नींद हमारी डेली रूटीन का एक बेहद अहम हिस्सा है. हम अपनी जिंदगी का करीब एक-तिहाई हिस्सा सोने में गुजारते हैं. जिस तरह हमें जीवित रहने के लिए खाने और पानी की जरूरत होती है, उसी तरह अच्छी व गहरी नींद भी उतनी ही जरूरी है.
हमारा दिमाग अच्छी तरह से काम करे और शरीर को पर्याप्त आराम मिल सके, इसके लिए एक अच्छी लेना बहुत जरूरी है.
अपने तमाम फायदों के साथ अच्छी नींद हमारी सीखने-समझने और समस्याओं को सुलझाने का कौशल बेहतर बनाने में मदद करती है. वहीं दूसरी तरफ नींद की कमी न्यूरो-संज्ञानात्मक प्रक्रिया में बदलाव कर सकती है, हमारी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल प्रभावित हो सकती है और हम चिड़चिड़ाहट, खराब निर्णय लेने, अवसाद, कमजोर याददाश्त- जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं.
इस वर्ल्ड स्लीप डे पर फिट आपको बता रहा है कि नींद न आने की क्या वजह हो सकती है, ठीक से न सोना आपकी सेहत को किस तरह प्रभावित कर सकता है, अच्छी और गहरी नींद लेने के लिए आपको किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है.
नींद न आने के कारण
नींद न आने या इसमें खलल की चार मुख्य वजहें हो सकती हैं-
एक व्यस्त जीवन शैली
लंबे समय तक काम के घंटे
नींद संबंधी विकार
कुछ अनहेल्दी आदतें
बहुत अधिक स्क्रीन टाइम, शारीरिक गतिविधि की कमी, सोने से पहले कैफीन का सेवन और सूरज की रोशनी के संपर्क में न आना कुछ ऐसी आदतें हैं, जो हमारे स्लीप साइकल को बाधित कर सकती हैं.
नींद न आने की बीमारी
कम नींद की वजह नींद न आने की बीमारी भी होती है. अनिद्रा के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं, लेकिन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA), जो नींद के दौरान सांस लेने में कठिनाई का एक रूप है, भी एक कॉमन स्लीप डिसऑर्डर है.
सोते समय गर्दन की मांसपेशियों के शिथिलीकरण (रिलैक्स) से कुछ पल के लिए सांस की गति रुकना ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण है और इस वजह से बार-बार नींद टूटती है.
OSA ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बाधित करता है और वजन बढ़ाने को बढ़ावा देता है, जो हमें टाइप 2 डायबिटीज के खतरे में डालता है. OSA वाले व्यक्तियों को स्ट्रोक और अनियमित दिल की धड़कन का अधिक रिस्क होता है.
आंकड़ों से पता चला है कि भारत में लगभग 2.8 करोड़ लोग स्लीप एपनिया से पीड़ित हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत लोग इससे अनजान हैं.
अच्छी तरह से न सो पाने के क्या नुकसान हैं?
लंबे समय तक नींद की कमी और नींद की गड़बड़ी को हानिकारक स्वास्थ्य परिणामों से जोड़ा गया है, जिसमें संज्ञानात्मक कार्यों में गिरावट, कार्डियो-मेटाबॉलिक बीमारियां, मोटापा, इम्यूनिटी में गड़बड़ी शामिल है.
“पर्याप्त नींद न लेना खराब इम्यूनिटी, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, हार्ट अटैक या हार्ट फेल और डिप्रेशन सहित अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का रिस्क बढ़ा सकता है."डॉ. अक्षय बुधराजा, कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट, आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
नींद की कमी उन हार्मोन पर असर डालती है, जो भूख को रेगुलेट करने में शामिल होते हैं. स्टडीज बताती हैं कि नींद में कमी भूख बढ़ाती है. नींद की छोटी अवधि को मोटापे का भी एक रिस्क फैक्टर पाया गया है.
फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में निदेशक और पल्मोनोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. विकास मौर्य कहते हैं,
“नींद का समय उम्र के साथ बदलता रहता है. आमतौर पर 18 साल की उम्र के बाद आपको लगभग 7 घंटे या अधिक सोने की सलाह दी जाती है. पूरी नींद न लेने से थकान, चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव, भूलने की समस्या और यहां तक कि सेक्स की ख्वाहिश में कमी हो सकती है.”
आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट में कंसल्टेंट डॉ. अक्षय बुधराजा बताते हैं, “सबसे फौरी असर थकान और एकाग्रता की कमी है- ये लक्षण लगातार नींद की कमी (48-72 घंटे) के बाद उजागर होते हैं."
वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी के मुताबिक सिर्फ एक रात की नींद खराब होने से एकाग्रता, याददाश्त और सीखने की क्षमता निगेटिव तरीके से प्रभावित होती है.
कुछ स्टडीज में नींद की गड़बड़ी को कैंसर के रिस्क से भी जोड़ा गया है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में बताया गया कि नींद की कमी कॉर्टिसोल और मेलाटोनिन के संतुलन में बदलाव कर देती है. कॉर्टिसोल इम्यून सिस्टम की एक्टिविटी को नियमित करने में मदद करता है और मेलाटोनिन ट्यूमर ग्रोथ से लड़ने में मदद करता है और डीएनए रिपेयर को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिससे कैंसर से सुरक्षात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है.
नींद की गड़बड़ी को वैश्विक स्तर पर सड़क यातायात दुर्घटनाओं और प्रमुख औद्योगिक दुर्घटनाओं से भी जोड़ा गया है. इस बारे में डॉ अक्षय बुधराजा बताते हैं,
"लंबे समय तक नींद की कमी माइक्रोस्लीप का कारण भी हो सकती है, जो नींद की एक किस्म है जो कुछ सेकंड तक रहती है. अगर कोई गाड़ी चला रहा हो या मशीन से काम कर रहा हो, तो यह हादसे की वजह बन सकती है.”
बेहतर नींद के लिए हम क्या कर सकते हैं?
हमारे शरीर की प्राकृतिक नींद- जागने के चक्र के साथ तालमेल होना महत्वपूर्ण है.
हमें नियमित नींद के लिए 8 घंटे अलग सेट करने चाहिए.
हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की कोशिश करनी चाहिए.
अच्छी नींद लेने के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए.
धूप के संपर्क में आना जरूरी है.
सोने से पहले ध्यान करने से भी अच्छी नींद आती है.
डॉक्टर से संपर्क करें अगर:
सुबह सिर दर्द होता हो
दिन के समय अधिक नींद आती हो
खर्राटे आते हो
नींद के दौरान सांस रुकने की समस्या महसूस होती हो
बिना वजह थकान महसूस होती हो
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