बांग्ला फिल्मों की एक्ट्रेस मिष्टी मुखर्जी की मौत के बाद कीटो डाइट पर बहस शुरू हो गई है. ऐसा बताया जा कहा है कि वो कीटो डाइट पर थीं. एक्ट्रेस के डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें किडनी से जुड़ी जटिलताएं शुरू हुईं और फिर किडनी फेल हो जाने से उनकी मौत हो गई.
हालांकि कीटो डाइट हाल ही में जल्द वजन कम करने के एक तरीके के रूप में काफी मशहूर हुआ है और दुनिया भर के कई न्यूट्रिशनिस्ट और हस्तियों ने इसे अच्छा बताया. यहां तक कि नेटफ्लिक्स ने एक डॉक्यूमेंट्री, "द मैजिक पिल" भी रिलीज की, जिसमें कीटोजेनिक डाइट के फायदों का पता लगाया गया.
कीटो डाइट क्या है?
कीटोजेनिक डाइट कुल ली जाने वाली कैलोरी में कार्बोहाइड्रेट से ली जाने वाली कैलोरी को 5% से कम लेने के बारे में है. इसमें बाकी कैलोरी की पूर्ति फैट और प्रोटीन से किए जाने पर जोर दिया जाता है. आमतौर पर कीटो डाइट में फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अनुपात 75:20:5 होता है.
इससे शरीर सीधे फैट तोड़कर कीटोन्स बनाते हुए ऊर्जा का उत्पादन करता है. शरीर फैट बर्न करने लगता है और अंततः वजन कम होता है.
जबकि कीटो डाइट ने हाल ही में वजन कम करने की अपनी क्षमता के कारण लोकप्रियता हासिल की है, लेकिन इसका उपयोग मिर्गी के दौरे और PCOD जैसी चिकित्सा स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है.
हालांकि कीटो डाइट पर पेशेवरों की अलग-अलग राय है, जैसा कि प्रोफेसर टिम नोक्स के मामले में देखा गया. साल 2014 में दक्षिण अफ्रीकी साइंटिस्ट और केप टाउन यूनिवर्सिटी के एक्सरसाइज साइंस एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन डिविजन में प्रोफेसर टिम नोक्स को अनप्रोफेशनल डाइट संबंधी सलाह देने के आरोपमें हेल्थ प्रोफेसनल्स काउंसिल ऑफ साउथ अफ्रीका की ओर से रिपोर्ट किया गया था. वह एक ट्वीट में कम कार्ब, उच्च वसा वाले आहार की वकालत कर रहे थे.
हेल्थ प्रोफेसनल्स काउंसिल ऑफ साउथ अफ्रीका (HSPCA) ने उन पर स्तनपान कराने वाली मां को "अपरंपरागत" सलाह देने के लिए "अव्यवसायिक आचरण" का आरोप लगाया था.
चार साल की मुकदमेबाजी और जांच के बाद, 2018 में, टिम नोक्स को दोषी नहीं ठहराया गया और पैनल ने कहा कि ट्वीट वैज्ञानिक रूप से सही था और इससे कोई संभावित नुकसान नहीं हो सकता था.
भले ही कीटो डाइट के अपने फायदे हों, लेकिन इसे सही तरीके से फॉलो करना जरूरी होता है.
एक आम गलतफहमी ये है कि कीटो डाइट हाई फैट और हाई प्रोटीन डाइट है, जबकि प्रोटीन की अधिकता न केवल शरीर को कीटोसिस में प्रवेश करने से रोकती है (लिवर यानी यकृत प्रोटीन को ग्लूकोज में बदल सकता है), यह शरीर के अम्लता के स्तर को भी बढ़ा सकता है, जिससे गुर्दे यानी किडनी पर दबाव बढ़ता है.
इससे किडनी की पथरी और दुर्लभ मामलों में किडनी फेल भी हो सकती है.
किडनी और दूसरे अंगों पर लंबे समय तक कीटो डाइट का असर समझने के लिए स्टडीज चल रही हैं.
कीटो डाइट का एक और जोखिम यह है कि इससे शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है, खासकर जब हाई प्रोसेस्ड फैट और ट्रांस फैट लिया जा रहा हो.
चूंकि कीटो डाइट में कई फूड आइटम खासकर फल, साबुत अनाज और फलियों को नहीं लेना होता है. इस कारण विटामिन और मिनरल्स की जरूरी मात्रा मिलना मुश्किल हो सकता है. विशेष रूप से, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कीटो डाइट पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और फास्फोरस प्रदान नहीं करता है.
क्या आपको कीटो डाइट पर जाना चाहिए?
इस सवाल का जवाब आसान है. वो ये है कि अपने डॉक्टर या सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट से पूछें.
