोटापा बढ़ाते हैं.
डायबिटीज: और बड़ा नुकसान
इन लिक्विड कैलोरीज के नुकसान सिर्फ वजन बढ़ाने तक सीमित नहीं हैं.
टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की एक स्टडी, जो जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में छपी और शोधकर्ताओं ने इसके लिए 14 साल की अवधि में 1685 अमेरिकी निवासियों पर अध्ययन किया है, बताती है कि वो लोग जो हर दिन एक कैन सोडा लेते हैं, उनमें कम सोडा लेने वालों के मुकाबले प्री-डायबिटीज का खतरा 46 फीसदी बढ़ जाता है.
और हममें से कई बिना सोचे-समझे हर दिन इससे कहीं ज्यादा सोडा लेते रहते हैं.
लेकिन अभी सब कुछ बिगड़ा नहीं है.
2015 में छपी एक स्टडी ने बताया था कि दिन में सिर्फ एक बार मीठे पेय को पानी या बिना चीनी की चाय-कॉफी में बदल देने से डायबिटीज का खतरा 14 से 25 फीसदी तक कम हो सकता है.
बस अपना लिक्विड बदल दीजिए
इसलिए पीने के पहले अपने पेय पदार्थ के बारे में दोबारा सोचिए, और थोड़े स्मार्ट बनिए.
- पानी सदाबहार है. प्यास बुझाने के लिए हमें इसी जीरो कैलोरी पेय की जरूरत होती है. लेकिन अगर आप सादा पानी नहीं पी सकते, तो फ्लेवर्ड वॉटर आजमाइए: नींबू या संतरे का एक छोटा टुकड़ा, या पुदीने की एकाध पत्तियां, ताजा धनिया, सौंफ या इलायची पानी में मिलाइए और उसे दिलचस्प फ्लेवर दीजिए.
- ऑरेंज जेस्ट बनाइए: 1 कप पानी में 2 टेबलस्पून संतरे का ताजा रस और थोड़ा नमक मिलाइए और मजा लीजिए. या ग्रेप एंड लेमनी बज: 1 कप अंगूर का रस और आधा कप नींबू पानी में डेढ़ कप पानी मिलाइए और ठंडा करके पीजिए.
- साथ ही बिना कैफीन वाले पेय पदार्थों को ज्यादा से ज्यादा लीजिए, जैसे नारियल पानी, लस्सी, छाछ, मिल्क शेक, जलजीरा और आम पन्ना. फ्रेश लाइम सोडा भी ताजगी भरा ड्रिंक है और नुकसानदेह मीठे सॉफ्ट ड्रिंक का बढ़िया विकल्प है.
- जब कुछ गर्म पीने की इच्छा हो, तो दूध वाली चाय की बजाए ग्रीन टी पीजिए. चिकन क्रीम सूप (240 कैलोरी) की बजाए सादा सूप (40 कैलोरी) चुनिए.
अपने खाने-पीने की आदत में ये आसान से बदलाव आपकी सेहत के लिए बड़े फायदेमंद होंगे.
(कविता देवगन वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट, न्यूट्रिशनिस्ट, हेल्थ कॉलम्निस्ट और ‘डोंट डाइट! 50 हैबिट्स ऑफ थिन पीपल’ की लेखिका हैं.)
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