कीटो डाइट से आपके खानपान में एक बड़ा बदलाव होता है. इसलिए, आपको कीटो डाइट शुरू करने से पहले एक पेशेवर से परामर्श करना चाहिए.
क्रोनिक किडनी विकार जैसे कुछ पहले से मौजूद समस्याएं इसके कारण बढ़ सकती हैं.
इसके अलावा, यह जरूरी है कि आप अपने लिपिड प्रोफाइल का आकलन करने के लिए नियमित ब्लड टेस्ट कराएं और अन्य पोषक तत्वों के स्तर की जांच कराएं.
कोई भी आहार सार्वभौमिक रूप से फायदेमंद नहीं होता है और विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है, जब उसका ठीक से पालन नहीं किया जाता है.
कीटो डाइट की जरूरी बातें
1. हाई क्वालिटी फैट
हाई क्वालिटी फैट से हमारा मतलब उन चीजों से है, जिनमें ओमेगा 3 फैटी एसिड ज्यादा हो और ट्रांस फैट न हो. कीटो डाइट फॉलो करने के दौरान एक गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं, वो ये है कि प्रोसेस्ड वेजिटेबल ऑयल, प्रोसेस्ड बटर और प्रोसेस्ड चीज़ से फैट लेना शुरू कर देना. जबकि आपको वर्जिन ऑलिव ऑयल, वर्जिन कोकोनट ऑयल, एवोकैडो और सैमन चुनना चाहिए.
2. हाई क्वालिटी मॉडरेट क्वान्टिटी प्रोटीन
फैट की क्वालिटी के साथ अपने आहार में हाई क्वालिटी वाले प्रोटीन को शामिल करना महत्वपूर्ण है. हमेशा ऐसे प्रोटीन का चुनाव करें जो ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर हों और उसमें कई तरह के प्रोटीन हों.
इस बात का ख्याल रखें कि प्रोटीन के सिर्फ किसी एक सोर्स को ही शामिन न किया जाए. मांसाहारी लोगों के लिए एक स्वस्थ मिश्रण मछली, चिकन, ऑर्गेनिक रेड मीट और अंडे हैं.
प्रोसेस्ड फूड जैसे कि सलामी और सॉसेज से सख्ती से बचना चाहिए.
शाकाहारियों के लिए, प्रोटीन युक्त स्रोत जैसे कि पालक और बादाम को पनीर जैसे डेयरी प्रोटीन पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
3. न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट
कुछ अध्ययन कहते हैं कि कीटो डाइट पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और फास्फोरस प्रदान नहीं करता है. समय के साथ, कीटो डाइट के कारण पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. विशेष रूप से वजन कम करने के लिए जो लोग बहुत कम कैलोरी कीटो डाइट पर होते हैं, उन्हें एक्सपर्ट्स पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड, साइलियम फाइबर और विटामिन बी, सी, और ई के लिए सप्लीमेंट की सलाह दे सकते हैं. इस आहार की पर्याप्तता उन खास चीजों पर निर्भर करती है, जो आप खाते हैं. हेल्दी लो कार्ब फूड से भरपूर आहार, जैसे कि एवोकैडोस, मेवे और गैर-स्टार्च वाली सब्जियां अधिक पोषक तत्व प्रदान करता है.
4. पेट के अनुकूल भोजन
चूंकि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट घटाना होता है, इसलिए आपके दैनिक फाइबर की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है. इस डाइट में फाइबर के सबसे समृद्ध स्रोतों में से कुछ, जैसे कि फल, स्टार्च वाली सब्जियां, साबुत अनाज और बीन्स नहीं लेना होता है क्योंकि वे अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट देते हैं. नतीजतन, कीटो डाइट पाचन असुविधा और कब्ज पैदा कर सकता है. इसलिए, कीटो के अनुकूल ऐसी चीजें खाने की जरूरत होती है, जिनमें फाइबर होता है, जैसे फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स, नारियल, ब्रॉकली, फूलगोभी और हरे साग.
कीटो डाइट पारंपरिक आहार की आदतों की तुलना में पोषण के लिए पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण अपनाता है.
भले ही अध्ययन इसके कई फायदे बताते हैं, लेकिन कीटो डाइट के अपने जोखिम हैं, इसलिए सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट और डॉक्टर से परामर्श किए बिना इसे नहीं अपनाया जाना चाहिए. यहां तक कि कीटो डाइट पर रहने के दौरान भी अपने स्वास्थ्य पर निगरानी रखना महत्वपूर्ण है.
अंत में, जोखिमों को कम करने और परिणाम पाने के लिए, आपको ऑर्गेनिक और व्होल फूड खाने चाहिए और अपने कीटो डाइट में खाने की प्रोसेस्ड चीजें न शामिल करें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)